शिक्षा पदाधिकारी के आदेश को दिखाया ठेंगा! अब तक नहीं हो पाया छमाही परीक्षा का मूल्यांकन; दिया गया था डेडलाइन
सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा की छमाही परीक्षा का आयोजन 20 से 23 दिसंबर तक हुआ था। छमाही परीक्षा में जिस प्रकार के अनियमितता देखने को मिली। अब उससे भी ज्यादा मूल्यांकन कार्य में अनियमितता देखी जा रही। आलम यह है कि प्रखंडों और सुदूरवर्ती गांवों के स्कूलों की क्या जिला मुख्यालय के संकुल में भी सरकारी आदेश के खिलाफ काम चल रहे हैं।
संवाद सहयोगी, गुमला। सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा की 20 से 23 दिसंबर तक हुई अर्द्धवार्षिक परीक्षा में जिस तरह अनियमितता और आपाधापी छाई रही।
उससे कहीं अधिक मूल्यांकन कार्य में अनियमितता देखी जा रही है। प्रखंडों और सुदूरवर्ती गांवों के स्कूलों की क्या जिला मुख्यालय के संकुल में भी सरकारी दिशा-निर्देश के प्रतिकूल कार्य किए जा रहे हैं।
दो जनवरी से सात जनवरी तक था मूल्यांकन कार्य
दो जनवरी से सात जनवरी तक चलने वाले मूल्यांकन कार्य के लिए जारी दिशा-निर्देश केवल कागजों तक सिमटा हुआ है। जीसीईआरटी द्वारा आयोजित परीक्षा में सरकारी विद्यालयों समेत मॉडल स्कूल, अल्पसंख्यक स्कूल तथा सीएम उत्कृष्ट विद्यालय के बच्चे सम्मिलित हुए थे।इस परीक्षा के प्रश्न पत्र सह उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन तथा परीक्षाफल का प्रकाशन के वास्ते डीईओ व डीएसई ने संयुक्त रूप से विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं।
कॉपियों का मनमाने तरीके से कराया जा रहा मूल्यांकन
संकुल स्तर पर विद्यालयवार कॉपियों का आदान-प्रदान कर मूल्यांकन कार्य निष्पादित किए जाने सहित प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी एवं अवर विद्यालय निरीक्षक के नेतृत्व में मूल्यांकन कार्य का संपादन संबंधी स्पष्ट दिशा निर्देश के बावजूद कॉपियों का मनमाने तरीके से मूल्यांकन कराया जा रहा है।जिले के संकुल केंद्रों में विद्यालयवार उत्तर पुस्तिकाओं का आदान-प्रदान कर मूल्यांकन करने की बजाय संबंधित विद्यालय के प्रतिनियुक्ति शिक्षकों से खुद अपने ही विद्यालय की कापियां जंचवायी जा रही है।ऐसे में मूल्यांकन कार्य में जुटे शिक्षक भी पसोपेश में है कि आखिर अपने ही विद्यालय की कापियां का खुद से मूल्यांकन करने की स्थिति में मूल्यांकन कर्ता का हस्ताक्षर के स्थान पर स्वयं अपना हस्ताक्षर भला कैसे दर्ज करें।
यही कारण है कि कॉपियां चेक करने के बाद भी शिक्षक द्वारा हस्ताक्षर नहीं किया जा रहा है। ऐसे में यह भी पता नहीं चल पाएगा कि उत्तर पुस्तकाओं का जांच करने वाले कौन शिक्षक हैं।
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मूल्यांकन को लेकर प्रखंड स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। इसके बाद भी यदि इस कार्य में कोताही बरती जाती है तो संबंधित के विरुद्ध वरीय अधिकारियों के द्वारा कार्रवाई किया जाएगा।- पीयूष कुमार, एडीपीओ गुमला
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