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अब भी लाइफलाइन है अरमई का प्राचीन तालाब

गुमला : समय के साथ लोगों का रहन-सहन, खान-पान धीरे-धीरे बदलने लगा है लेकिन कुआं-तालाब नदि

By JagranEdited By: Updated: Sat, 16 Jun 2018 08:58 PM (IST)
अब भी लाइफलाइन है अरमई का प्राचीन तालाब

गुमला : समय के साथ लोगों का रहन-सहन, खान-पान धीरे-धीरे बदलने लगा है लेकिन कुआं-तालाब नदियों का गांवों में अब भी वहीं महत्व बना है जो प्राचीन काल में था। गांव में तालाब का होना शान माना जाता था। बात तक की है जब गुमला में रातू महाराजा का शासन व्यवस्था लागू था और गुमला के अरमई गढ़ में जमीनदारों का शासन हुआ करता था। उस प्राचीन काल का एक तालाब जो अब भी जीवित है और एक हजार से अधिक लोगों के लिए अब भी लाइफ लाइन बना हुआ है। अरमई गढ़ का तालाब लगभग 110 साल से भी अधिक पुराना है। ग्रामीण कहते हैं कि अरमई में जमीनदारों का शासन था तब इस तालाब की खोदाई हुई थी। तालाब का पानी पीने, नहाने, खेतों में ¨सचाई का काम आता था। लोग स्नान करते थे और गढ़ के मंदिरों एवं देवी मंदिरों में पूजा करते थे। नए तालाब की खुदाई तो होती है, उस तालाब में बरसात के दिनों पानी लाल होता है और गर्मी में सूख जाता है। लेकिन अरमई गढ़ का यह तालाब में पानी कभी नहीं सूखता है और सालो भर गांव के लोग तालाब का उपयोग करते हैं। यह जमीनदारी तालाब है और इस तालाब का मालिकाना हक अब भी अरमई गढ़ के जमीनदारों के वंशज का है जो अरमई छोड़कर गुमला में बस गए हैं। अभी भी उस तालाब में मत्स्य पालन होता है। मत्स्य पालन से होने वाले आय का उपयोग श्री राम जानकी मंदिर के रख रखाव में होता है। तालाब के पानी का ग्रामीण नहाने आदि में उपयोग करते हैं। जीर्णोद्धार के अभाव में पानी गंदा हो जाता है

तालाब के एक हिस्सेदार जिप सदस्य सुबोध लाल कहते हैं कि अरमई गढ़ का तालाब 1908 के सर्वें में अंकित है। इससे यह साबित होता है कि यह तालाब काफी पुराना और ऐतिहासिक है। तालाब का अधिकार अभी उनके और उनके परिवार के सदस्यों का है लेकिन पानी का उपयोग सार्वजनिक है। ग्रामीण इस तालाब का उपयोग सालो भर करते हैं इसलिए साफ सफाई नहीं हो पाता है। साफ सफाई नहीं होने के कारण गर्मी के दिनों में पानी कम हो जाता है गंदा भी हो जाता है। साफ सफाई कराने के लिए तालाब का पूरा पानी को निकालना होगा। इसके लिए ग्रामीणों को कम से कम एक माह का समय देना होगा। तभी साफ सफाई संभव है।

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