74 वर्ष में एक बार आई सिर्फ 20 मिनट के लिए बिजली
प्रमोद विश्वकर्मा बरही (हजारीबाग) आजादी के 74 वर्ष बाद भी एक गांव को रोशनी की तलाश है।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 17 Aug 2021 09:22 PM (IST)
प्रमोद विश्वकर्मा, बरही (हजारीबाग) : आजादी के 74 वर्ष बाद भी एक गांव को रोशनी की तलाश है। सात वर्ष पहले यहां बिजली आई भी, लेकिन सिर्फ बीस मिनट के लिए। इसके बाद इंतजार में आंखें पथरा गई, लेकिन बिजली कभी नहीं आई। आज भी इस गांव में अंधेरा है। गांव का नाम है धोबघट। यह हजारीबाग जिले के बरही प्रखंड में है। देश डिजिटल इंडिया की ओर अग्रसर है, कितु आदिवासी बहुल रानीचुआं पंचायत का यह गांव ढिबरी युग में जी रहा है। गांव के परसातरी, नरसिंहवा, पिडवा व गिद्धा टोला में अंधेरा पसरा हुआ है।
यह गांव बिजली ही नहीं, पानी, सड़क, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्याओं से भी जूझ रहा है। खूबसूरत पहाड़ी पर बसे धोबघट गांव में वर्ष 2014 में बिजली के खंभे और तार लगाए गए थे। महज एक दिन कुछ मिनट के लिए बिजली आई, पर गई तो अब तक नहीं आई। यहां के लोग बिजली आने की बाट जोह रहे हैं। उनकी आंखें पथरा गई हैं। इस समस्या के प्रति ना तो बिजली विभाग गंभीर है, ना ही प्रशासन और जनप्रतिनिधि। इस गांव में आदिवासी और घटवार जाति के 70 घर हैं। इसकी आबादी करीब 600 है। मतदाताओं की संख्या 225 से अधिक है। गांव को पक्की सड़क से भी अब तक नहीं जोड़ा गया है। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत बिजली पहुंचाने का प्रयास किया गया था, कितु अधूरा रह गया। अब आलम यह है कि आंधी तूफान की वजह से बिजली के कई खंभे गिर चुके हैं। जमींदोज हुए कई खंभों के तार चोर चुरा ले गए हैं। -----------
कोट -- हमने कई बार प्रयास किया कि यहां गांव में मूलभूत सुविधाएं मिले। बिजली समस्या को लेकर विभाग से संपर्क किया, पर कुछ नहीं हुआ। बिजली वर्ष 2014 में आई थी, लेकिन सिर्फ 20 मिनट तक रही है। इसके बाद तेज हवा से बिजली के खंभे गिर गए। बीमार पड़ने पर लोगों को खटिया पर लाद कर ले जाना पड़ता है।
- रीता मुर्मू, मुखिया, रानीचुंआ पंचायत धोबघट गांव में एक एजेंसी के माध्यम से दोबारा बिजली पहुंचाने की कवायद की जा रही है। शीघ्र ही गांव में बिजली पहुंच जाएगी। - सौरभ लिंडा, सहायक विद्युत अभियंता
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