विमान हादसे में मारे गए संजीव कुमार झा का आज होगा अंतिम संस्कार Jamshedpur News
ओडिशा के ढेकनाल में हुए विमान हादसे में मारे गए जमशेदपुर के पायलट संजीव कुमार झा का आज यानी मंगलवार को अंतिम संस्कार होगा।
By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Tue, 09 Jun 2020 08:13 AM (IST)
जमशेदपुर, जासं। सोमवार को ओडिशा के ढेकनाल में हुए विमान हादसे में मारे गए जमशेदपुर के पायलट संजीव कुमार झा का आज यानी मंगलवार को अंतिम संस्कार होगा। दोपहर बाद उनका शव ओडिशा से जमशेदपुर पहुंचेगा। बर्मामाइंस स्थित सुनैना वेट ब्रिज के सामने से उनकी अंतिम यात्रा निकलेगी।
पापा से हमारी अंतिम बार रविवार रात लगभग साढ़े आठ बजे वीडियो कॉलिंग से बात हुई थी। पापा हर दिन चार से पांच बार फोन कर मुझे भारतीय सेना में जाने के लिए प्रोत्साहित करते थे। पढ़ाई में हमेशा मदद करते थे। मैंने भी कह दिया था कि पापा में आपका सपना पूरा करूंगा। यह कहना है चीफ फ्लाइट इंस्ट्रक्टर (सीएफआइ) संजीव झा के छोटे बेटे अमन झा का। संजीव के पुत्न अमन अपनी मम्मी अधिवक्ता ऋतु झा और बड़े भाई शौर्य झा के साथ सीतारामडेरा ले आउट 193/3 फ्लैट में रहते हैं।पिछले वर्ष आए थे घर
संजीव का निधन सोमवार सुबह ओडिशा ढेकानाल में हुए प्रशिक्षु पायलट विमान के क्रैश होने से हो गया। संजीव का बड़ा बेटा शौर्य बेंगलुरु के रेवा यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिक एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है और लॉकडाउन के कारण इन दिनों अपने घर पर है। अमन का कहना है कि पापा की मौत की खबर उनके साथ काम करने वाले एक कर्मचारी ने घर पर आकर दी। इस बाद से मम्मी नाना के घर बर्मामाइंस में है। पापा दिसंबर 2019 में अंतिम बार घर आए थे, लेकिन हमेशा हमारे साथ फोन पर बात होती थी। अमन का कहना है कि पापा मुझे हमेशा प्रोत्साहित करते थे कि तुम्हे मुझसे से भी बड़ा आदमी बनना है और मैं भी पापा से कहता था कि पापा मैं आपका सपना पूरा करूंगा। पापा चाहते थे कि मैं सेना में जाकर देश की सेवा करूं। संजीव झा के पिता सदानंद झा धनबाद में व्यापारी हैं और मूलरूप से भागलपुर के राजपुर के रहने वाले हैं।
जमशेदपुर से जुड़ा फ्लाइंग से नाता
जमशेदपुर में जब कैप्टन ज्ञान राय ने टाटानगर एविएशन की शुरुआत की थी तब कैप्टन संजीव यहां वर्ष 1996-98 बैच के पायलट ट्रेनिंग कोर्स के छात्र थे। इसके बाद करनाल जाकर फ्लाइट इंस्ट्रक्टर की पढ़ाई कर शहर लौटे। उसके बाद टाटानगर एविएशन जो बाद में सुब्रो एविएशन हुआ, वहां 2003-15 तक फ्लाइट इंस्ट्रक्टर का काम किया। इसके बाद संजीव ने इंडिगो और किंगफिशर में बतौर चीफ कॉमर्शियल पायलट के रूप में काम किया। पिछले पांच वर्षों से वे ओडिशा सरकार द्वारा ढेकानाल में संचालित गर्वेनमेंट एविएशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (गति) में बतौर चीफ फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत थे।
उड़ान के आठ मिनट बाद ही हो गया क्रैश ढेकानाल में सोमवार सुबह लगभग साढ़े छह बजे संजीव झा ने दिन की पहली उड़ान प्रशिक्षु छात्रा फातिमा के साथ शुरू की और टेकऑफ के आठ मिनट बाद 150 फीट की ऊंचाई में उनका प्लेन सेसना क्रैश होकर रनवे के अंतिम छोर पर जा गिरा। जिससे प्रशिक्षु सहित सीएफआइ संजीव की भी मौत हो गई।सिंगल इंजन है सेसना 152 सेसना 152 सिंगल इंजन विमान है जिसे अमेरिका की कंपनी सेसना नामक कंपनी बनाती है। इसमें दो लोगों के बैठने की व्यवस्था है। पेट्रोल इंजन वाले इस प्लेन को विशेष रूप से प्रशिक्षु पायलट को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस विमान में 100 लीटर ईधन की क्षमता है। एक बार फ्यूल भरकर पांच घंटे तक उड़ान भरी जा सकती है। इस प्लेन में ऑक्सीजन मास्क नहीं होता है इसलिए यह प्लेन 7000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है।
सीपीएल के लिए 200 घंटे की उड़ान अनिवार्य कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) पाने के लिए किसी भी पायलट को 200 घंटे उड़ान का अनुभव होना अनिवार्य है। इसमें हर 15 घंटे के बाद सीएफआइ स्तर के अधिकारी प्रशिक्षु पायलट के साथ उड़ान भरते हैं। फ्लाइंग एविएशन स्कूल में सीएफआइ का पद किसी कॉलेज के प्रिंसिपल का स्थान होता है जो हर प्रशिक्षु पायलट का टेस्ट लेते हैं।
जिंदादिल इंसान थे संजीव : अर्जुन टाटानगर एविएशन के बाद ट्रूबो एविएशन में अर्जुन कुमार ने 15 सालों तक संजीव के साथ काम किया। अर्जुन बताते हैं कि जब वे सिक्योरिटी इंचार्ज सह टेक्नीशियन के रूप में एविएशन से जुड़े तो संजीव वहां बतौर छात्र आते थे, लेकिन अपनी पढ़ाई और मेहनत से वह जल्द ही फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर बन गए। मैंने कई बार उनके साथ नाइट फ्लाइंग की है। वे बहुत ही जिंदादिल और सुलझे हुए इंसान थे। त्वरित निर्णय लेने में उन्हें महारथ हासिल थी, जो हमेशा सहीं होता था।
बतौर प्रशिक्षु मैंने 10 घंटे उनके साथ भरी है उड़ानअलकेमिस्ट एविएशन के एमडी सह जमशेदपुर स्थित फ्लाइंग एविएशन के पूर्व छात्र मृणाल कांति पाल बताते हैं कि मैंने वर्ष 2013-14 में संजीव के साथ बतौर प्रशिक्षु पायलट के रूप में दस घंटे उड़ान भरी है। वे हर किसी की मदद करने वाले भले इंसान थे। काफी समय वे जमशेदपुर स्थित फ्लाइंग क्लब के साथ जुड़े थे। बड़ा ऑफर आने के बाद वे यहां से इस्तीफा दे दिया थां
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