arrest insurance law arrest insurance law सोनारी निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने 12 वर्ष पूर्व गिरफ्तारी बीमा का कानून लागू करने की मांग की थी। इस कानून के लागू होने पर बेवजह गिरफ्तार होने वाले निर्दोष साबित होने पर मुआवजा पा सकेंगे। शर्मा कहते हैं कि मैं इस कानून को लागू कराने के लिए संघर्षरत हूं। यदि यह लागू हो गया तो न्याय व्यवस्था में क्रांतिकारी साबित होगा।
By Birendra Kumar OJhaEdited By: Aysha SheikhUpdated: Sun, 10 Dec 2023 10:37 AM (IST)
वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर। Human Rights Day 2023: जमशेदपुर सहित देश भर की जेलों में क्षमता से कई गुना अधिक बंदी भरे हुए हैं, जिनमें 75 प्रतिशत विचाराधीन हैं। कई तो न्याय की आस में महीनों-वर्षाें तक जेल में पड़े रहते हैं, कुछ की सलाखों के पीछे मौत भी जाती है।
जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे किसी तरह न्याय पा जाते हैं, लेकिन गरीब-लाचार नियति की विडंबना समझकर पड़े रह जाते हैं। सोनारी निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने इसकी चिंता लगभग 12 वर्ष पूर्व की थी कि क्यों न गिरफ्तारी बीमा का कानून लागू हो।
‘पनिशमेंट बिफोर ट्रायल’
यदि ऐसा हुआ तो बेवजह गिरफ्तार होने वाले निर्दोष साबित होने पर मुआवजा पा सकेंगे।
शर्मा बताते हैं कि फ्लैक (फ्री लीगल एड कमेटी) का सदस्य होने के नाते सु्प्रीम कोर्ट जाता रहता था। वहां भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पीएन भगवती से चर्चा की, तो उन्होंने इस पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
मैंने पहले इस पर फ्लैक के सदस्यों के साथ मिलकर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई ‘पनिशमेंट बिफोर ट्रायल’ (दंड के पहले सजा)। 32 मिनट की यह फिल्म यूट्यूब पर उपलब्ध है। इसमें सच्ची कहानियां भी हैं। इसके बाद राज्य व केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों को पत्र लिखा।
जब पीएमओ को पत्र लिखा
पीएमओ को जब पत्र लिखा, तो उसने इसे गृह मंत्रालय में भेजा, फिर वहां से वित्त मंत्रालय तक गया। लगभग चार वर्ष पूर्व यह पत्र बीमा नियामक प्राधिकरण गया, लेकिन वहीं रूक गया। लगभग तीन माह पूर्व मैंने राष्ट्रपति कार्यालय को पत्र लिखा, क्योंकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु जेलों में अधिक कैदियों के रहने पर चिंता जता चुकी हैं।
यद्यपि यह पत्र उन तक नहीं पहुंचा, लेकिन आरटीआई से जानकारी मांगी तो उनके कार्यालय ने बताया कि यह पत्र राष्ट्रपति को नहीं, न्याय मंत्रालय के पास भेज दिया गया है। शर्मा कहते हैं कि यह कानून लागू हो गया तो पुलिस से लेकर वकील तक किसी को भी बेवजह गिरफ्तार करने से बचेंगे, क्योंकि उन्हें मुआवजा देना पड़ेगा।
भुगतान बीमा कंपनी करेगी, लेकिन जवाबदेही तो तय होगी ही। यह कैसी विडंबना है कि जब हर चीज का बीमा होता है, तो मौलिक अधिकार का बीमा क्यों नहीं हो सकता। इससे बेवजह गिरफ्तार होने वाले की प्रतिष्ठा तो नहीं लौटेगी, लेकिन जवाबदेही तय होने से पुलिस किसी को भी गिरफ्तार करने से पहले दस बार सोचेगी। शर्मा कहते हैं कि मैं इस कानून को लागू कराने के लिए संघर्षरत हूं। यदि यह लागू हो गया तो न्याय व्यवस्था में क्रांतिकारी साबित होगा।
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