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AC का तापमान 18 और शहर का 44 डिग्री, शरीर कैसे करेगा बर्दाश्त? दिमाग पर असर के साथ इसके और भी कई खतरे

देश के कई हिस्‍सों में गर्मी को लेकर त्राहिमाम जैसी स्थिति बनी हुई है। ऐसे में राहत पाने के लिए लोग एयर कंडीशनर का सहारा ले रहे हैं लेकिन इसके कई नुकसान हैं। अंदर एसी का तापमान 18 और शहर का 44 डिग्री है इस 26 डिग्री के अंतर को भला शरीर कैसे बर्दाश्त करेगा? जाहिर सी बात है कि इससे कई तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है।

By Amit Kumar Edited By: Arijita Sen Published: Thu, 30 May 2024 08:03 AM (IST)Updated: Thu, 30 May 2024 08:03 AM (IST)
प्रचंड गर्मी में अधिक समय तक एसी में रहने के कई नुकसान

अमित तिवारी, जमशेदपुर। एयर कंडीशन (एसी) अच्छा है तो इसके नुकसान भी हैं। भीषण गर्मी से बचाव को लेकर शहरवासी 12 से 15 घंटे तक एसी में समय गुजार रहे हैं। वह भी 18 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान में। जबकि शहर का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस है। ऐसे में अचानक से 26 डिग्री का अंतर शरीर कैसे बर्दाश्त करेगा। यह सोचने वाली बात है।

एसी से निकलकर धूप में जाना खतरनाक

इस दौरान अगर कोई एसी से निकलकर सीधे बाहर धूप में जाता है तो उसे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इसका ब्रेन पर भी असर पड़ता है। इस दौरान मरीज को सिर दर्द के साथ-साथ थकावट, बेचैनी, घबराहट, पेशाब कम होने की शिकायत होती है।

वहीं, एसी में ज्यादा समय तक रहने के कारण शरीर में निर्जलीकरण की समस्या हो सकती है। साथ ही ये आंखों, सांस की समस्याओं और मेटाबाॅलिक सेहत को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। चर्म रोग की समस्याएं भी बढ़ गई है।

शहर में ‘सिक बिल्डिंग सिंड्रोम’ का खतरा

ब्रह्मानंद नरायणा अस्पताल के न्यूरो फिजिशियन डा. अरुण कुमार कहते हैं कि लोग एसी तो लगाते हैं, लेकिन उसका तरीका उन्हें नहीं मालूम होता है। उन्होंने कहा कि एसी वाली जगहों पर वेंटिलेशन यानी हवा के आने-जाने की अच्छी व्यवस्था भी जरूरी होनी चाहिए।

खराब वेंटिलेशन वाली जगहों पर एसी के कारण ‘सिक बिल्डिंग सिंड्रोम’ का खतरा बढ़ जाता है। इसमें सिरदर्द, सूखी खांसी, चक्कर आने, मतली, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

एसी में रहने से बढ़ी ये बीमारियां

शहर के अस्पतालों में इन दिनों मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इसमें दो तरह के मरीज सबसे अधिक पहुंच रहे हैं। पहला गर्मी के शिकार होकर यानी हीट स्ट्रोक और दूसरा एसी में ज्यादा देर तक रहने से होने वाली बीमारियां शामिल हैं।

इसमें वायरल इंफेक्शन, गले में खराश, सर्दी-खांसी, बुखार व बदन दर्द होता है। मौसम में उतार-चढ़ाव की वजह से भी ये परेशानी होती है।

इन दिनों ओपीडी में सबसे अधिक इससे संबंधित मरीज ही पहुंच रहे हैं। बुधवार को एमजीएम अस्पताल के मेडिसिन ओपीडी में कुल 128 मरीज पहुंचे। इसमें 98 मरीज इससे संबंधित पाए गए।

अस्थमा-ब्रोंकाइटिस मरीजों को एसी में नहीं रहने की सलाह

एमजीएम मेडिकल कालेज के पूर्व प्रोफेसर सह फिजिशियन डा. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि जो लोग वातानुकूलित स्थानों पर अधिक समय बिताते हैं उनमें अन्य लोगों की तुलना में श्वसन संबंधी समस्याएं (नाक मार्ग में जलन, सांस लेने में परेशानी) अधिक होती हैं।

एसी की हवा वातावरण में शुष्की बढ़ा देती है जिसके कारण  वायुमार्ग से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। जिन लोगों को अस्थमा-ब्रोंकाइटिस की समस्या होती है उन्हें एसी में ज्यादा समय बिताने से बचना चाहिए।

एसी का कम टेंपरेचर लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके प्रति जागरूक होने की जरूरत है। एसी का टेंपरेचर 24 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रखना चाहिए। एसी से निकलकर सीधे बाहर नहीं जाना चाहिए। इससे कई तरह की परेशानियां सामने आ रही है - डा. अरुण कुमार, न्यूरो फिजिशियन, ब्रह्मानंद अस्पताल

मौसम में उतार-चढ़ाव होने से शरीर बर्दाश्त नहीं कर पाता है। इस वजह से अभी सर्दी-खांसी, बुखार, वायरल इंफेक्शन के मरीज लगातार पहुंच रहे हैं। बच्चे, गर्भवती, बुजुर्गों का इम्यूनिटी कमजोर होता है, ऐसे में उनको विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है-  डा. उमेश खां, फिजिशियन।

एसी में ज्यादा देर तक रहने से त्वचा का रूखापन बढ़ जाता है जिससे त्वचा रोग होता है। सोरायसिस के अलावा एक्जिमा और स्किन एलर्जी वाले लोगों को भी एसी में रहने से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए - डा. राजीव ठाकुर, चर्म रोग विशेषज्ञ

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