International Yoga Day 2021: हलासन से बढ़ती है मानसिक शक्ति, ये रही पूरी जानकारी
Yoga Tips हलासन एक हठ योगासन है। आमतौर पर इसे सर्वंगासन के बाद 1 से 5 मिनट बाद किया जाता है। इस मुद्रा में शरीर का आकार किसान के द्वारा उपयोग होनेवाले उपकरण हल जैसा होता है जिस कारण इसका नाम हलासन है ।
By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Fri, 18 Jun 2021 05:25 PM (IST)
जमशेदपुर, जासं। हमारा मस्तिष्क सुषुम्ना नाड़ी द्वारा सारे शरीर पर नियंत्रण करता है। सुषुम्ना नाड़ी सिर के पिछले भाग में स्थित लघु मस्तिष्क में से निकलकर मेरुदंड के साथ-साथ मूलाधार चक्र तक जाती है। इस आसन से सबसे अधिक प्रभाव स्नायु मंडल तथा इसके स्रोत पर पड़ता है, जिससे शरीर के भीतरी तथा बाहर के भागों पर भलीप्रकार नियंत्रण प्राप्त करने में मदद मिलती है। मानसिक शक्ति का विकास होता है। सारे चक्र प्रभावित होते हैं ।
सोनारी की योग व रेकी एक्सपर्ट पूनम वर्मा के अनुसार जितना धीरे-धीरे इस आसन को करेंगे और पूर्ण स्थिति में अधिक रुकेंगे, उतना अधिक लाभ होगा। हलासन के लाभ इस आसन से सभी पाचन अंगों व रीढ़ के एक-एक मोहरे का व्यायाम होता है, उनमें लचक आती है, वे पुष्ट होते हैं। इससे गले की ग्रंथियां प्रभावित होती हैं। शरीर संतुलन में आता है। पेट व कमर दर्द और चर्बी कम करने में मदद करता है। रक्त का संचार तेज होता है। इसका अभ्यास करने से भूख बढ़ती है और सुषुम्ना नाड़ी प्रभावित होती है। मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हलासन सर्वोत्तम है। हलासन की विधि पीठ के बल चित्त लेट जाएं, सारे शरीर को तान लें, हथेलियां जमीन पर और शरीर के साथ सटी हुई हो। अब हाथों पर दबाव डालते हुए अपनी टांगों को धीरे-धीरे श्वास भरते हुए ऊपर उठाएं। यह ध्यान रहे कि सिर न उठे, पांव बाहर की ओर खिंचे रहें। इस आसन में जितना धीरे-धीरे अपनी टांगों को उठाएंगे उतना अधिक लाभ मिलेगा। अब श्वास छोड़ते हुए हाथों पर जोर देते हुए कमर को ऊपर उठा दें और पांव को सिर के ऊपर से पीछे ले जाकर जमीन पर लगा दें। पांवों को आगे-से-आगे ले जान का प्रयास करें। आधा मिनट या एक मिनट आसन में रुकें। अब धीरे-धीरे रीढ़ के एक-एक मोहरे को जमीन पर, पांवों को पीछे की ओर तानते हुए, टेकते जाएं। फिर पांवों को जमीन पर लाएं।
इस बात का भी रखें ध्यान
वापस आते हुए भी सिर को उठाना नहीं है। किसी प्रकार का झटका नहीं आना चाहिए। आते हुए शरीर को शिथिल कर विश्राम करें। जिन्हें अभ्यास नहीं हो। वे केवल कमर तक उठाएं और वापिस जमीन पर आ जाएं। इसे प्रतिदिन दो-तीन बार करें। फिर कमर को ऊपर उठाने का अभ्यास करें। इस प्रकार धीरे-धीरे यह आसन होने लगेगा।
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- पूनम वर्मा, योग व रेकी एक्सपर्ट