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हनुमान, जामवंत और नल-नील के साथ झारखंड के इसी जगह रहते थे सुग्रीव, ऋषि से मिले श्राप के कारण बाली की थी 'नो एंट्री'

झारखंड के गुमला जिले में कई ऐसे पौराणिक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं जिनका जिक्र रामायण में है। यहां आंजनधाम है जहां रामभक्‍त हनुमान का जन्‍म हुआ था। डुमरी में बाबा टांगीनाथ धाम है जिसे परशुराम की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है। यहां परशुराम की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है। यहां ऋष्यमुख पर्वत भी है जहां सुग्रीव रहा करते थे।

By Santosh Kumar Edited By: Arijita Sen Updated: Fri, 19 Jan 2024 04:42 PM (IST)
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सुग्रीव की राजधानी रहा है पालकोट का ऋष्यमुख पर्वत पर हनुमंत गुफा।
संवाद सहयोगी, गुमला। गुमला जिले में कई पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं। यहां के कई तीर्थ स्थल का वर्णन रामायण में वर्णित है। आंजनधाम जिसे रामभक्त हनुमान की जन्मस्थली बताया जाता है। डुमरी स्थित बाबा टांगीनाथ धाम परशुराम की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है। यहां भगवान शिव विराजमान हैं। इसी तरह पालकोट प्रखंड के भी कई स्थल पौराणिक काल से जुड़े हुए हैं।

इसी पर्वत पर रहते थे सुग्रीव

रामायण जैसे ग्रंथ में भी इनका वर्णन है। ऋष्यमुख पर्वत का इतिहास भी काफी प्राचीन है। इस पर्वत में सुग्रीव अपने मंत्रियों के साथ रहा करते थे। बाली ने जब सुग्रीव को अपने दरबार से निकाल दिया, तब सुग्रीव इसी पर्वत शिखर पर अपने मंत्री हनुमान, जामवंत और नल-नील के साथ रहते थे। बाली को ऋषि से मिले श्राप के कारण वह इस पर्वत पर नहीं आ सकता था और इससे सुग्रीव और उसके मंत्री सुरक्षित थे।

पर्वत पर मौजूद सरोवर कभी नहीं सूखता

यहां घोड़लता गुफा है। जिसे बाली सुग्रीव का गुफा बताया जाता है। घोड़लता गुफा प्रसिद्ध है। इस गुफा में गर्मी के दिनों में शीतलता छाई रहती है। इस पर्वत के तलहटी में निर्झर झरना है, जहां सालों भर पीने योग्य शीतल जल रहता है। पालकोट के घरों तक यहीं का पानी पहुंचता है। ऋष्यमुख पर्वत के ऊपर सरोवर है। जो कभी नहीं सूखता है। यहां सालोंभर पानी भरा रहता है।

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