झारखंड की 16 साल की काम्या ने फतह किया एवरेस्ट, पिता संग रचा इतिहास; पहले से कई रिकॉर्ड दर्ज
Mountaineers Kamya झारखंड की 16 साल की काम्या ने माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह कर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। दोपहर 12.35 बजे काम्या ने एवरेस्ट की चोटी पर भारतीय तिरंगा लहराया देश का नाम रोशन किया। काम्या के साथ उनके पिता भी थे। बेटी ने पिता को पीछे छोड़ते हुए एवरेस्ट के शिखर पर पहले कदम रखा।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की 16 वर्षीय काम्या कार्तिकेयन ने एवरेस्ट फतह करके एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। पर्वतारोही काम्या ने भारतीय समय के मुताबिक, सोमवार को दोपहर 12:35 बजे एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहराया।
इसके बाद उन्होंने टाटा स्टील का भी झंडा फहराया। इस अभियान में काम्या के पिता एस कार्तिकेयन भी शामिल थे। इस रेस में बेटी ने पिता को पीछे छोड़ते हुए एवरेस्ट के शिखर पर पहले कदम रखा। पिता एस कार्तिकेयन ने दोपहर 2.15 बजे एवरेस्ट पर कदम रखा।
काम्या अब तक कई बड़ी चोटियों पर चढ़ाई कर चुकी
काम्या अब तक अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर), यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर), ऑस्ट्रेलिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट कोसियुस्को (2,228 मीटर) समेत पांच चोटियों पर विजय प्राप्त कर चुकी हैं।2017 में वह एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रेक करने वाली दुनिया की दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की बन गई थीं। यही नहीं, वह 20 हजार फीट ऊंची माउंट स्टोक पर सफलता हासिल करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला भी बनीं।
काम्या और उनके पिता एस कार्तिकेयन 19 मई 2024 की देर रात फाइनल समिट के लिए बेस कैंप-4 से निकले थे। रविवार को ही दोनों बेस कैंप-4 पहुंचे थे। उनका यह साहसिक अभियान छह अप्रैल को काठमांडू से शुरू हुआ था। यह माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने का सातवें सप्ताह का अभियान था।
एवरेस्ट की चोटी पर 15 मिनट से ज्यादा रुकना मुश्किल
करीब डेढ़ महीने के इस समिट में पर्वतारोहियों को कई तरह के मौसम की चुनौतियों से पार पाना पड़ता है। उच्च शिविरों में कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचने के लिए जो रास्ता है, उसमें बेस कैंप के बाद बेस कैंप-4 होता है। बेस कैंप-4 से ही अंतिम चढ़ाई शुरू होती है।
एवरेस्ट की चोटी पर 15 मिनट से ज्यादा समय तक रुकना मुश्किल होता है। जैसे ही काम्या नीचे उतरीं, उनके पिता चोटी पर पहुँच गए। शाम 4:10 बजे बेस कैंप-3 में पहुंचने पर दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया। यह दृश्य देखकर हर कोई भावुक हो गया।काम्या की आंखों में खुशी और गर्व के आंसू थे तो उनके पिता का सीना बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व से चौड़ा हो रहा था। यह पल पिता-पुत्री के अटूट बंधन और साहस का प्रतीक था।
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