कुंती देवी की शादी हजारीबाग के मुकेश कुमार उर्फ राकेश कुमार के साथ हुई थी लेकिन राकेश का बबीता देवी नामक एक महिला के साथ नाजायज संबंध था। दोनों ने कुंती को अपने रास्ते से हटा दिया। पहले उसकी हत्या की फिर तेजाब से उसके शव को जलाया। इसके बाद इसे दफनाया। कुंती देवी के पिता ने शक के आधार पर दामाद के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
By arvind ranaEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 20 Sep 2023 09:51 AM (IST)
संवाद सहयोगी, हजारीबाग। वर्ष 2022 में कोर्रा थाने में दर्ज कुंती देवी हत्याकांड में मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश केएम प्रसाद ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा पाने वालों में पति मुकेश कुमार उर्फ राकेश कुमार और उसकी प्रेमिका बबीता देवी शामिल हैं।
दोषियों पर कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया
कोर्ट ने मुकेश कुमार को भारतीय दंड विधान की धारा 302 एवं 120 के तहत आजीवन कारावास और दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी।
वहीं, प्रेमिका बबीता देवी को आइपीसी की धारा 120 के तहत आजीवन कारावास और दस हजार रुपये जुर्माना की सजा दी है।
जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर दो महीने का अतिरिक्त सजा होगा। दोनों दोषियों को भारतीय दंड विधान की धारा 201 के तहत 5 साल और पांच हजार रुपए जुर्माना की सजा भी हुई है।
नाजायज रिश्ते के लिए पत्नी की हत्या
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बबीता देवी को भारतीय दंड विधान की धारा 302 के तहत दोषी नहीं पाया गया है।
यह मामला मृतिका कुंती देवी के पिता मोहन महतो के आवेदन के आधार पर कोर्रा थाना में मामला कांड संख्या 152/22 दर्ज किया गया था।
कुंती देवी की शादी सिंदूर, हजारीबाग में मुकेश कुमार उर्फ राकेश कुमार के साथ हुई थी।
जानकारी के अनुसार, बबीता देवी का मुकेश कुमार के साथ नाजायज संबंध था, जिसके कारण दोनों ने मिलकर पहले कुंती देवी की हत्या की। बाद में शव को
तेजाब से जलाकर जंगल में दफना दिया था।
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आखिरकार पीड़िता को मिला न्याय
जब सूचक की बेटी नहीं मिलने लगी तब उन्होंने मामला थाना में दर्ज कराया। जिसके बाद पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की, तो मुकेश कुमार ने अपने
अपराध को स्वीकार कर लिया था।
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक भारत राम ने दस गवाहों का बयान कोर्ट के समक्ष अंकित कराया, जिसमें अनुसंधानक और डॉक्टर के बयान भी शामिल हैं।
साथ ही कई प्रदर्श भी कोर्ट के समक्ष अंकित कराए। वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जवाहर प्रसाद एवं अधिवक्ता महेंद्र कुमार पैरवी कर रहे थे। बाद में कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों और बहसों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया।
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