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Gumla: बसिया में 30 महिलाएं मिनी डेयरी की शुरुआत कर बनीं आत्मनिर्भर, आगे गोबर गैस प्लांट लगाने का है प्‍लान

मन में कुछ करने की जज्बा हो तो फलीभूत होने में देरी नहीं लगती है। छह माह पूर्व 30 महिलाओं का समूह ने दूध उत्पादक समूह का गठन कर बिना सरकारी लाभ लिए मिनी डेयरी का काम शुरु किया है।

By Santosh KumarEdited By: Prateek JainUpdated: Sat, 25 Mar 2023 09:06 PM (IST)
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30 महिलाओं के समूह ने दूध उत्पादक समूह का गठन कर मिनी डेयरी का काम शुरु किया है।
बसिया (गुमला), श्रीकांत: मन में कुछ करने की जज्बा हो तो फलीभूत होने में देरी नहीं लगती है। ऐसा ही जज्बा के साथ काम करने वाली महिलाएं इन दिनों चर्चा में हैं।

छह माह पूर्व 30 महिलाओं के समूह ने दूध उत्पादक समूह का गठन कर बिना सरकारी लाभ लिए मिनी डेयरी का काम शुरु किया है।

सीआईएफ फंड से बैंक के माध्यम से प्रति महिला डेढ-डेढ़ लाख रुपया ऋण लिया और होलस्टीन फ्रिजीयन नस्ल की 30 गाय से डेयरी का काम शुरु कर दिया।

महिला घर की दहलीज से बाहर आकर आत्मनिर्भरता की कहानी लिख रही हैं। यह कहानी दूसरी महिलाओं को भी प्रेरणा दे रही हैं। अन्य महिलाओं को भी यह कहानी भाने लगा है।

इस कार्य से महिलाओं का न केवल परिवार और समाज में मान सम्मान बढ़ा, बल्कि उनके इस कार्य ने उन्हें आर्थिक रुप से भी मजबूत बनाया। प्रतिदिन कम से कम 300 लीटर दूध का उत्पादन इस डेयरी से होता है।

दूध बेचने की कोई टेंशन नहीं । रांची से मेधा डेयरी दूध लेने पहुंचता है और एकमुश्त दूध क्रय कर लेता है। 40 रुपये प्रति लीटर दूध की बिक्री होती है। प्रतिदिन भी उन्हें राशि भी मिल जाता है। महिलाओं को डेयरी का काम ऐसा भाने लगा है कि अब वे डेयरी से संबंधित अन्य कार्य भी करने का इच्छा जता रही हैं।

डेयरी प्रोडक्ट में है रुचि

महिलाएं केवल दूध उत्पादन तक ही सीमित नहीं रहना चाहती है बल्कि दूध से बनने वाले अन्य सामग्री का निर्माण करने का भी इच्छा जताती है।

दूध पाश्चराइज्ड के साथ-साथ दूध पैकेजिंग, पनीर, घी, दही आदि का भी निर्माण करना चाहती है। इसके अलावा गोबर से केचुआ खाद का निर्माण के साथ साथ गोबर गैस प्लांट लगाने के लिए भी तत्पर हैं।

शराबबंदी पर हो रहा है काम

राजकुमारी देवी, आश्रिता मिंज, दशमी कुल्लू, संगीता देवी, फ्लोरा सोरेंग, छुनु देवी, रजनी केरकेट्टा, लक्ष्मी देवी, संजीता मिंज आदि महिलाएं डेयरी से जुड़ी हैं। इनके चेहरे पर मुस्कान है।

वे कहती है कि यदि इस क्षेत्र में महिलाओं को डेयरी से जोड़ दिया जाए तो शराबबंदी स्वत: हो जाएगी। शराब बेचनेवाली महिलाओं को विकल्प देना होगा। बताया कि अब कई महिलाएं डेयरी से जुड़ना चाहती है।

बीडीओ रबिन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि बसिया प्रखंड में महिलाओं स्वरोजगार से जोड़कर पूरे जिले में दूध उत्पादन के क्षेत्र में मॉडल बनाने का लक्ष्य है।

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