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Giridih News : ये क्‍या! दम तोड़ रहीं रोजगार के लिए मिली बकरियां, आक्रोशित ग्रामीणों ने पशुपालन विभाग पर लगाया आरोप

Giridih News ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब और जरूरतमंद लोगों को रोजगार के लिए पशु पालन विभाग की तरफ से बकरियां दी गई थीं। पांच-छह लाभुकों को एक साथ पांच-पांच बकरियां दी गई थीं। हालांकि विभाग की ओर से मिली बकरियां घर ले आने के बाद ही दम तोड़ रही हैं। आक्रोशित लाभुक संबंधित विभाग और वेंडर पर पीपीआर बीमारी से ग्रसित बकरियों की आपूर्ति करने का आरोप लगा रहे।

By GYAN JYOTI Edited By: Arijita Sen Updated: Fri, 17 May 2024 02:28 PM (IST)
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बकरी के मरने के बाद फेकने ले जाते घाघरा के लाभुक फरहान और देखते मुखिया हासिम उद्दीन अंसारी
त्रिभुवन कुमार, तिसरी। ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब और जरूरतमंद लोगों को रोजगार के लिए पशु पालन विभाग की ओर से मिलने वाली बकरियां बीमारी की चपेट में आकर दम तोड़ रही हैं।

बीमारी के संक्रमण से लाभुकों के अपने घर के बकरे-बकरियों की भी मौत हो जा रही है। इससे लोगों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसी के साथ गरीबों के सपने भी चकनाचूर हो रहे हैं। संबंधित विभाग और वेंडर पर पीपीआर बीमारी से ग्रसित बकरियों की आपूर्ति करने का आरोप लग रहा है। इससे लाभुकों में काफी आक्रोश है।

15 दिन पूर्व मिली थीं बकरियां

बताया जाता है कि 15 दिन पूर्व पशु पालन विभाग के सौजन्य से सिंघो पंचायत के घाघरा निवासी सहजादी खातून, तबसूम खातून, मेमून निशा, सुरेश यादव सहित पांच-छह लाभुकों को एक साथ पांच-पांच बकरियां दी गईं। ताकि लाभुक रोजगार सृजन कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें लेकिन पीपीआर बीमारी के संक्रमण के कारण दी गई बकरियों की एक-एक कर मौत हो गई।

लाभुक सहजादी खातून और तबसुम खातून के स्वजन मो फरहान ने कहा कि बकरी की मौत होने पर सिंघो मुखिया हासिमउद्दीन अंसारी को दिखा कर इसकी शिकायत की गई। इसकी सूचना तिसरी पशु चिकित्सा विभाग के कार्यालय को भी दी गई। विभाग के कर्मी रंजीत यादव बकरियों का इलाज के लिए पहुंचे। बकरियों की स्थिति देख उन्होंने इलाज से कोई फायदा नहीं होने की बात कही।

सर्दी-जुकाम से ग्रसित थीं बकरियां

मो फरहान ने कहा कि देते समय ही बकरियां सर्दी जुकाम से ग्रसित थीं। इसे देखते हुए लेने से मना भी किया था, लेकिन बताया गया कि पीपीआर का टीका पड़ा है। घर में गर्म पानी पिलाएं ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

घर ले जाने के दूसरे दिन से ही बकरियों की मौत होने लगी। ऐसा ही अन्य लाभुकों और आसपास पशु पालन कर रहे लोगों के साथ भी हुआ। इससे रोजगार और लाभ क्या मिलेगा। उल्टा घर से ही नुकसान हो गया। इसकी शिकायत कर तिसरी बीडीओ से गुहार लगाएंगे।

जमा पूंजी भी हो गई खत्म 

मेमुन निशा के स्वजन इरशाद अंसारी ने कहा कि प्रत्येक लाभुक को 24-24 हजार रुपये की लागत से बकरी दी गई। इसमें 25 प्रतिशत लाभुक को देना है। खाता में अनुदान का 18 हजार आया है। बीमार से ग्रसित बकरी देने से घर की जमा पूंजी भी समाप्त हो जाएगी।

बकरी सप्लाई करने वाले वेंडर की मनमानी और लापरवाही के कारण से लाभुक परेशान हैं। बताया जाता है की पूर्व में भी दिए गए बकरी सेट, मुर्गी, सुअर आदि के लाभुकों को भी नुकसान उठाना पड़ा था।

पशु चिकित्सा प्रभारी डाक्टर रामकृष्ण बाउरी ने कहा कि पीपीआर बीमारी हर तरफ फैली हुई है। बीमार बकरियां नहीं दी गई हैं। फरहान के पशु की मौत को ले व्यापारी से संपर्क कर विचार किया जा रहा है। वेंडर लाभुकों को जामताड़ा और कुछ खटपोंक से बकरी दे रहा है।

मुखिया मो हासिम उद्दीन ने कहा कि बीमार बकरियां देने से सभी की मौत हो गई। मोहल्ला के बकरा-बकरी मर गए। संक्रमित बकरी वितरण करने वाला वेंडर पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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