नागपुरी के विकास के लिए अखड़ा संस्कृति को रखना होगा जिदा : मुकुंद नायक
संवाद सूत्र गुमला आधुनिकता के चकाचौंध में बिखरती नागपुरी भाषा कला संस्कृति पर नागपुरी क
संवाद सूत्र, गुमला : आधुनिकता के चकाचौंध में बिखरती नागपुरी भाषा, कला संस्कृति पर नागपुरी के प्रसिद्ध गायक पद्मश्री मुकुंद नायक ने चिता जतायी है। शादी पूर्व एक समारोह में भाग लेने उर्मी आए पद्मश्री ने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए यह चिता जताई है। कहा कि नागपुरी भाषा, कला संस्कृति छोटानागपुर की धरती का श्रृंगार है। यहां के लोगों की पहचान है। नागपुरी के विकास के लिए अखड़ा संस्कृति को जिंदा रखना होगा। पशु पक्षी की चहचहाहट और नदियों का कलकल निदाद से निकलती संगीत और पहाड़ पर्वत वन संपदा से जुड़ी गीत अब आधुनिकता के चकाचौंद में गुम हो रही है। कहा जाता था चलना ही यहां का नृत्य है और बोलना गीत। गीत संगीत और नृत्य का सून्वित प्रदर्शन के लिए गांव-आंव में अखड़ा होता था। अखड़ा में जाति धर्म से ऊपर उठकर लोग कला का प्रदर्शन करते थे। संस्कृति का गुणगान करते थे। डीजे संस्कृति ने नागपुरी भाषा कला संस्कृति को गौण कर दिया है। यह चिता का विषय है। नागपुरी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है। नागपुरी का महत्व, इसकी विशेाता, भाषा में मधुरता से आने वाले पीढ़ी को अवगत कराने के लिए नागपुरी को प्रारंभिक कक्षा से ही पाठ्यक्रम में शामिल करना होगा। बाल्यकाल से ही बच्चों को राग रागिनी की जानकारी देना होगा। मुकुंद नायक कहते हैं नागपुरी गीत संगीत में राग रागिनी चौबीस घंटे आठ पहर पर आधारित होता है। अब के युवा पीढ़ी को इसकी जानकारी नहीं है। पाठ्यक्रम में शामिल कर नागपुरी को जिदा रखना होगा। अखडा में वाद्ययंत्र बचाने के लिए नए पीढ़ी को अभिरूचि पैदा करना होगा। कहा कि नागपुरी भाषा में मधुरता है। बात करने में अपनत्व का बोध होता है। उन्होंने नागपुरी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए लोगों से सामूहिक प्रयास करने की अपील की है।