Padma Shri : तीरंदाजी का 'द्रोणाचार्य' झारखंड की बेटी पद्मश्री से सम्मानित, पढ़ें कैसा रहा पूर्णिमा का सफर
Padma Shri Winner सपने देखना और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना ही सफलता का मूल मंत्र है। यह कहना है झारखंड की बेटी और तीरंदाजी की दुनिया में द्रोणाचार्य के नाम से मशहूर पूर्णिमा महतो का जिन्हें सोमवार को दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया। पूर्णिमा ने कहा कि यह मेरे लिए गौरव का दिन है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। सपने देखना और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना ही सफलता का मूल मंत्र है। यह कहना है झारखंड की बेटी और तीरंदाजी की दुनिया में द्रोणाचार्य के नाम से मशहूर पूर्णिमा महतो का, जिन्हें सोमवार को दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया।
बिरसानगर की गलियों से निकलकर पद्मश्री तक का सफर, पूर्णिमा महतो की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। अपनी लगन और मेहनत के बल पर उन्होंने न सिर्फ खुद तीरंदाजी में कई उपलब्धियां हासिल कीं, बल्कि कई दिग्गज तीरंदाजों को भी तैयार किया।
दैनिक जागरण से बात करते हुए पूर्णिमा ने कहा कि यह मेरे लिए गौरव का दिन है। मेरे पास पहले से ही द्रोणाचार्य पुरस्कार है और अब पद्मश्री से नवाजा गया है। इसके लिए मैं अपने माता-पिता व टाटा स्टील को धन्यवाद देना चाहूंगी। तीरंदाजी प्रशिक्षण के दौरान कई बार ऐसा मौका भी आया, जब बच्चों को अकेला छोड़ना पड़ा। मां-पिता व पति ने उनकी देखभाल की। आज जब यह सम्मान मिला है तो उन्हें समर्पित किए बगैर यह अधूरा है।
राष्ट्रपति भवन से सीधे शंघाई के लिए रवाना
राष्ट्रपति भवन में सोमवार शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सम्मान हासिल करने के बाद पूर्णिमा महतो सीधे शंघाई के लिए रवाना हो गई, जहां विश्वकप तीरंदाजी का प्रथम चरण का आयोजन होना है।इस प्रतियोगिता में किए गए प्रदर्शन के आधार पर भारत का पेरिस ओलंपिक के लिए टिकट पक्का होगा। शाम में गृह मंत्री अमित शाह के साथ सम्मान प्राप्त करने वालों का रात्रि भोज था, लेकिन विश्वकप में भाग लेने के कारण वह रात्रि भोज में शामिल नहीं हो पाई।
1992 में राज्य तीरंदाजी टीम में पहली बार उनका चयन
पूर्णिमा ने न सिर्फ खुद राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कई पदक जीते, बल्कि दीपिका कुमारी, जयंत तालुकदार और डोला बनर्जी जैसे कई दिग्गज तीरंदाजों को भी प्रशिक्षित किया।1992 में राज्य तीरंदाजी टीम में पहली बार उनका चयन हुआ। वह कई वर्षो तक राष्ट्रीय चैंपियन रहीं। 1993 में अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी की टीम स्पद्र्धा में पदक जीतने वाली पूर्णिमा ने 1994 में पुणे में आयोजित नेशनल गेम्स में छह स्वर्ण जीतकर तहलका मचा दिया।
1994 में आयोजित एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पूर्णिमा ने 1997 में सीनियर नेशनल में रिकार्ड के साथ दो स्वर्ण अपने नाम किए।1998 कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत हासिल करने वाली बिरसानगर की इस बाला ने 1994 में टाटा तीरंदाजी एकेडमी में प्रशिक्षण देना शुरू किया। 2005 में स्पेन में आयोजित भारतीय टीम ने रजत पदक जीता। 2007 में सीनियर एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप में पुरुष टीम ने स्वर्ण व महिला टीम ने कांस्य पर कब्जा जमाया।
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