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नई दिल्ली में शुरू हुआ ‘भारत जोड़ो आंदोलन’, जंतर-मंतर पर जमशेदपुर समेत कई शहरों के लोग पहुंचे

आठ अगस्त 1942 को हुए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की तर्ज पर रविवार आठ अगस्त को ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ शुरू किया गया है जिसमें सबसे पहले विदेशी कानूनों की जगह स्वदेशी कानून लागू करने की मांग की जा रही है।

By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Sun, 08 Aug 2021 02:50 PM (IST)
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भारत जोड़ो आंदोलन की शुरुआत के मौके पर नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर मौजूद लोग।
जमशेदपुर, जासं। आठ अगस्त 1942 को हुए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की तर्ज पर रविवार आठ अगस्त को ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ शुरू किया गया है, जिसमें सबसे पहले विदेशी कानूनों की जगह स्वदेशी कानून लागू करने की मांग की जा रही है।

इस आंदोलन में जमशेदपुर से शामिल भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार ने बताया कि भारत जोड़ो आंदोलन कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय संत समिति व गंगा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती के आह्वान पर किया गया।

इसके तहत नई दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया गया, जिसका नेतृत्व उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने किया। इसमें अनेक हिंदू संगठनों ने भाग लिया, जिसमें भारतीय जन महासभा ने भी अपनी उपस्थिति दी। इस धरना के माध्यम से भारत सरकार से मांग की गई है कि मैकाले द्वारा बनाए गए 222 काले कानूनों को शीघ्र ही समाप्त किया जाए।

ईस्ट इंडिया कंपनी के हित में बने थे 222 कानून

पोद्दार ने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अंग्रेजों के हितों को ध्यान में रख कर बनाए गए 222 काले कानूनों को भारतीय संविधान में वैसे का वैसा रखा जाना अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।  अब इन काले कानूनों को हटा देना चाहिए। जब देश स्वतंत्र हुआ तो लोगों में आशा बंधी थी कि अब हमें न्याय और सुरक्षा मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अंग्रेजों के बनाए हुए कानून को अपने संविधान में शामिल करके अंग्रेजों की मानसिकता से देश के लोगों पर शासन करने का काम किया जा रहा है। इसीलिए देश के लोगो में इस प्रकार की भावना बनी कि पहले गोरे अंग्रेज थे, अब काले अंग्रेज हैं।

स्वतंत्र भारत के लायक बने कानून

पोद्दार ने कहा कि देश के वर्तमान के शासकों को यह विचार करना चाहिए कि भारत को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष हो चुके हैं। ऐसे में इस देश में स्वतंत्र भारत की जनता के लायक कानून बनाए जाने चाहिए। वर्तमान समय के अनुसार कानून व्यवस्था में बदलाव करना ही होगा। अंग्रेजों के बनाए हुए कानून को हटाकर नए सिरे से कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। आज जो स्थिति है बहुत ही दुखदायी है। अंग्रेजों ने अपने ऐसे कानून बनाए थे, जिससे भारतीय जनता को न्याय नहीं मिले और वह कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाते रहे। वही व्यवस्था अभी भी चल रही है। इस व्यवस्था को बदलने की आवश्यकता है। आज भी देश के अनेक भागों में न्याय और सुरक्षा की कमी को देखा जा सकता है।

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