Potka, Jamshedpur News: समय से पहले बारिश होने से मत्स्य पालन करनेवाले किसानों में खुशी की लहर
Jamshedpur News. यास तूफान के कारण बारिश पहले होने से मत्स्यपालन करने वाले हजारों किसानों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही है। मत्स्य पालन करने वाले हजारों किसान अपने - अपने तालाबों और गड्ढों में मछली का जीरा छोड़ने लगे हैं।
By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Sun, 06 Jun 2021 05:54 PM (IST)
पोटका (पूर्वी सिंहभूम), जासं। यास तूफान के कारण बारिश से मत्स्यपालन करनेवाले हजारों किसानों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही है। मत्स्य पालन करनेवाले हजारों किसान अपने - अपने तालाबों और गड्ढों में मछली का जीरा छोड़ने लगे हैं। पोटका का हल्दीपोखर मछली के जीरा के मामले में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
यहां प्रति सप्ताह 20 क्विंटल मछली का जीरा की खपत है। मत्स्य पालन कर किसान अच्छा खासा रोजगार कर लेते हैं। वही आसपास के बाजारों में मछली की मांग काफी ज्यादा होने से सभी मछली उत्पादक स्थानीय बाजार में ही मछली उत्पादन को बेच लेते हैं और अच्छी खासी कमाई करते हैं। जिला मत्स्य पदाधिकारी सरस्वती भार्गवी का कहना है कि जमशेदपुर के करनडीह एवं पोटका के हल्दीपोखर नवाग्राम में 50 लाख लगभग मछली का जीरा छोड़ा गया है। मछली का जीरा 200 से लेकर 400 रुपए प्रति हजार की दर पर दिया जाता है। मछली का जीरा 6 माह से 9 माह में लगभग 1 किलो का मछली तैयार हो जाता है। वही मत्स्य विभाग द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान पर मछली का फीड तथा जाल किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। किसानों को मत्स्य पालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। खासकर महिलाओं को मत्स्य पालन द्वारा रोजगार से जोड़ने के लिए पूर्वी सिंहभूम के दस हजार मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जो किसान तीन दिनों तक मत्स्य पालन का प्रशिक्षण लेते हैं उन्हें 90 प्रतिशत अनुदान पर मछली का जीरा मिलता है l
बंगाल से लाया जाता है जीरा
मछली के जीरा के थोक विक्रेता इनामुल हक ने बताया कि एक केजी मछली का जीरा 330 से 350 रुपया में किसानों को दिया जाता है। यह मछली का जीरा 6 माह से 1 साल के अंदर एक केजी का मछली तैयार हो जाता है। एक किलोग्राम मछली का जीरा में 500 से 750 पीस मछली का जीरा मिलता है। एक किलोग्राम मछली अपने गड्ढे में छोड़कर मत्स्य पालक 4 से 5 हजार तक कमा सकता है। कम पूंजी में अच्छी खासी कमाई मत्स्य पालक द्वारा किया जाता है। बंगाल से प्रति सप्ताह 10 गाड़ी मछली का जीरा आता है जो पोटका, राजनगर, डुमरिया, जमशेदपुर आदि क्षेत्रों में मत्स्य पालक अपने तालाबों में छोड़ते हैं और लाखों रुपए कमाते हैं l
ये कहतीं जिला मत्स्य पदाधिकारी
जिला मत्स्य पदाधिकारी सरस्वती भार्गवी बताती हैं कि मत्स्य पालन के मामले में महिलाएं आगे आ रही हैं। उनको तीन दिनों तक प्रशिक्षण देकर 90 प्रतिशत अनुदान पर मछली का जीरा मुहैया कराया जा रहा है ताकि वह रोजगार कर स्वाबलंबी बन सके। वहीं 50 प्रतिशत अनुदान पर फ़ीड भी मत्स्य पालकों को दिया जा रहा है l
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