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आदिवासी महिलाएं बिना मिट्टी के ही उगा रही पौधे

संजय कुमार सिंह रायडीह (गुमला) गुमला जिले के रायडीह प्रखंड के 46 गांव की आदिवासी महि

By JagranEdited By: Updated: Thu, 09 Sep 2021 08:50 PM (IST)
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आदिवासी महिलाएं बिना मिट्टी के ही उगा रही पौधे

संजय कुमार सिंह, रायडीह (गुमला) : गुमला जिले के रायडीह प्रखंड के 46 गांव की आदिवासी महिला सहित अन्य महिलाएं बिना मिट्टी के ही पौधे उगा रहीं हैं। ये महिलाएं पौधे उगाने के लिए कोकोपीट विधि का इस्तेमाल कर रही हैं। बिना मिट्टी के सब्जियों के पौधे उगाए जा रहे हैं। रायडीह प्रखंड में पहली बार ऐसा प्रयास महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। रायडीह प्रखंड के 46 गांवों में ग्रामीण विकास विभाग जेएसएलपीएस जोहार परियोजना के सहयोग से यह संभव हो पा रहा है। किसानों के आमदनी को दोगुना करने के लिए उत्पादन में वृद्धि हेतु वैज्ञानिक पद्धति से व्यवसायिक सब्जी खेती की योजना बनी है, जिससे उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाया जा सके,आर्थिक विपन्नता दूर हो सके। --- कोकोपीट विधि से 15 दिनों में तैयार होते हैं पौधे

कोकोपीट (नारियल के छिलके का चूर्ण)में पारालाइट और कोलाइट के सम्मिश्रण से स्वायललेस सिडलिग (मिट्टी रहित) बनाया जाता है। यही कोकोपिट मिट्टी का दूसरा विकल्प है। इसे दक्षिण के राज्यों से आयात किया जा रहा है। इसे अलग अलग ट्रे में रखा जाता है। एक ट्रे में 104 सब्जी पौधे के सांचा की क्षमता है। इसी में उन्नत प्रभेद की विभिन्न प्रकार की सब्जियों का पौधा पॉली नर्सरी हाउस में तैयार किया जा रहा है। जो पंद्रह दिनों में तैयार हो जाता है, जिसमें शिमला मिर्च, टमाटर, मिर्च, फुलगोभी, बैगन आदि शामिल है। ----

कोकोपीट व मिट्टी में यह है अंतर कोकोपीट में तैयार पौधा को दूसरे दूसरे जगह प्रत्यारोपित करने में जड़ नहीं टूटेगी और ले जाने में सुविधाजनक है। तंदुरुस्त और स्वस्थ्य पौधा तैयार होगा। पौधों में पुष्ट फल तैयार होंगे। इस पौधे को धूप में लगा सकते हैं। जबकि मिट्टी में नर्सरी करने से कई प्रकार के जीवाणु व वायरस होता है जो पुष्ट होने नहीं देता है। उसे लगने पर पूरे खेत के पौधे रोग ग्रस्त हो जाते जिससे उत्पादन अपेक्षता कृत कम होता है।और किसान को नुकसान उठाना पड़ता है। --- इन किसानों को पहुंच रहा फायदा प्रखंड के इन 46 गांवों में पॉली नर्सरी हाउस बनाया गया है। जिसमें बकसपुर, भलमंडा, मरदा,लौकी, पीबो, जमगाई, लुदाम कोठाटोली, सिलम, सिकोई, परसा,बांसडीह,रघुनाथपुर, ऊंचडीह, पोगरा, सिपरिगा, पारा सीमा, जादी,लुरु, हेसाग, कांसी र, टुडू रमा, कांचोड़ा, लूंगा, केमटे, लाटू डूमरटोली, जर जट्टा, सलकाया, बिरकेरा,तुलमुंगा, रमजा, कोब्जा, झालिया बंध काटासारू,कूड़ो छत्तरपुर, रामडेगा, कोनकेल, कटकाया,केराडीह शामिल है। सब्जी खेती से 6 हजार किसान लाभान्वित होंगे और लगभग डेढ़ लाख पौधा तैयार होने के उपरांत खेतों में लगाया जायेगा। -----

कोट

कोकोपीट के माध्यम से सब्जी के पौधे उगा कर अब तक 40 हजार का टमाटर बेच चुकी है। इस विधि से मुझे बहुत फायदा हुआ है।

-आभा सेलेना बेक, ग्राम मरदा

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रायडीह प्रखंड के 46 गांवों में पॉली नर्सरी हाउस बनाया गया है। इससे ज्यादातर महिलाए ही जुड़ी है।

-बिमला देवी, ग्राम बासुदेवकोना केवल पौधा बिक्री करके एक लाख से अधिक मुनाफा कमाया है। शिमला मिर्च को चार रुपए प्रति पौधा और अन्य पौधा टमाटर, साधारण मिर्च एक रुपए प्रति पीस बेचते हैं।

-ललिता देवी ग्राम - बकसपुर

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