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Lok Sabha Polls 2019: प्रमंडलीय मुख्यालय में नहीं है बड़े शहरों की तर्ज पर सुविधाएं

Lok Sabha Polls 2019. कहने को तो हजारीबाग उत्तरी छोटानागपुर का प्रमंडलीय मुख्यालय है। लेकिन लोगों के लिए प्रमंडलीय मुख्यालय जैसी सुविधाएं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Tue, 19 Mar 2019 08:12 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: प्रमंडलीय मुख्यालय में नहीं है बड़े शहरों की तर्ज पर सुविधाएं
हजारीबाग, [रमण कुमार]। कहने को तो हजारीबाग उत्तरी छोटानागपुर का प्रमंडलीय मुख्यालय है। प्रमंडल स्तर के सभी सरकारी कार्यालय भी यहां पर है। लेकिन नहीं है तो लोगों के लिए प्रमंडलीय मुख्यालय जैसी सुविधाएं। चाहे वह चौड़ी व साफ-सुथरी सड़कों की बात हो, या सही ढंग से प्रबंध की गई बाजार की दुकानें या शहर में चलनेवाले दो पहिया व चार पहिया वाहनों के लिए समुचित पार्किंग व्यवस्था, ट्रैफिक लाइट।

इस कारण आज भी हजारीबाग का बाजार किसी कस्बे के बाजार जैसा ही दिखता है। बस फर्क दिख रहा है तो सड़कों के किनारे लगनेवाले टाइल्स हैं। बाकी सब कुछ पुराना ही है। वैसे राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों व सरकारी मुलाजिमों के द्वारा शहर को आधुनिक बनाने के बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हो पाया है। इस कारण प्रमंडलीय मुख्यालय में रहनेवाली जनता आज भी तंग व गंदगियों से भरी सड़कों पर चलने व जाम की समस्या से दो-चार होने के लिए विवश है।

शहर के बीच से गुजरनेवाले नेशनल हाइवे के लिए बननेवाली बाइपास सड़क अब तक पूरी नहीं हो पाई है। वहीं शहर में ट्रैफिक का दबाव कम करने व बिना शहर में प्रवेश किए हजारीबाग होते हुए कही और जाने के लिए रिंग रोड के निर्माण कराने का वादा भी अब तक परवान नहीं चढ़ सका है। प्रमंडलीय मुख्यालय में रहकर भी बड़े शहरों की तर्ज पर सुविधाएं नहीं मिल पाने की कसक आज भी यहां के लोगों के दिल में है।

वहीं राजनीतिक दल लोगों की इस दिली ख्वाहिश को मुद्दा तो जरूर बनाते हैं, लेकिन पूरा करने का बीडा नहीं उठाते हैं। शहर में आज से लगभग साठ सत्तर वर्ष पूर्व बनायी गई सड़कों की चौड़ाई अब भी वही है। जबकि बढ़ती आबादी का दबाव सड़कों के चौड़ीकरण व अतिक्रमण मुक्त करने की मांग करती है। लेकिन अंग्रेजों के समय का शहर का मुख्य बाजार का मेन रोड की चौड़ाई इतनी कम है कि उससे चार पहिये वाहन की बात दूर दो पहिए वाहन से गुजरना काफी परेशानी भरा होता है।

वहीं नगर निगम प्रशासन के द्वारा भले ही 549 करोड़ का वार्षिक का हो लेकिन निगम क्षेत्र के लोगों को अब भी दो पहिये व चार पहिए वाहनों के लिए पार्किंग व्यवस्था उपलब्ध कराने में असफल रहा है। इससे दु:खदायी बात लोगों के लिए और क्या हो सकती है।

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