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'प्रशासन पस्त, फैक्ट्री वाले मस्त', प्रदूषण के खिलाफ लोगों ने खोला मोर्चा; वोट बहिष्कार की दी चेतावनी

रविवार को पांच गांवों के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और जिला निर्वाचन आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और ऐसा करने का कराण फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं है। गिरिडीह जिले के मुख्यालय से सटे मुफस्सिल थाना क्षेत्र के औद्योगिक इलाके में फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुएं और प्रदूषण से लोगों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

By Shoyeb Ahmed Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sun, 19 May 2024 10:23 PM (IST)
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प्रदूषण के खिलाफ लोगों ने खोला मोर्चा और वोट बहिष्कार की दी चेतावनी

जागरण संवाददाता, गिरिडीह। गिरिडीह जिला मुख्यालय से सटे मुफस्सिल थाना क्षेत्र के औद्योगिक इलाके में फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं स्थानीय लोगों के सब्र के बांध तोड़ रहा है।

प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं होता देख रविवार को पांच गांवों के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और जिला निर्वाचन आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

इस दौरान चतरो में एक बैठक कर ग्रामीणों ने कहा कि प्रदूषण से हम तिल-तिल कर मर रहे और प्रशासन को हमारी फिक्र ही नहीं है। प्रशासन पस्त है और फैक्ट्री वाले मस्त हैं।

ग्रामीणों का ये है कहना

ग्रामीणों का कहना था कि इलाके में लगीं दर्जनों सरिया फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं उनके फेफड़ों में भर रहा है। इस प्रदूषण की वजह से लोग अंधे हो रहे, अपंग हो रहे, लेकिन उनकी समस्या सुनने वाला कोई नहीं है।

ग्रामीणों का कहना था कि जब हमारा वर्तमान ही अधर में है तो हम किसके भविष्य के लिए इस चुनाव में मतदान करें। प्रदर्शन में मंझलाडीह, चतरो, गंगापुर, महुआटांड़, सिरसिया टोला समेत अन्य इलाकों के ग्रामीण शामिल थे।

समस्या के निदान का मिला था आश्वासन

बीते 3 मार्च को स्थानीय ग्रामीणों ने प्रदूषण फैला रही फैक्ट्रियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए गिरिडीह धनबाद रोड को चतरो में जाम कर दिया था। विभिन्न सरिया कंपनियों के गेट के बाहर भी प्रदर्शन किया गया था।

इसके बाद 6 मार्च को गिरिडीह के अनुमंडल पदाधिकारी श्रीकांत यशवंत विस्पुत्ते के नेतृत्व में सरिया फैक्ट्री के मालिकों और ग्रामीणों के साथ एक त्रिपक्षीय वार्ता हुई थी, जिसमें अगले एक डेढ़ महीने के अंदर समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया गया था।

प्रदूषण पर लगाम लगाने का किया था वादा

हालांकि दो महीने बाद भी जब समस्या नहीं सुलझी, तब ग्रामीण आंदोलित हैं। मार्च महीने में हुई बैठक में मोंगिया फैक्ट्री, निरंजन मैटेलिक, अतिवीर टीएमटी, बालमुकुंद फैक्ट्री, वेंकटेश्वर फैक्ट्री समेत अन्य सरिया फैक्ट्रियों के मालिक व संचालक शामिल हुए थे तथा प्रदूषण पर लगाम लगाने का वादा किया था।

4000 से अधिक मतदाता, दो बूथ पर करते हैं मतदान

प्रदूषण झेल रहे क्षेत्र के सभी गांवों में 4000 से अधिक मतदाता हैं। यह मंझलाडीह तथा चतरो बूथ पर मतदान करते हैं। यह इलाका गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के अधीन है।

ग्रामीणों का कहना है कि पिछली बार हुई बैठक के बाद प्रशासन ने भी उनकी ओर से आंखें मूंद ली। मजबूरन उन्हें दोबारा प्रदर्शन करना पड़ रहा है, ताकि उनकी आवाज सरकार और तंत्र तक पहुंचे।

सड़क किनारे लगाया वोट बहिष्कार का पोस्टर-बैनर

प्रदूषण झेल रहे इन गांवों के ग्रामीणों ने चतरो में गिरिडीह-धनबाद मुख्य सड़क के किनारे जगह-जगह वोट बहिष्कार के बैनर लगाए हैं। इनमें प्रदूषण बंद नहीं तो वोट नहीं का नारा लिखा हुआ है।

ग्रामीणों का कहना है कि वह पिछले 20 वर्ष से अधिक समय से प्रदूषण की मार झेल रहे, लेकिन उनकी हालत सुधारने की बजाय दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है।

गौरतलब है कि क्षेत्र में संचालित सरिया फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं और प्रदूषण की वजह से स्थानीय करीब दर्जन भर गांवों के लोगों के अलावा राहगीरों, गिरिडीह सेंट्रल जेल के कर्मियों वह बंदियों समेत अन्य लोगों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है।

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