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'बधाई हो! बेटा हुआ है... अरे नहीं नहीं बेटी हुई है', नवजात बदलने का आरोप लगाकार मां-बाप ने कर दी ये डिमांड

Jharkhand News झारखंड के शेख भिखारी मेडिकल कालेज अस्पताल में बुधवार की रात जमकर हंगामा हुआ। दो महिलाओं का आपरेशन कर प्रसव कराया गया था। इसमें एक को बालक और दूसरे को बालिका हुई थी । ओटी असिस्टेंट जब बच्चे को लेकर स्वजन को सौंपने गए तो गलत बयान दे दिया जिसको लेकर स्वजन ने जमकर हंगामा किया ।

By Raman PriyaEdited By: Aysha SheikhUpdated: Fri, 08 Dec 2023 11:36 AM (IST)
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नवजात बदलने का आरोप लगाकार मां-बाप ने कर दी ये डिमांड

जागरण संवाददाता, हजारीबाग। शेख भिखारी मेडिकल कालेज अस्पताल के लेबर ओटी में बुधवार की रात को नवजातों को बदलने की बात पर हाई वोल्टेज ड्राम चला। स्वजन ओटी असिस्टेंट पर बच्चा बदलने का आरोप लगा रहे थे।

इसकी सूचना मिलते ही सदर विधायक मनीष जायसवाल भी अस्पताल पहुंचे। उन्होंने डाक्टर व अन्य कर्मियों को इस बात के लिए फटकार लगाई और अस्पताल प्रबंधन व जिला प्रशासन से डीएनए टेस्ट कराकर उचित कार्रवाई करने की मांग की है। इधर, अस्पताल प्रशासान बच्चा बदलने के आरोप को निराधार बता रहा है।

कैसे शुरू हुआ विवाद? 

बुधवार की रात दो महिलाओं का आपरेशन कर प्रसव कराया गया था। इसमें एक को बालक और दूसरे को बालिका हुई थी। ओटी असिस्टेंट जब बच्चे को लेकर स्वजन को सौंपने गए, उस वक्त उससे गलत बयानी हो गई। स्वजन बच्चा बदलने की बात कहकर विवाद करने लगे।

एक पक्ष के दीपिका कुमारी और अरुण कुमार राणा ने ओटी असिस्टेंट पर आरोप लगाया कि पहले उन्हें बताया गया कि लड़का हुआ है। बालक शिशु को उन्हें गोद में भी दिया गया, लेकिन 15 मिनट बाद ही फिर सूचना दी गई कि आपको बेटी हुई है। इसके बाद उनसे बच्चा वापस ले लिया गया। हालांकि कर्मियों का कहना है कि भूलवश ऐसा हुआ है।

मामला बढ़ता देख सदर विधायक मनीष जायसवाल भी पहुंचे। उन्होंने स्वजनों को समझाया और उन्हें आश्वस्त किया की उन्हें न्याय मिलेगा। आपरेशन करने वाली डाक्टर ने बीएचटी में दोनों महिलाओं से संबंधित अपनी रिपोर्ट में बालक और बालिका के संबंध में बयान दिया है। फिलहाल दोनों बच्चों को एसएनयीयू में भर्ती किया गया है। डीएनए रिपोर्ट आने में लगभग 10 दिनों का समय लग जाता है। ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि 10 दिनों तक दोनों बच्चों को कहां रखा जाएगा।

जटिल है डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया

अस्पताल प्रबंधन ने डीएनए टेस्ट का निर्णय तो ले लिया है, लेकिन यह प्रक्रिया काफी जटिल है। सबसे पहले स्वजन को थाने में आवेदन देना होगा। इसके बाद मामला कोर्ट में जाएगा। कोर्ट के निर्देश व दंडाधिकारी की नियुक्ति के बाद ही डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया शुरू होगी। स्वजनों ने अबतक थाने में आवेदन नहीं दिया है।

बच्चा बदलने का आरोप निराधार है। प्रसव कराने वाली डाक्टर द्वारा बीएचटी में सभी कुछ वर्णित किया गया है। फिर भी यदि स्वजनों को किसी प्रकार की शंका है, तो उनके द्वारा मांग किए जाने पर दोनों बच्चों और माता-पिता का डीएनए टेस्ट कराया जा सकता है। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद उसके आधार पर स्वजनों को बच्चा सौंप दिया जाएगा। - डा. प्रो. विनोद कुमार, अधीक्षक, शेख भिखारी मेडिकल कालेज अस्पताल, हजारीबाग।

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