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NEET UG Paper Leak Case में एक और बड़ा खुलासा! हजारीबाग में फेल हो गया था...

NEET UG Paper Leak Case नीट परीक्षा में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे परत दर परत तथ्य सामने आ रहे हैं। जांच में यह खुलासा हुआ है कि एनटीए ने पांच मई को आयोजित परीक्षा के लिए डिजिटल लॉक की व्यवस्था की थी मगर सिस्टम फेल हो जाने के कारण यह व्यवस्था काम नहीं आ सकी। बुकलेट बाक्स पर यह लाक लगा था।

By Vikash Singh Edited By: Shashank Shekhar Updated: Tue, 25 Jun 2024 08:17 AM (IST)
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NEET UG Paper Leak Case में एक और बड़ा खुलासा! हजारीबाग में फेल हो गया था... (फाइल फोटो)

विकास कुमार, हजारीबाग। NEET UG Paper Leak Case नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने पांच मई को आयोजित हुई नीट परीक्षा में पहली बार डिजिटल लाक की व्यवस्था की थी। बुकलेट बाक्स पर यह लॉक लगाया था। हालांकि, एनटीए की यह नई व्यवस्था धरी की धरी रह गई थी।

जानकारी के अनुसार परीक्षा के दिन यानि पांच मई को दोपहर 1.15 बजे में इस लाक को आटोमेटिक खुलना था। लेकिन, हजारीबाग समेत देश के अधिकांश केंद्रों में इस लाक ने काम ही नही किया। हजारीबाग के पांचों केंद्रों की भी यही स्थिति बनी रही। करीब पांच से 10 मिनट तक इंतजार करने के बाद इसकी सूचना एनटीए को दी गई थी।

वहां से निर्देश प्राप्त होने के बाद बाक्स के साथ ही भेजे गए हेक्सा ब्लेड से बाक्स को कट कर प्रश्न पत्र निकाले गए थे। इसकी पुष्टि हजारीबाग में सीबीएसइ के को-आर्डिनेट व ओएसिस स्कूल के प्राचार्य एहसानुल हक ने भी की है। बाक्स समय पर नही खुलने की वजह से अफरा-तफरी की स्थिति भी बन गई थी।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सेंटर पहुंचने के पहले ही इस डिजिटल लाक के साथ छेड़छाड़ कर दी गई थी, जिस वजह से यह पूरा सिस्टम ही क्रैश कर गया। आर्थिक अपराध इकाई बिहार (इओयू) ने इसकी संभावना को देखते हुए ही ट्रांसपोर्टर की भूमिका पर संदेह जताया था । इसकी गहन जांच भी की जा रही है।

छेड़छाड़ के अंदेशे पर ही बुकलेट के दो ट्रंक को जब्त कर इओयू पटना लेकर गई थी। हालांकि, इओयू के बाद इसे पूरे प्रकरण की जांच सीबीआइ सौंप दी गई है। अब आगे की जांच में यह बिंदू अहम कड़ी साबित हो सकता है।

परीक्षा के दो दिन पहले केंद्रों में लगाए गए थे कैमरे

केंद्रों की निगरानी के लिए एनटीए ने तो फुलप्रूफ व्यवस्था की थी लेकिन, इसकी परीक्षा की सबसे अहम कड़ी में शामिल बुकलेट (प्रश्न पत्र) पहुंचाने वाला ट्रांसपोर्टर ब्लू डार्ट इससे पूरी तरह बाहर था। केंद्रों की निगरानी के लिए परीक्षा के दो दिन पहले हजारीबाग के सभी पांच केंद्रों में एनटीए की टीम ने सीसीटीवी व डीबीआर लगाया था।

प्रश्न पत्र के ट्रंक जहां रखे जाने थे वहां तक कैमरे लगे थे। ताकि परीक्षा केंद्रों में ट्रंक से कोई छेड़छाड़ नही हाे सके। परीक्षा के दो दिन बाद सात मई को इसे खोलकर वापस एनटीए भेजा गया। लेकिन दूसरी और ट्रांसपोर्टर इसे पूरे प्रकरण में लापरवाही बरतता रहा। ट्रांसपोर्ट की जिम्मा संभालने वाली कंपनी बिना किसी सूचना के तीन मई को प्रश्न पत्र रांची से हजारीबाग लाने के क्रम में

बैंक पहुंचाने से पहले छह किलोमीटर दूर ओरिया बाइपास में रोक दिया। इसकी सूचना तक किसी को नही दी। वहां से भी मनमाने तरीके से बैट्री वाली गाड़ी से नौ ट्रंक को लोड कर एसबीआइ मेन ब्रांच भेजा गया था।

जांच में यह भी बात सामने आई है कि पूछताछ में कंपनी की ओर से बताया गया है कि ट्रक के चालक ने बैंक तक गाड़ी को जाम की वजह से जाने से इनकार कर दिया था, जिस वजह से बाइपास में ट्रक को रोका गया था और फिर वहां से बैट्री वाली गाड़ी से प्रश्नों को बैंक तक पहुंचाया गया था।

सूत्र यह भी बताते हैं कि बैंक नही पहुंचना वाला ट्रक काफी देर तक हजारीबाग में ही था। इसकी तलाश के लिए इओयू बिहार की टीम रांची भी गई थी।

परीक्षा के दिन आया था फर्जी परीक्षार्थी को लेकर फोन

परीक्षा के दिन में हजारीबाग में कोई खेल चल रहा था। पांच मई को डीएवी स्कूल में परीक्षा के दौरान भी फोन कर एक फर्जी परीक्षार्थी को लेकर सीबीएसइ के को-आर्डिनेट को फोन आया था। उसके बुकलेट नंबर की जानकारी दी गई थी। इस सूचना के बाद तत्काल उस छात्र की जांच की गई थी। एडमिट कार्ड से लेकर उसकी बायोमीट्रिक मिलान किया गया था। इसमें

परीक्षार्थी सही पाया गया था। इसकी जानकारी और रिपोर्ट भी एनटीए को की गई थी। यह प्रश्न पत्र लीक मामले सामने आने यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि कही परीक्षा माफियाओं द्वारा ध्यान भटकाने के लिए तो फर्जी काल व सूचनाएं प्रकाशित नही किए गए थे।

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