आज से शुरू हो रहा रोहिणी नक्षत्र, खरीफ की खेती की तैयारी में जुटे किसान; बारिश हो जाए तो सोने पे सुहागा
Jharkhand News आज से रोहिणी नक्षत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में किसान खरीफ की खेती की तैयारी में जुट गए हैं। किसान रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा गिराते हैं जो बेहतर उपज देने वाली होती है। रोहिणी नक्षत्र खेत में बिचड़ा गिराने के लिए शुभ माना जाता है। इस दौरान अगर एक दो दफा बारिश हो गई तो यह सोने पे सुहागा होगा।
संवाद सहयोगी, गोड्डा। जिला में लोकसभा चुनावी के सरगर्मी के बीच शनिवार से खरीफ की खेती के लिए महत्वपूर्ण माना जाने वाला रोहिण नक्षत्र प्रवेश करने जा रहा है। यहां से किसान अब अपने खरीफ की खेती की तैयारी में जुट जायेंगे। जहां इसके लिए किसान अब खेतों की जुताई में लग गये हैं ताकि तैयार खेत में बिचड़ा गिराया जा सके।
खेत में बिचड़ा गिराने के लिए रोहिणी नक्षत्र शुभ
माना जाता है जो किसान रोहिण नक्षत्र में धान का बिचड़ा गिराते हैं यह बिचड़ा बेहतर उपज देने वाली होती है। कृषि जानकार भी मानते हैं कि रोहिणी नक्षत्र खेत में बिचड़ा गिराने के लिए शुभ माना जाता है।
खेती के लिए यह नक्षत्र वरदान माना जाता है। हालांकि, सब कुछ परिस्थिति पर निर्भर करेगी अगर इस दौरान एक दो अच्छी वर्षा हो जाती है तो किसानों के लिए बिचड़ा गिराना आसान हो जायेगा।
जिले में खरीफ की खेती मानसूनी वर्षा पर निर्भर
तीन दिन पूर्व गोड्डा व आसपास के इलाकों में करीब 65 मिमी वर्षा रिकाॅर्ड कि गई थी जिससे कझिया सहित अन्य नदियों में हल्का पानी भी उतरा है।वहीं किसानों को भी उम्मीद है की रोहिणी नक्षत्र में एक दो मौके पर अच्छी वर्षा होती है तो वे लोग तैयार खेत में बिचड़ा गिरा देंगे वैसे भी जिला की खरीफ की खेती पूरी तरह से मानसूनी वर्षा पर आश्रित है लगभग 7-10 प्रतिशत ही भूमि सिंचित है। इधर रोहिण नक्षत्र के प्रवेश को लेकर किसानों की गतिविधि बढ़ चुकी है।
खेती के लिए जमीन होती जा रही है कम
इस बाबत मोतिया ओपी अंतर्गत डुमरिया ग्राम के किसान रामकिंकर झा, सिमरडा के अवधेश मंडल आदि ने कहा कि वे लोग अब खरीफ की खेती की तैयारी में लग चुके हैं।पहले खेतों को जोतकर तैयार किया जा रहा है इसके साथ ही यह भी प्रयास रहेगा कि अगर परिस्थिति कृषि के अनुकूल रहती है तो वे लोग रोहिण नक्षत्र में ही बिचड़ा गिराने का प्रयास करेंगे।वहीं दूसरी ओर लगातार बढ़ रही आबादी व उसकी जरूरत को पूरा करने के लिए हो रहे विकास कार्य से जिला में कृषि जोत की भूमि भी दिनों दिन कम होती जा रही है जहां पहले लोग धान उपजाया करते थे, वहां अब कंक्रीट का निर्माण हो रहा है। इनमें खासकर लोग घर, चहारदीवारी बना रहे हैं इसके साथ ही विकास को लेकर सड़क आदि का निर्माण हो रहा है, जिससे कृषि जोत कम होती जा रही है।
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