पालकोट में 255 वर्षो से हो रहा नवरात्र का आयोजन
अमित केसरी पालकोट (गुमला) नागवंशियों की उप राजधानी पालकोट में 255 वर्षों से नवरात्र का
अमित केसरी, पालकोट (गुमला) : नागवंशियों की उप राजधानी पालकोट में 255 वर्षों से नवरात्र का आयोजन किया जाता रहा है। पालकोट में नागवंशियों का आरंभ से ही शासन होते रहा है। स्वतंत्र भारत में भी नागवंशी अब भी राजा महाराजा तो नहीं कहलाते लेकिन इस वंश के लोग अब भी बड़े और छोटे लाल की पद से विभूषित होते हैं। नागवंशी आरंभ से ही भगवान शिव के उपासक रहे हैं। लेकिन 1765 ई. में इस परिवार में एक महारानी विवाह कर लायी गई थी। महारानी ने नागवंशी राजा के साथ इस शर्त पर विवाह किया था कि वह शक्ति के उपासक हैं। वे अपने ससुराल में शक्ति की उपासना करेंगे। महारानी जब विवाह कर पालकोट लायी गई तो उनके साथ दशभुजी दुर्गा की प्रतिमा भी लेकर आयी थी। पालकोट के लालगढ़ किला में मां दशभुजी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मंदिर बनाए गए थे और 1765 ईस्वी में नांगवशी महराज यदुनाथ शाहदेव ने आदिशक्ति की उपासना की थी। महराज यदुनाथ शाहदेव द्वारा आदिशक्ति की उपासना की परंपरा इस वंश के लोग करते आ रहे हैं। यदुनाथ शाहदेव के वंशज विश्वनाथ शाहदेव, उदयनाथ शादेव, श्श्याम सुंदन शाहदेव, बलिराम शाहदेव, मुनीनाथ शाहदेव घृतनाथ शादेव, देवनाथ शाहदेव आदि शक्ति की उपासना करते रहे फिलहाल नागवंशी राजा लाल गोविद नाथ शाहदेव और लाल दामोदर शाहदेव इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। आदिशक्ति की पूजा की राजकीय परंपरा अब लोक परंपरा और आस्था का विषय बन गया है। आम लोग भी पालकोट की दशभुजी मंदिर में उपासना के लिए शिरकत करते हैं।
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