यहां के गुलाब जामुन के क्या ही कहने! खुद अटल बिहारी वाजपेयी भी कर चुके तारीफ, गाड़ी रोक स्वाद चखते हैं सेलेब्रिटीज
हजारीबाग जिला मुख्यालय से महज 26 किलोमीटर दूर बगोदर-धनबाद एनएच 100 पर स्थित टाटीझरिया के गुलाब जामुन का स्वाद कुछ ऐसा है कि बड़े-बड़े नेता-मंत्री यहां गाड़ी रोककर चाय नाश्ता करने के बाद ही आगे सफर तय करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर प्रदेश के मुखिया हेमंत सोरेन तक इसके कायल हैं। इसे बनाने का दौरा 1948 से शुरू हुआ था।
मिथिलेश पाठक, टाटीझरिया (हजारीबाग)। हजारीबाग जिला मुख्यालय से महज 26 किलोमीटर दूर बगोदर-धनबाद एनएच 100 पर स्थित टाटीझरिया के गुलाब जामुन को आखिर कौन नहीं जानता है। यहां के गुलाब जामुन में इतना जादू है कि इस रूट से गुजरने वाली लगभग सभी गाड़ियां यहां बरबस जरूर रुकती हैं और लोग गुलाब जामुन का लुत्फ लेते हैं।
1948 से शुरू हुआ था यहां गुलाब जामुन बनाने का काम
टाटीझरिया के गुलाब जामुन ने न केवल इस क्षेत्र की पहचान हजारीबाग जिले में बनाने का काम किया है,बल्कि झारखंड से लेकर बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, राजस्थान और बंगाल तक के लोग यहां के गुलाब जामुन के स्वाद की चर्चा करते हैं।
1948 में स्व वासुदेव चौधरी ने गुलाब जामुन बनाकर बेचने की शुरुआत की थी। तब उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि यह गुलाब जामुन न केवल क्षेत्र की पहचान बनेगा, बल्कि टाटीझरिया की व्यावसायिक क्षमता बढ़ाने का भी काम करेगा।
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6 से 20 रुपये पीस मिलता है गुलाब जामुन
वर्तमान समय में यहां दर्जनों गुलाब जामुन की दुकानें हैं। इस कार्य से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है। यहां गुलाब जामुन 6 रुपये पीस से लेकर 20 रुपये पीस तक एवं 160 से 400 रुपये किलो तक बिकता है। गुलाब जामुन की बिक्री बढ़ने से यहां के दूध व्यवसाय को भी काफी बढ़ावा मिला है।
शुद्ध घी के बने इस गुलाब जामुन के स्वाद की प्रशंसा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी कर चुके हैं। यहां के गुलाब जामुन का स्वाद ही है कि लालू यादव, शिबू सोरेन, अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, हेमंत सोरेन, यशवंत सिन्हा, जयंत सिन्हा इस रूट से गुजरने पर यहां का गुलाब जामुन खाना नहीं भूलते।
दुकान में बनती है और भी कई लजीज मिठाइयां
अब यहां के होटलों में विभिन्न प्रकार की मिठाइयां भी बनने लगी हैं, जिनमें खीरमोहन, राजभोग, हीरामणि, पेड़ा, कलाकंद, समेत अन्य मिठाइयां व नमकीन भी शामिल हैं। यहां के होटलों में खाना भी स्वादिष्ट मिलता है। जिसने भी यहां एक बार रुककर खाना खाया, उसने तय कर लिया कि इस रूट से गुजरने परटाटीझरिया में ही चाय-नाश्ता करनी है।
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