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Jharkhand News: गोड्डा की तरह महागामा में भी बनाया जाएगा सात करोड़ से पार्क, साढ़े सात लाख पौधे लगाने का भी है लक्ष्‍य

गोड्डा के बायोडायवर्सिटी (जैव विविधता) पार्क की तर्ज पर महागामा के कंकड़घाट स्थित साढ़े चार हेक्टेयर वन क्षेत्र में सात करोड़ रुपये की लागत से इस साल एक नया पार्क बनाया जाएगा। राज्‍य सरकार ने इसका फैसला लिया है और साथ ही वन व पर्यावरण विभाग से इसकी स्वीकृति मिल गई है। नए साल में हरियाली के लिए खूब पौधे भी लगाए जाएंगे।

By Jagran News Edited By: Arijita Sen Updated: Wed, 03 Jan 2024 10:17 AM (IST)
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गोड्डा की तरह महागामा में भी बनाया जाएगा सात करोड़ से पार्क।

विधु विनोद, गोड्डा। राज्य सरकार ने गोड्डा के बायोडायवर्सिटी (जैव विविधता) पार्क की तर्ज पर महागामा के कंकड़घाट स्थित साढ़े चार हेक्टेयर वन क्षेत्र में सात करोड़ रुपये की लागत से इस साल नया पार्क बनाने का फैसला लिया है। वन व पर्यावरण विभाग से इसकी स्वीकृति मिल गई है। इसके अलावा वन विभाग नए साल में साढ़े सात लाख पौधे भी लगाएगा। जबकि गोड्डा के बायोडायवर्सिटी पार्क का भी विकास होना है। यहां 49 लाख रुपये की लागत से बटर फ्लाई पार्क का निर्माण कराया जाएगा।

वनों की कटाई से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित

वर्तमान में बढ़ता प्रदूषण, कम होते वन, घटते वन्य जीव, प्राकृतिक संपदा का दोहन, प्रकृति के संसाधनों की ओर बढ़ती उपभोग की प्रवृत्ति, अवैध एवं अनियोजित ढंग से वनों की कटाई से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

गुजरे साल में यहां सात लाख 22 हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। प्रत्येक पंचायत में औसतन तीन एकड़ बंजर भूमि पर फलदार पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर प्रखंडों को भेजा जा रहा है।

1200 हेक्टेयर जमीन पर क्षतिपूर्ति वनरोपण का लक्ष्य

वन क्षेत्र को विकसित करने की दिशा में वन एवं पर्यावरण विभाग लगातार प्रयासरत है। मौजूदा समय में जिले में 20 हजार हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र हैं।

यहां बीते पांच सालों से लगातार पौधरोपण कर वनों की कटाई की भरपाई की जा रही है। ईसीएल के हुर्रासी प्रोजेक्ट के लिए यहां 200 हेक्टेयर वन भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसके लिए क्षतिपूर्ति वनरोपण के लिए ईसीएल ने आवंटन दिया है।

इसी तरह फोरलेन सड़क निर्माण के लिए काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए एनएचएआइ की ओर से वन विभाग को आवंटन दिया गया है। इन योजनाओं में कुल 1200 हेक्टेयर जमीन पर क्षतिपूर्ति वनरोपण होना है।

जिले में कुल क्षेत्रफल का महज 11 प्रतिशत ही वन क्षेत्र है। जबकि मानक के अनुसार यह 33 प्रतिशत होना चाहिए। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण के लिए समाज की ओर से भी पौधरोपण जरूरी है। पर्यावरणवादी विमल कुमार विनोद का कहना है कि सबसे जरूरी पेड़-पौधों की हिफाजत है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्ययोजना तैयार कर किया गया है। महागामा के कंकड़घाट में सात करोड़ रुपये की लागत से पार्क का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए विभाग से स्वीकृति मिल गई है। बीते साल यहां 7.22 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। नए साल में 7.5 लाख पौधे लगाने के लक्ष्य है। क्षतिपूर्ति वनरोपण के लिए कारपोरेट सेक्टरों से मिले आवंटन से करीब 1200 हेक्टेयर वन क्षेत्र में वनरोपण का कार्य होंगे- मौन प्रकाश, डीएफओ, गोड्डा।

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