मौसम बदलने से मौसमी बीमारियां भी तेजी से बढ़ी है। इसका असर दवा दुकानों में भी देखा जा सकता है। सबसे अधिक पैरासिटामोल टेबलेट की बिक्री हो रही है। चिंता का विषय यह है कि डॉक्टरों के परामर्श से कहीं ज्यादा लोग अपने से ही दवाएं खरीदकर खा रहे हैं। ऐसे में उनको डोज की जानकारी नहीं होती और वे ओवरडोज के शिकार हो रहे हैं।
अमित तिवारी, जमशेदपुर। मौसम बदलने से मौसमी बीमारियां भी तेजी से बढ़ी है। इसका असर दवा दुकानों में भी देखा जा सकता है। सबसे अधिक पैरासिटामोल टेबलेट की बिक्री हो रही है। चूंकि, इस मौसम में सर्दी-खांसी, साधारण बुखार, डेंगू, मलेरिया, टायफाइड, बदन दर्द और सिर दर्द के मरीज बढ़ गए हैं।
इन सभी बीमारियों में इसका उपयोग किया जाता है। चिंता का विषय यह है कि डॉक्टरों के परामर्श से कहीं ज्यादा लोग अपने से ही दवाएं खरीदकर खा रहे हैं। ऐसे में उनको डोज की जानकारी नहीं होती और वे ओवरडोज के शिकार हो रहे हैं। इसका सीधा नुकसान लीवर व किडनी को पहुंचता है।
चिकित्सकों का कहना है कि उम्र व वजन के हिसाब से इस दवा का डोज तय किया जाता है। अन्यथा आप ठीक होने के बजाए और भी बीमार हो सकते हैं। अगर कोई शख्स एक दिन में 4 ग्राम से ज्यादा का डोज लेता है तो उसके सेहत के लिए खतरनाक है।
दो गुना बढ़ी पैरासिटामोल की खपत
मरीजों की संख्या बढ़ने से इन दिनों पैरासिटामोल टेबलेट की खपत दोगुना बढ़ गई है। पूर्वी सिंहभूम जिले में कुल लगभग 800 दवा दुकानें है। इसमें थोक व खुदरा दोनों शामिल है। एक दवा दुकान से औसतन रोजाना 30 पत्ते की बिक्री है। एक पत्ते की कीमत 20 रुपये है।
इस हिसाब से देखा जाए तो रोजाना चार लाख 80 हजार की दवा शहरवासी खा रहे हैं, जबकि सामान्य दिनों में इसकी बिक्री दो से ढ़ाई लाख के बीच रहती है। पैरासिटामोल के साथ दूसरे साल्ट के मिश्रण की दर्जनों से अधिक दवाई मौजूदा समय में बाजार में बिक रही हैं। पैरासिटामोल के काम्बिनेशन की 325 एमजी से ज्यादा की दवाओं का बाजार भी काफी अधिक है।
हार्ट, किडनी के मरीज खुद से कभी नहीं खाएं दवा
अगर आप, हार्ट, किडनी, फेफड़ा या फिर अन्य कोई गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं तो भूलकर भी अपने मन से पैरासिटामोल की गोली नहीं खाएं। अन्यथा उनकी बीमारी और भी गंभीर हो सकती है। ऐसे मरीजों को जब बुखार, सिर दर्द, सर्दी-जुकाम सहित अन्य मौसमी बीमारी हो तो एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लेनी चाहिए। इसके बाद ही कोई दवा खानी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी यह दवा खुद से नहीं खानी चाहिए। इसका बच्चों पर विपरीत असर पड़ता है।
कोई भी दवा खुद से नहीं खानी चाहिए। सभी दवाओं का अलग-अलग डोज होता है जिसे उम्र व वजन के हिसाब से तय किया जाता है। अधिक डोज होने से इसका सीधा असर किडनी व लीवर पर पड़ता है। ऐसे में जागरूकता के साथ-साथ सावधानी जरूरी है।- डॉ. संतोष गुप्ता, उपाध्यक्ष, आइएमए
मौसमी बीमारी बढ़ने से पैरासिटामोल दवा की खपत बढ़ जाती है। ऐसा हर साल देखने को मिलता है। एंटीबायोटिक दवाओं का बाजार भी तेज हुआ है लेकिन पैरासिटामोल की आपूर्ति सबसे ज्यादा है। खुद से दवा खाने से बचना चाहिए।- शशि भूषण प्रसाद, प्रदेश अध्यक्ष, फार्मासिस्ट एसोसिएशन
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