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Jharkhand News: राजस्थान निवासी जूना अखाड़ा के संन्यासी बालकपुरी का हजारीबाग में निधन

Hazaribagh News बालकपुरी की उम्र 72 साल थी। वह कर्नल पिता के इकलौते पुत्र थे। उन्होंने डबल एमए तक शिक्षा ग्रहण की थी। वह विहिप से भी जुड़े हुए थे। उनके निधन की सूचना के बाद बड़ी संख्या में लोग उन्हें देखने पहुंचे।

By Jagran NewsEdited By: M EkhlaqueUpdated: Tue, 22 Nov 2022 06:48 PM (IST)
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Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग जिले में संत बालकपुरी का निधन हो गया है।
हजारीबाग, जागरण संवाददाता। जूना अखाड़ा के संन्यासी और विश्व हिंदू परिषद के धर्म प्रसार विभाग के पूर्व प्रांत संरक्षक, भारतीय गौवंश रक्षण एवं संवर्धन परिषद के हजारीबाग विभाग के विभाग प्रमुख संत बालकपुरी का मंगलवार को निधन हो गया। 26 अगस्त 1950 को राजस्थान प्रांत में जन्मे संत बालकपुरी ने डबल एमए की शिक्षा हासिल की थी। ये अपने पिता कर्नल रामकृष्ण पुरी के इकलौते संतान थे। निधन की खबर फैलते हीं सनातन समाज में शोक की लहर दौड़ गई। इंटरनेट मीडिया पर शोक संवेदना देने वालों का तांता लग गया। संत बालकपुरी को चानो स्थित श्मशान घाट संत परंपरा के अनुसार समाधि दी गई। समाधि के मौके पर सैकड़ों लोग एकत्रित हुए और उनके अंतिम दर्शन किया। उन्होंने बाल्यकाल से संन्यासी जीवन को अपनाया और अपने संन्यास ग्रहण के पश्चात पूरे देश के शक्तिपीठों और धर्म स्थलों का पैदल भ्रमण किया।

1995 में आए थे चौपारण, लराही में की गंगा मंदिर की स्थापना

सनातन धर्म के प्रति सजग रहने वाले संत बालकपुरी 1995 में चौपारण प्रखंड में आए और हजारीबाग जिला के ही होकर रह गए। गंगा माता की प्रेरणा से चौपारण प्रखंड के लराही गांव में डैम के किनारे गंगा मंदिर की स्थापना की। लगभग 15 वर्ष तक उन्होंने चौपारण और बरही में धर्म का अलख जगाने का काम किया और लोगों में सनातन धर्म का भाव प्रगाढ़ किया। गौ माता की प्रेरणा से सन् 2012 में सनातन प्रेमियों को साथ लेकर चौपारण प्रखंड से गौरक्षा आंदोलन की शुरुआत की। लगभग दो वर्षों तक काफी सक्रियता के साथ गौरक्षा कार्य कर हजारों की संख्या में गौवंशीय जीवों को कसाई और तस्करों से बचाया। गांव गांव में जाकर धर्म का प्रचार, भगवा ध्वज और गीता पुस्तक का वितरण इनके मुख्य कार्यों में से एक था।

समाधि दर्शन में पहुंचे ये लोग

आरएसएस के विभाग प्रचारक आशुतोष, विश्व हिंदू परिषद के गंगाधर दूबे, श्रद्धानंद सिंह, सदर उप प्रमुख गोविंद सिंह, भाजपा के बटेश्वर प्रसाद मेहता, एकल विद्यालय के अभिषेक कुमार, संत समाज के संतों के अलावा आरएसएस के अरविंद राणा, भारतीय मजदूर संघ के हीरा राम, संजय उपाध्याय, टेकलाल साव, नीरज कुमार, संतोष सिंह, गणेश कुमार सिंह सहित सैकड़ों अन्य थे।

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