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Jharkhand: 25 लाख की इनामी जया मांझी की रिम्स में मौत, रातभर अस्पताल में ही पड़ा रहा शव

धनबाद के एक निजी अस्पताल से गिरफ्तार हार्डकोर इनामी नक्सली जया मांझी ने शुक्रवार को रांची के रिम्स में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। जया मांझी को 16 जुलाई को गिरफ्तार कर गिरिडीह केंद्रीय कारा लाया गया था। मौत के बाद शुक्रवार को रिम्स में ही उसका शव पड़ा रहा। अस्पताल की ओर से जया के गृहक्षेत्र खुखरा थाना को फोन कर मामले की जानकारी दी गई।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 21 Sep 2024 12:45 AM (IST)
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कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही थी नक्सली, धनबाद के अस्पताल से किया गया था गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, गिरिडीह। धनबाद के एक निजी अस्पताल से गिरफ्तार हार्डकोर इनामी नक्सली जया मांझी उर्फ सविता उर्फ चिंता ने शुक्रवार को रांची के रिम्स में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। जया मांझी को 16 जुलाई को गिरफ्तार कर गिरिडीह केंद्रीय कारा लाया गया था।

रिम्स में ही पड़ा है शव, स्वजन से किया जा रहा संपर्क

जया की जिस समय गिरफ्तारी हुई थी, उसी समय उसकी हालत गंभीर थी। धनबाद के अस्पताल से उसे एम्स ले जाने की सलाह दी गई थी। हालांकि गिरिडीह पुलिस ने जब जया मांझी को गिरफ्तार किया तो न्यायिक दंडाधिकारी निखत आयशा की अदालत में उसे महज जांडिस से पीड़ित बताया। अस्पताल का डिस्चार्ज पेपर भी दिखाया। बाद में गिरिडीह कारा अधीक्षक हिमानी प्रिया की पहल पर उसे इलाज के लिए रिम्स भेजा गया।

मौत के बाद शुक्रवार को रिम्स में ही उसका शव पड़ा रहा

उच्च संस्थान में इलाज के लिए भी गिरिडीह कारा प्रबंधन की ओर से मुख्यालय से पत्राचार किया गया था, लेकिन इस बीच जया मांझी ने दम तोड़ दिया। मौत के बाद शुक्रवार को रिम्स में ही उसका शव पड़ा रहा। अस्पताल की ओर से जया के गृहक्षेत्र खुखरा थाना को फोन कर मामले की जानकारी दी गई। सूचना मिलने पर पुलिस जया के स्वजन से संपर्क करने का प्रयास कर रही है, ताकि उन्हें डेडबाडी हैंडओवर किया जा सके।

लेवी लेने और सरकार के खिलाफ बैठक करने में शामिल रहती थी जया

मधुबन थाना की पुलिस ने साल 2019 के नक्सली मुठभेड़ के मामले में जया मांझी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। जया के खिलाफ गिरिडीह के विभिन्न थाना क्षेत्र में करीब दो दर्जन से अधिक केस दर्ज हैं। जोनल कमांडर सह 25 लाख के इनामी नक्सली अजय महतो उर्फ टाइगर के दस्ते की मुख्य महिला सदस्य जया मांझी पर मुठभेड़ में भी शामिल होने का आरोप हैं। मधुबन थाने की पुलिस ने यह केस दर्ज किया था।

कहा था कि क्षेत्र में भाकपा माओवादी संगठन के लोग सरकारी निर्माण कराने वालों से लेवी लेने और सरकार के खिलाफ समानांतर कार्य करने को लेकर बैठक कर रहे हैं। इसपर पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त रूप से सर्च आपरेशन चलाया था, लेकिन पुलिस को देख नक्सली फायरिंग करने लगे।

जवाबी फायरिंग होने पर नक्सली भाग खड़े हुए थे। उस दौरान पुलिस को बैठक स्थल से कई दस्तावेज मिले थे, जिसमें अजय महतो, कृष्णा हांसदा, प्रयाग मांझी, नुनुचंद महतो, जया मांझी समेत कई नामजद आरोपित बनाए गए थे।

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