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Jharkhand News: पुलिस के लिए मील का पत्थर साबित हुआ 'प्रतिबिंब' एप, दबोचे जा रहे साइबर आपराधी... कसी जा रही नकेल

साइबर अपराध में संलिप्त अपराधियों पर नकेल कसने व उन्हें कोने-कोने से दबोचने में पुलिस के लिए प्रतिबिंब एप मारक हथियार साबित हो रहा है और इस एप के विकसित होने के बाद से लेकर लगातार साइबर अपराधियों को दबोचा जा रहा है। इस एप के जरिए साइबर अपराध करने वालों की कमर टूट सी गई है। प्रतिबिंब एप का इशारा पुलिस के निशाने पर सटीक बैठता है।

By Prabhat Kumar Sinha Edited By: Shoyeb AhmedUpdated: Sun, 03 Mar 2024 05:06 PM (IST)
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साइबर अपराधियों पर नकेल कसने व उन्हें कोने-कोने से दबोचने में प्रतिबिंब एप मारक हथियार हो रहा साबित
प्रभात कुमार सिन्हा, गिरिडीह। Pratibimb App: साइबर अपराध में संलिप्त अपराधियों पर नकेल कसने व उन्हें कोने-कोने से दबोचने में पुलिस के लिए प्रतिबिंब एप मारक हथियार साबित हो रहा है। इस एप के विकसित होने के बाद से लेकर लगातार साइबर अपराधियों को दबोचा जा रहा है जिससे मानो साइबर अपराध करने वालों की कमर टूट सी गई है।

अब उन्हें अपराध करने के लिए गांव घर से बाहर निकलकर किसी किनारे का ठौर लेना पड़ रहा है लेकिन प्रतिबिंब एप का इशारा वहां भी हो रहा है और पुलिस का निशाना सटीक बैठ रहा है। दूसरों को फांसने वाले साइबर अपराधी खुद पुलिस के शिकंजे में फंस रहे हैं और सलाखों के पीछे धकेले जा रहे हैं।

इस एप के इशारे पर जिले में साइबर अपराधियों के सफाए को लेकर लगातार छापेमारी अभियान चलाई जा रही है और एप के इशारे पुलिस को साइबर अपराधियों के खिलाफ लगातार सफलता दिला रही है।

ठगी को 50 से अधिक उपायों का कर चुके हैं इस्तेमाल

साइबर अपराध में शामिल अपराधी पिछले दस वर्षों के दौरान लोगों को अपने जाल में फांसने व उनके खातों से राशि टपाने को लेकर 50 से अधिक तरीकों का इस्तेमाल कर चुके हैं। रोज इनके ठगी के तरीके में एक नया प्रलोभन भरा उपाय जुड़ रहा है। बैंक खातों को केवाइसी कराने को लेकर फर्जी बैंक अधिकारी बनने से प्रारंभ हुआ इनका ठगी का तरीका अब बहुत ही आगे निकल चुका है।

अब तो ये एटीएम बंद होने, एटीएम का क्लोन तैयार करने, एटीएम मशीन में कैश लॉक लगाने, नौकरी, लाटरी, सेक्शटार्सन, ऑनलाइन कुरियर, मेडिकल इमरजेंसी, डॉक्टर का नंबर लगाने, न्यूड वीडियो कॉल कर स्क्रीन रिकॉर्डिंग कर ब्लैकमेल करने के अलावा कई अन्य माध्यमों से लोगों को फांसने का काम कर चुके हैं। फिलहाल ये धान बिक्री कीसरकारी राशि दिलाने के नाम पर ठगी की योजना का खाका खींच रह थे जिसका भंडाफोड़ हो गया।

लोगों का खुला रखा है फर्जी खाता

साइबर अपराध में दबोचे गए अपराधियों ने नए तरीके का इस्तेमाल कर लोगों को लालच देकर उन्हें भी साइबर अपराध का एक अंग बनाने में जुटे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के भाले-भाले लोगों को उनके आधार कार्ड के माध्यम से बैंकों या पोस्ट आफिस में उलका खाता खुला रखा है। इसके एवज में साइबर अपराधी उन्हें एक मोटी रकम भी दे देते हैं और उनका पासबुक व एटीएम कार्ड अपने पास रख लेते हैं।

ये साइबर अपराधी ठगी के पैसे को उसी खाते में ट्रांसफर कराते हुए एटीएम के माध्यम से निकासी करने का काम करते हैं। कई भाेले भाले ग्रामीण साइबर अपराधियों के इस जाल में भी मामूली लालच में फंस रहे हैं और बाद में उन्हें नोटिस भी मिल रहा हे।

अब तक 212 भेजे गए सलाखों के पीछे

साइबर अपराध के मामले में पुलिस की टीम ने पिछले पांच माह में अभियान चलाते हुए जिले से 212 साइबर अपराधियों को दबोचते हुए सलाखों के पीछे भेज चुकी है। वहीं इनके पास से 510 एंड्रायड मोबाइल, 678 सिम कार्ड, 237 पासबुक व एटीएम कार्ड, 10 चेकबुक, 35 पैन कार्ड, 44 आधार कार्ड, 38 बड़े व छोटे वाहन, तीन आइ पैड, तीन लैपटाप व 14, 56, 310 रुपये बरामद कर चुकी है।

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पुलिस अधीक्षक ने ये कहा

इन मामलों पर पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शर्मा ने कहा कि जिले के लोगों की मेहनत की कमाई को साइबर ठगों के हाथों लूटने नहीं दिया जाएगा। ऐसे में जिले के किसी भी क्षेत्र में साइबर अपराधी सक्रिय रहेंगे उन्हें कोने-कोने में भी छापेमारी करते हुए दबोचा जाएगा।

साइबर अपराधियों को किसी भी हाल में ऐसा अपराध नहीं करने दिया जाएगा। ऐसे में साइबर अपराधी किसी मुगालते में न रहें कि वे पुलिस की गिरफ्त में आने से बच जाएंगे। उन्हें नसीहत व सलाह दी जाती है कि या तो वे साइबर अपराध को पूरी तरह छोड़ते हुए उससे तौबा कर लें अन्यथा सलाखों के पीछे जाने को तैयार रहें।

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