बिहार में शराबबंदी झारखंड के लिए साबित हुई अभिशाप, सैकड़ों लोगों ने गंवाई जान... कई युवा हुए बर्बाद
आठ साल पहले बिहार में हुई शराबबंदी का असर झारखंड में भी देखने को मिला। शराबबंदी के कारण झारखंड से सटे सीमावर्ती इलाकों में बहुत कुछ बदल गया और इन इलाकों में अवैध शराब का कारोबार ऐसा पनपा कि दोनों ही राज्यों के कई परिवार पर बहुत बुरा असर पड़ा। शराबबंदी ने सैकड़ों लोगों की जिंदगी लील ली और कई युवाओं का भविष्य तबाह हो गया।
विकास कुमार, हजारीबाग। आठ साल पहले बिहार में हुई शराबबंदी ने झारखंड से सटे सीमावर्ती इलाकों में बहुत कुछ बदल कर रख दिया है। शराबबंदी की वजह से इन इलाकों में अवैध शराब का कारोबार ऐसा पनपा कि इससे दोनों ही राज्यों में कई परिवार तबाह हो गए।
बिहार में अवैध शराब ने पिछले पांच सालों के दौरान सैकड़ों लोगों की जान ले ली तो झारखंड में इस कारोबार में लगे कई युवाओं का भविष्य तबाह कर कर दिया। ऐसे ही तस्वीर बिहार-झारखंड सीमा से लगे हजारीबाग जिले में पड़ने वाले भगहर गांव की है।
अवैध शराब के कारोबार का फैला है जाल
विशेषकर भगहर में पहुंचने पर यहां के ग्रामीणों को दर्द समझ में आता है। हजारीबाग से 80 किलोमीटर दूर जंगल और पहाड़ी से घिरे इस गांव में शराब माफियाओं के डर से कोई खुल कर बात तक नही करना चाहता।गांव से गुजरने वाली ढाढर नदी ही दोनों राज्यों को बांटती है। अवैध शराब का यहां ऐसा जाल फैला है कि जंगल के हर कोने में शराब की भट्टियां नजर आती हैं। भगहर से सटे परसातरी गांव में सरकारी विद्यालय के पीछे अवैध शराब बन रहा है।
पंचायत के मुखिया शराब को लेकर किया ये खुलासा
हालांकि, पंचायत के मुखिया कृष्णा रविदास अवैध शराब को लेकर मुखर हैं। बताते हैं कि शराब को रोकने के लिए क्या नहीं किया। डीसी से मिला, एसपी से मिला। पुलिस पिकेट बनाने की मांग की लेकिन कुछ नही हुआ।बातों बातों में बताते हैं कि भगहर के आस-पास 500 से अधिक देसी शराब की भट्टियां चल रही हैं। यहां से शराब बनाते हैं और नदी के उस पार बिहार पहुंचा आते हैं। शराब बनाने के लिए पानी नदी से ला रहे और भट्टी के जंगलों को उजाड़ रहे हैं।
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