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जब नक्‍सलियों ने बिछा दी थी बाबूलाल मरांडी के बेटे सहित 20 की लाश, खून से सन गया था पूरा मैदान...

याद है 26 अक्टूबर 2007 की आधी रात का वह पल जिस दौरान गिरिडीह जिला के देवरी प्रखंड के चिलखारी फुटबाल मैदान में नक्सलियों ने गोलियों से 20 लोगों को भून दिया था। इनमें झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री व भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी भी शामिल थे। लेकिन चिलखारी में खून की नदी बहाने वाले हत्यारे आज भी आजाद हैं।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 26 Oct 2023 01:19 PM (IST)
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देवरी चिलखारी का मैदान जहां नक्सलियों ने आधी रात को बीस लोगों को गोली से भून दिया था।

संवाद सहयोगी, देवरी ( गिरिडीह)। गुरुवार काे चिलखारी नरसंहार की 16वीं बरसी है। इस खौफनाक कांड के 16 साल पूरे हो गए हैं। 16 साल में भी गिरिडीह पुलिस इस नरसंहार के एक भी आरोपित को सजा नहीं दिला सकी है। इस अवधि में झारखंड में कितनी सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी ने भी इसे चुनौती के रूप में नहीं लिया।

चिलखारी में बहाई गई थी खून की नदी

वह भी तब जब इस नरसंहार में झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का पुत्र भी मारा गया था। इसका नतीजा है कि चिलखारी में खून की नदी बहाने वाले हत्यारे आज भी आजाद हैं और खुली हवा में सांस ले रहे हैं। यह सवाल आज भी अनुत्तरित है कि आखिर किसने चिलखारी में खून की नदी बहाई थी।

26 अक्टूबर, 2007 की आधी रात को झारखंड बिहार की सीमा से ठीक सटे गिरिडीह जिला के देवरी प्रखंड के चिलखारी फुटबाल मैदान में नक्सलियों ने झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री व भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी समेत 20 लोगों को गोलियों से भून दिया था।

जान बचाने में कामयाब रहे थे नुनूलाल

टूर्नामेंट के समापन पर वहां सोरेन ओपेरा नामक संथाली जात्रा का कार्यक्रम चल रहा था। करीब 10 हजार से अधिक लोग जुटे थे। सभी की मौजूदगी में नक्सलियों ने इस कांड को अंजाम दिया था। नक्सली बाबूलाल के अनुज नुनूलाल मरांडी को मारने आए थे। नुनूलाल अपनी जान बचाने में सफल रहे थे। बाबूलाल और नुनूलाल के नेतृत्व में लोग नक्सलियों से लोहा ले रहे थे। इस कारण बाबूलाल व नुनूलाल नक्सलियों की हिटलिस्ट में थे।

बता दें कि घटना की खबर सुनते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, डीजीपी बीडी राम, विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, डा. रवींद्र कुमार राय, झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन सहित प्रदेश व गिरिडीह जिला के कई आला अधिकारी, नेता आदि मौके पर पहुंच कर मृतकों के स्वजनों को दिलासा देते हुए सरकारी नौकरी व एक-एक लाख रुपया मुआवजा सहित कई जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने की घोषणा की थी।

कई सरकारी घोषणाएं आज भी अधूरी

मृतकों के स्वजनों की मानें तो सरकारी नौकरी व रुपये तो मिल गए, लेकिन अन्य घोषणाओं को पूरा नहीं किया गया है। सरकार की कई घोषणाएं आज भी अधूरी हैं। लोगों का कहना है कि चिलखारी में स्टेडियम बनवाने, मृतकों के बूढ़े मां- बाप को वृद्धा पेंशन व इंदिरा आवास देने, बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाने, गांव को आदर्श गांव बनाने, चिलखारी से दुमाटांड़ गांव के बीच स्थित नाला पर पुल निर्माण कर दोनों गांवों को सड़क मार्ग से जोड़ने सहित कई घोषणाएं की गई थीं, जो हवा में तैर रही हैं।

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इनकी गई थी जान

चिलखारी नरसंहार में बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी, अजय सिन्हा, अनुज मुर्मू, दिलखुश सिंह, मुन्ना हेंब्रम, उस्मान अंसारी, सुरेश टुडू, चरकू किस्कू, दीपक कुमार हेंब्रम, अनिल अब्राहम मरांडी, केदार हेंब्रम, सुरेश हांसदा, नूनू साव, सुशील कुमार बेसरा, मनोज किस्कू, रशिक बास्के, जिगर मुर्मू, सुशील सोरेन, देवंती देवी और रश्मि मुर्मू सहित 20 लोगों की जान गई थी। इनमें से 18 लोगों की मौत मौके पर ही हो गई थी जबकि दो लोगों की मौत अस्पताल में हुई थी।

नरसंहार में फांसी की सजा पाने वाले चार बरी

गिरिडीह के तत्कालीन अपर जिला सत्र न्यायाधीश इंद्रदेव मिश्र की अदालत ने 23 जून, 2011 को चिलखारी नरसंहार में रंगकर्मी जीतन मरांडी, मनोज रजवार, छत्रपति मंडल और अनिल राम को फांसी की सजा सुनाई थी।

निचली अदालत के फैसले को जीतन मरांडी ने झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। झारखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 15 दिसंबर, 2011 को जीतन मरांडी समेत चार लोग को निर्दोष करार देते हुए सभी को फांसी की सजा से बरी कर दिया था।

जीतन मरांडी की गिरफ्तारी से पुलिस की किरकिरी

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को ही बरकरार रखा था। अभी तक 10 अभियुक्त इस मामले में बरी हो चुके हैं। इनमें जीतन मरांडी, मनोज रजवार, छत्रपति मंडल, अनिल राम के अलावा हाफिज रहमत, टूपलाल यादव, सीताराम तुरी, रामसहाय दास, मांगू किस्कू एवं किशुन रजवार शामिल हैं।

इसके अलावा विवेक यादव, विनोद उर्फ अल्बर्ट हांसदा, सुनील उर्फ बड़का एवं जीतन किस्कू को जमानत मिल चुकी है। विवेक को रिमांड पर जमुई जेल से लाया गया था। जमानत पर जेल से बाहर निकलने पर विवेक की हत्या भी हो चुकी है। पीरटांड़ निवासी एवं रंगकर्मी जीतन मरांडी की गिरफ्तारी से पुलिस अनुसंधान की किरकिरी हो गई थी।

ये बनाए गए थे आरोपित

चिलखारी नरसंहार को लेकर हार्डकोर नक्सली जीतन मरांडी, चिराग उर्फ रामचंद्र महतो, परवेज उर्फ डाक्टर उर्फ सहदेव मांझी, विवेक, विष्णु रजवार, अल्बर्ट, दीपक, गंगा सहित 40-50 अज्ञात माओवादियों को नामजद आरोपित बनाया गया था। हार्डकोर नक्सली जीतन मरांडी निमियाघाट थाना क्षेत्र का रहने वाला है।

पुलिस ने झारखंड एवेन के सचिव और रंगकर्मी पीरटांड़ निवासी जीतन मरांडी को रांची से गिरफ्तार कर लिया था। जीतन मरांडी का कहना था कि उसे हार्डकोर जीतन मरांडी के धोखे में पुलिस ने पकड़ा है, जबकि वह रंगकर्मी है।

प्राथमिकी में एक ही जीतन मरांडी का नाम था। बाद में पुलिस अनुसंधान में रंगकर्मी जीतन मरांडी का भी नाम जोड़ दिया गया। कमजोर अनुसंधान और साक्ष्य का अभाव जीतन समेत फांसी की सजा पाए सभी चारों के बरी होने का आधार बना।

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