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कभी गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजता था यह इलाका, आज EVM की सुनाई दे रही बीप; जमकर हुआ मतदान

Lok Sabha Election 2024 एक वक्‍त था जब गुमला में नक्‍सलियों का आतंक सिर चढ़कर बोलता था लेकिन अब नक्‍सलियों के खात्‍मे के बाद यहां धूमधाम से लोकतंत्र का महापर्व मनाया गया। लोगों में मतदान को लेकर काफी उत्‍साह देखने को मिला। तेज धूप व गर्मी की परवाह किए बगैर लोग मतदान के लिए पहुंचे और वोट डालकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

By Santosh Kumar Edited By: Arijita Sen Updated: Tue, 14 May 2024 08:53 AM (IST)
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नक्‍सलियों के गढ़ गुमला में मनाया गया लोकतंत्र का महापर्व
संतोष कुमार, गुमला। Lok Sabha Election 2024 : गुमला में लोकतंत्र के महापर्व में हर वर्ग के मतदाताओं में उत्साह देखा गया। शहर से लेकर गांव तक केवल मतदान के लिए लोग सड़क पर दिखे। कड़ी धूप, लंबी कतार, हाथों में छाता, सिर पर कपड़ा, रुमाल से चेहरे के पसीने को बार-बार पोंछ रहे हैं, लेकिन मतदान को लेकर सबमें जोश, उत्साह और उल्लास दिखा।

गुमला कुरुमगढ़ पथ पर बांसडीह के समीप मतदान कर घर लौटते प्रभू दास उरांव व ललिता देवी

नक्‍सलियों के गढ़ में मतदान को लेकर उल्‍लास

जिन इलाकों में कभी नक्सलियों का आतंक रहता था वहां लोकतंत्र के महापर्व पर लोगों ने इतने उल्लास का परिचय दिया कि लोकतंत्र निखर उठा। गुमला जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर बांसडीह जंगल से निकली सड़क सीधे कुरुमगढ़ जाती है।

इस रास्ते का निर्माण ही नक्सलियों पर अंकुश लगाने के लिए किया गया था। दिन के 10 बजे हैं। कड़ी धूप है। घाटी पर दो वृद्ध लाठी टेकते आ रहे हैं। एक वृद्ध कोल्डा के रहने वाले प्रभू दास उरांव हैं, जबकि दूसरी ललिता देवी हैं। दोनों की उम्र 75 पार है।

ये सुबह ही अपने गांव से पांच किलोमीटर दूर राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय बांसडीह मतदान केंद्र गए थे। मतदान करने के बाद अपना घर लौट रहे हैं। पूछने पर बताते हैं कि पहले वोट नहीं देते थे तो अशांति का माहौल था। अब वोट इसलिए दिए हैं कि हमेशा इस क्षेत्र में शांति कायम रहे।

मतदान केंद्र के बाहर का दृश्‍य

तेज धूप में भी मतदान के लिए नहीं रूके कदम

आगे बढ़ने पर तेतरडीपा के समीप काफी संख्या में महिलाएं मतदान कर वापस लौटती दिखीं। बारडीह में भी मतदान करने के लिए लोग खड़े हैं। प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई वाहन का इंतजार है। इस गांव के बूथ को सुरक्षा कारणों से रिलोकेट कर दिया गया है।

आगे बढ़ने पर पुल पार कर तीन महिलाएं सुखमनी देवी, सीमा मिंज और अंजनी देवी मतदान कर वापस घर लौट रही हैं। तीनों महिलाएं घुसरी गांव की है। इनके गोद में दूधमुंहे बच्चे हैँ। जिसे कपड़े से बांध रखी है। धूप के कारण सिर के ऊपर छाता है।

मतदान कर तीनों महिलाएं वाहन का इंतजार करने में विलंब होता इसलिए पैदल ही घर के लिए चली है। आगे बढ़ने पर राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय सिविल चैनपुर पहुंचते हैं।

यह विद्यालय संकुल संसाधन केंद्र तबेला अंतर्गत है। इस विद्यालय के चारों ओर पहाड और जंगल है। इस विद्यालय में चार बूथ को रिलोकेट किया है।

चैनपुर में तैनात सुरक्षा बल के जवान

लोकतंत्र के प्रति लोगों ने दिखाई आस्‍था

सिविल से राघोडीह जो यहां से दो किमी, उर्रु सात किमी, बारडीह नौ किमी. और तबेला की दूरी 10 किमी है। अधिकार दूरी वालों को ट्रक, आटो और बस उपलब्ध कराया गया था। मतदान केंद्र के भीतर और बाहर लोगों की भीड़ बता रही थी कि लोग लोकतंत्र के प्रति कितना आस्थावान हैं।

यहां 11 बजे तक 43 प्रतिशत मतदान हो चुका था। मतदान केंद्र में वालंटियर तैनात थे। प्राथमिक उपचार की सुविधा थी। पीने का पानी भी उपलब्ध कराया गया था।

दिव्यांगों के लिए व्हील चेयर भी रखी गई थी। सुरक्षा की कमान सीआरपीएफ के हाथों में थी। मतदान केंद्र के बाहर लोग चर्चाएं कर रहे थे। चर्चा के क्रम में ही लोग बता रहे थे कि तीन और 10 नंबर पर अधिक वाेट पड़ रहा है।

घाघरा के टोटांबी बूथ में वृद्ध मतदाता

नक्‍सलियों के खात्‍मे से पुलिस व सुरक्षा बल भी निश्‍चिंत

मतदान केंद्र के बाहर थोड़ी ही दूर पर वृद्ध अलिसा खलखो भी मतदान कर चुकी है। आज उसने घर के काम से छुट्टी ले ली है। वह उस रास्ते से आने जाने वाले हर आदमी को पानी पिला रही है।

उसका मानना है कि लोकतंत्र का धर्म निभाने वाला व्यक्ति को पानी पिलाकर वह मानवता का धर्म निभा रही है। आगे बढ़ने पर सड़कों पर सन्नाटा है। नक्सली के खात्मा होने से पुलिस और सुरक्षाबल भी तनाव में नहीं है।

यही कारण है कि जिला मुख्यालय से नक्सल प्रभावित रहे क्षेत्र तक एक भी पेट्रोलिंग वाहन , सुरक्षा बल के जवान रास्ते में कहीं नहीं दिखे। आगे बढ़ने पर मुस्लिम बहुल गांव कोटाम, कतरी में शांति पूर्ण मतदान हो रहा है।

घाघरा प्रखंड के अरंगी पंचायत भवन में भी मतदान हो रहा है। यहां भी अंदर और बाहर काफी संख्या में लोगों की भीड़ है। मतदान को लेकर लोग उत्साहित हैं और प्रत्याशी के हार जीत का आकलन कर रहे हैं।

बिशुनपुर प्रखंड में ट्रक पर सवार होकर मतदान करने जाते ग्रामीण

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