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Amitabh Choudhary Death : जब अमिताभ ने क्रिकेट में टाटा का वर्चस्व को तोड़ा

Amitabh Choudhary Death 1999 में पहली बार अमिताभ चौधरी ने तत्कालीन बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) में अध्यक्ष पद की दावेदारी ठोकी। लेकिन टाटा स्टील के संजय सिंह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद अमिताभ ने हिम्मत नहीं हारी।

By Jitendra SinghEdited By: Updated: Wed, 17 Aug 2022 10:57 AM (IST)
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Amitabh Choudhary Death : जब अमिताभ ने क्रिकेट में टाटा का वर्चस्व को तोड़ा
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : झारखंड क्रिकेट के चाणक्य कहे जाने वाले अमिताभ चौधरी भले ही आज इस दुनिया में नहीं हो, लेकिन इस खेल के विकास में उनका योगदान को कतई भुलाया नहीं जा सकता। वह अमिताभ चौधरी ही थे जिन्होंने झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (पूर्ववर्ती बिहार क्रिकेट एसोसिएशन) में टाटा का वर्चस्व को न सिर्फ चुनौती दी, बल्कि तोड़ने में भी कामयाबी हासिल की।

1999 में पहली बार अमिताभ चौधरी ने तत्कालीन बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) में अध्यक्ष पद की दावेदारी ठोकी। लेकिन टाटा स्टील के संजय सिंह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद अमिताभ ने हिम्मत नहीं हारी। इस बीच 2001 में राज्य का विभाजन हुआ और बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य का गठन हुआ। झारखंड क्रिकेट पर कब्जा जमाने के लिए जिला संघ व जमशेदपुर आमने-सामने थे। क्रिकेट एसोसिएशन आफ झारखंड (सीएजे) का गठन किया गया और 2001 में बीसीए के साथ-साथ सीएजे का चुनाव कराया गया।

टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक बी मुत्थुरमण को सीएजे का अध्यक्ष चुना गया। मुत्थुरमण की व्यस्तता को देखते हुए अमिताभ चौधरी को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। लेकिन भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआइ) ने दोनों में से किसी संघ को मान्यता नहीं दी और बीसीए (1935) को ही संस्था मानते हुए एक कमेटी का गठन कर दिया गया। सीएजे के चुनाव को अधिकांश जिला संघों ने बहिष्कार किया।

जब अध्यक्ष पद के लिए कोई नहीं खड़ा हुआ

चूंकि बीसीसीआइ अभी भी बीसीए (1935) को मान्यता दे रही थी। वर्ष 2003 की बात है। अमिताभ चौधरी ने सीएजे से पल्ला झाड़ा और एक बार फिर बीसीए (1935) से नाता जोड़ लिया। बीसीए का चुनाव की घोषणा हुई पर आश्चर्यजनक ढंग से किसी ने अध्यक्ष पद का नामांकन नहीं भरा।

उस समय अमिताभ चौधरी जमशेदपुर के एसपी हुआ करते थे। बीसीए के किंगमेकर कहे जाने वाले दीपू दा, उदित सरकार ने नाटकीय ढंग से अमिताभ का नाम प्रस्तावित किया, जिसे आम सहमति से पास भी कर दिया गया। उसके बाद अमिताभ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आइसीसी तक का सफर पूरा किया। वर्ष 2004 में बीसीए (1935) का नाम बदलकर जेएससीए कर दिया गया।

बीसीसीआई ने 2001-02 सीजन के लिए एक कमेटी का गठन किया। बाद में सीएजे ने जिलों को 15-15 अतिरिक्त वोट देने का प्रस्ताव पास किया। लेकिन अमिताभ जान चुके थे कि अगर जिला संघ चाहे तो जेएससीए की सत्ता हासिल की जा सकती है। अमिताभ ने सीएजे का दामन छोड़ जेएससीए का दामन थाम लिया। सीएजे के अध्यक्ष टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक बी मुत्थुरमण बने।

लेकिन जेएससीए के तत्कालीन सचिव बीएन सिंह ने अमिताभ का साथ दिया और बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष जगमोहन डालमिया से मिलकर झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता दिलाई। अमिताभ ने वर्ष 2003 से लेकर 2016 तक जेएससीए के अध्यक्ष रहे। इस दौरान कई बीसीसीआई से लेकर आइसीसी तक का सफर पूरा किया।

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