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Air India, Tata Group : सीईओ बनते ही इल्कर पर लटकी तलवार, प्लान बी पर काम कर रहा टाटा समूह, जानिए क्या है माजरा

Air India Tata हाल ही में टाटा समूह ने तुर्की के नागरिक इल्कर आयसी को एयर इंडिया का नया सीईओ नियुक्त किया है। लेकिन उनकी नियुक्ति विवादों के घेरे में आ गई है। तुर्की के राष्ट्रपति से संबंध उनके गले की हड्डी बनता जा रहा है...

By Jitendra SinghEdited By: Updated: Thu, 24 Feb 2022 07:10 AM (IST)
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Air India, Tata Group : सीईओ बनते ही इल्कर पर लटकी तलवार, प्लान बी पर काम कर रहा टाटा समूह

जमशेदपुर : टाटा समूह ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के बाद इसके ऑपरेशन को कायाकल्प करने के लिए तुर्की के इल्कर आयसी का चयन किया था। लेकिन अब इस चयन पर काले बादल छाने लगे हैं। नया मामला तुर्की के इस प्रवासी नागरिक की नियुक्ति व सरकारी मंजूरी को लेकर है। अब आयसी के पृष्ठभूमि की जांच गृह मंत्रालय की सुरक्षा एजेंसियां करेगी।

तुर्की है पाकिस्तान का सहयोगी

आयसी ने तुर्की के राष्ट्रपति तईप एर्दोगन के सलाहकार के रूप में भी काम किया है जिन्हें पाकिस्तान का सहयोगी माना जाता है। टाटा समूह ने 15 फरवरी को आयसी को एयर इंडिया का नया सीईओ घोषित किया था। ऐसे में अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वे देश का गौरव रहे एयर इंडिया के नए सीईओ की जांच किस तरह से करते हैं। एक वरीय अधिकारी की माने तो नागरिक सेवा एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी सुरक्षा के दृष्टिकोण से बारिकी से जांच होना आवश्यक है।

समझा जाता है कि सरकार ने इस मुद्दे पर संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए टाटा समूह के अधिकारियों के साथ इस मामले में अनौपचारिक रूप से चर्चा कर चुके हैं। हालांकि आयसी की कार्यशैली काफी प्रभावशाली है और उनकी प्लानिंग काफी बेहतर मानी जाती है जिन्होंने चुनौतीपूर्ण माहौली में टर्किश एयरलाइंस को घाटे से उबार दिया है।

सरकार के निर्णय पर सबकुछ निर्भर

केंद्र सरकार के अधिकारियों की माने तो किसी भी विदेशी नागरिक को भारत के किसी भी कंपनी में महत्वपूर्ण स्थान देने पर उनकी पृष्ठभूमि की पूरी जांच की जाती है। ऐसे में यह सरकार के नजरिए पर निर्णय करता है कि वह इस मामले में क्या निर्णय लेती है।

यदि सरकार इस पर मंजूरी नहीं देती है तो टाटा समूह को प्लान बी योजना तैयार करना होगा। ऐसे में टाटा समूह को फिर से एयर इंडिया के संचालन के लिए किसी जिम्मेदार अधिकारी की तलाश करनी होगी जो इतनी बड़ी कंपनी के ऑपरेशन की चुनौतियों का सामना कर सके। इसके लिए जरूरी है कि टाटा समूह इस दिशा में आगे बढ़ने से पहले केंद्र सरकार के साथ सवाधानीपूर्वक विचार विर्मश करें। हालांकि इस मामले में टाटा संस ने किसी भी विषय पर टिप्पणी करने से इंकार किया है।

टाटा समूह ने एकाउंटस पर ध्यान देना शुरू किया

टाटा समूह ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के साथ ही कंपनी में कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन, विमान के नवीकरण, गुणवत्ता युक्त नियंत्रणखर्चों पर जनवरी से ही ध्यान देना शुरू कर दिया है। टाटा समूह ने एयर इंडिया और इसकी 100 प्रतिशत अंतराष्ट्रीय सहायक एयरलाइंस, इंडिया एक्सप्रेस व ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी, एयर इंडिया सिंगापुर एयरपोर्ट टर्मिनल सर्विसेज में 50 पतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगाई थी और उसे जीत चुकी है।

तुर्की के राष्ट्रपित अर्दोआन।

सरकार का है विशेषाधिकार

हालांकि तुर्की के नागरिक की प्रतिनियुक्त पर कंपनी विशेषज्ञों की माने तो बड़ी कंपनियां में शीर्ष पदों पर काम करने वाले अधिकारियों के पॉलिटिक्स कनेक्शन को लेकर हर देश की सरकार जांच करती है यह सरकार का दायित्व भी है। एक प्रवासी के वर्क परमिट हमेशा सरकार का विशेषाधिकार होता है। साथ ही एयर इंडिया के मामले में एक एयरलाइंस बिजनेस राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला होता है इसलिए आयसी की नियुक्ति के मामले में सरकारी स्तर पर जांच की जा रही है।

वहीं, एक शीर्ष अधिवक्ता का कहना है कि तुर्की के राष्ट्रपति के सलाहकार रहने वाले आयसी को एयर इंडिया के सीईओ बनाने पर उनकी भूमिका पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जिन्हें तुर्की एयरलाइंस को वापस पटरी पर लाने का श्रेय है और इसलिए इन्हें एयर इंडिया को चलाने के लिए सहीं उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। आयसी को अंतराष्ट्रीय विमानन सेवा और संचालन की काफी समझ है इसलिए टाटा समूह ने उन पर दांव खेला है।

आयसी पर है अलकायदा के फाइनेंसर से संबंध रखने का आरोप

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पिछले साल के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में विश्व नेताओं को अपने संबोधन में कश्मीर के मुद्दे का उल्लेख किया था। उनके बयान को पाकिस्तान समर्थक के रूप में उजागर किया था। भारत ने उस समय इसे पूरी तरह से अस्वीकार्य करार दिया था। आयसी 1994 में एर्दोगन के निजी सलाहकार हुआ करते थे और 2015 से अब तक टर्किश एयरलाइंस के चेयरमैन के रूप में कार्यरत थे।

टाटा संस को ऐसी रिपोर्ट की भी जानकारी नहीं थी जिसमें आयसी और एक कथित अल कायदा फाइनेंसर के बीच संभावित संबंध की ओर इशारा किया गया था। एक अधिकारी ने कहा कि नियुक्ति की घोषणा के बाद यह मामला सामने आया लेकिन इससे कुछ साबित नहीं हुआ।

हालांकि कोई भी फैसला सरकार के रूख पर निर्भर करता है। आयसी ने तुर्की एयरलाइंस के सात वर्षों तक चेयरमैन रहें और इस दौरान कंपनी के ऑपरेशन और विमान में 50 प्रतिशत तक वृद्धि हुई। साबित ही वर्ष 2021 के वित्तीय वर्ष की पहली नौ माह में कंपनी का मुनाफा 735 मिलियन डॉलर दर्ज किया।