शिक्षा विभाग का कारनामा: टीचर को बना दिया ठेकेदार, हाईकोर्ट के आदेश के बाद वर्षों बाद मिला था वेतन
गुमला के एक शिक्षक के वेतन में विभाग ने गड़बड़ी कर दी है। शिक्षक को ठेकेदार बताकर टीडीएस गलत धारा में जमा किया गया जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। शिक्षक ने विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है और उपायुक्त से शिकायत की है। कार्रवाई न होने पर उन्होंने उच्च न्यायालय जाने की चेतावनी दी है।
जागरण संवाददाता,गुमला। गुमला शहर के लुथेरान मध्य विद्यालय के सहायक शिक्षक लालकायरियुस मिंज को विभाग ने कॉन्ट्रैक्टर बताकर उनके वेतन से काटे गए आयकर को ठेकेदारी मद सेक्शन 194 सी में दर्ज कर दिया।
यह मामला केवल एक साधारण गलती नहीं, बल्कि गंभीर विरोधाभास और संदेहास्पद अनियमितता है, क्योंकि विभागीय डीडीओ द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित फार्म 16 में शिक्षक की पूरी आय स्पष्ट रूप से वेतन मद अर्थात सेक्शन 192 में दर्ज है।
सवाल यह है कि जब आधिकारिक दस्तावेज में वेतन मद साफ-साफ अंकित है, तो पोर्टल पर उसे ठेकेदारी मद सेक्शन 194सी में क्यों चढ़ाया गया?
छह माह तक छिपा रखा टीडीएस
फरवरी 2025 में शिक्षक को हाईकोर्ट के आदेश पर कुल 82.91 लाख वेतन भुगतान किया गया। वहीं 22.41 लाख टीडीएस के रूप में काटा गया। लेकिन विभाग ने यह राशि लगभग छह माह तक ट्रेसेस पोर्टल पर दर्ज ही नहीं की।
14 जुलाई व 19 अगस्त को दो-दो आवेदन देने के बाद ही प्रविष्टि की गई, वह भी गलत धारा में। इस ग़लती की वजह से शिक्षक आयकर अधिनियम की धारा 89(1) और फार्म 10ई के तहत रिलीफ आन एरियर सैलरी का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
नतीजतन वे आयकर रिटर्न दाखिल करने और रिफंड क्लेम की वैधानिक समय सीमा से वंचित हो रहे हैं। शिक्षक का आरोप है कि विभागीय लापरवाही से मुझे जानबूझकर आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग के प्रधान लिपिक रंजीत ने मौखिक रूप से शिक्षक को कहा कि रांची जाकर पंकज झा नामक व्यक्ति से मिलिए, तभी काम होगा।
बिना पत्र के इस प्रकार के मौखिक आदेश के बाद यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या सरकारी कामकाज अब बिचौलियों और निजी मुलाकातों पर निर्भर है? यह सवाल और भी गहरे संदेह को जन्म देता है कि कहीं यह मात्र त्रुटि नहीं बल्कि सुनियोजित गड़बड़ी तो नहीं?
थक हारकर शिक्षक ने गुमला के उपायुक्त और प्रधान महालेखाकार (लेखा व हकदारी) झारखंड को आवेदन भेजकर गलत प्रविष्टि को सुधारकर धारा 192 में सैलरी के तहत प्रदर्शित किए जाने का अनुरोध किया है।
साथ ही संशोधित फार्म 16 जारी किया जाने के आलावा इस तरह की संदिग्ध कार्रवाई की विभागीय जांच और कार्रवाई की मांग की है। परेशान शिक्षक ने चेतावनी भी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला आयकर विभाग सीपीसी बेंगलूर और उच्च न्यायालय तक ले जाया जाएगा।
यह मामला केवल एक शिक्षक की परेशानी नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र पर सवाल है। जिन शिक्षकों पर नौनिहालों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है अगर वही शिक्षक विभागीय हुक्मरानों की लापरवाही और संदिग्ध रवैये से आर्थिक क्षति और मानसिक उत्पीड़न झेलने को बाध्य रहेंगे तो भला शिक्षा की लौ कितनी उजली रह पाएगी।
क्या कहते हैं अधिकारी?
मामला संज्ञान में है। इसे दुरुस्त करने के लिए विभाग द्वारा कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराने की बात कही गई है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक को से भी बात हुई है। सुधार कराने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। -नूर आलम खां, जिला शिक्षा अधीक्षक गुमला
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