Corona Prevention: 70 फीसद लोग उपयोग कर रहे कोरोना संक्रमितों का शौचालय, बरतें ये सावधानी
70 फीसद कोरोना मरीजों के घर में अलग शौचालय नहीं है। ऐसे में मरीज व उनके स्वजन दोनों बारी-बारी से एक ही शौचालय का उपयोग करते हैं। इससे वायरस फैलने की संभावना अधिक है। अगर थोड़ी सावधानी बरतें तो काफी हद तक इससे बचा जा सकता है। जानिए
By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Fri, 21 May 2021 08:50 PM (IST)
जमशेदपुर, अमित तिवारी। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में लगभग 70 फीसद लोग कोरोना संक्रमित मरीजों के शौचालय
उपयोग कर रहे हैं। उनके घर में अलग शौचालय नहीं है। ऐसे में मरीज व उनके स्वजन दोनों बारी-बारी से एक ही शौचालय का उपयोग करते हैं। इससे वायरस फैलने की संभावना तो अधिक है, लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी बरतें तो काफी हद तक इससे बचा जा सकता है।विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कोई मरीज होम आइसोलेशन में है और उसके घर में अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है तो वैसी परिस्थिति में पहले घर के अन्य सदस्यों को शौचालय का उपयोग करना चाहिए। उसके बाद मरीज को। क्योंकि वायरस टॉयलेट सीट से निकलकर वॉशरूम के वातावरण में कुछ देर तक रहता है, जिसके संपर्क में आने से स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है।
पहली लहर में आसानी नहीं मिलती थी होम आइसोलेशन की सुविधाकोरोना की पहली लहर में होम आइसोलेशन के नियमों का सख्ती से पालन किया गया। अधिकांश लोगों को इसलिए होम आइसोलेशन की इजाजत नहीं मिली, क्योंकि उनके घर में अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं थी। वैसे लोगों को सरकारी क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया। लेकिन, दूसरी लहर में अधिकांश लोगों को होम आइसोलेशन में रहने की छूट दी गई। इस दौरान लोगों ने भी लापरवाही बरती। होम आइसोलेशन की ड्यूटी में तैनात चिकित्सकों का कहना है कि लगभग 70 फीसद मरीजों के घर में अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर में तेज गति से फैले संक्रमण का एक कारण यह भी माना जा रहा है।
तीसरी लहर हो सकती है और भी खतरनाककोरोना की पहली लहर के वायरस से दूसरी लहर में मिले यूके व डबल व म्यूटेंट का वायरस अधिक मजबूत है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि तीसरी लहर में वायरस और भी मजबूत हो सकता है, जिससे संक्रमण और भी तेज गति से बढ़ेगा। ऐसी परिस्थिति में आप विशेष ध्यान देकर अपना बचाव कर सकते हैं। इसमें शौचालय भी एक अहम हिस्सा है।जिनके घर में अलग शौचालय नहीं, वे क्या करें
- पहले परिवार के अन्य सदस्य शौचालय जाएं। उसके बाद मरीज।- मरीज को शौचालय जाने के बाद उसे अच्छी तरह से सुबह-शाम सैनिटाइज करें। उसके बाद शौचालय को बंद कर दें।- मास्क पहनकर शौचालय जाएं।- मरीज के मल में वायरस जिंदा रहता है। ऐसी परिस्थिति में टॉयलेट का फ्लश करने पर बहाव के कारण संक्रमित कण पानी से तीन फीट ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं। मल में मौजूद संक्रमित कणों के 60 फीसद कण हवा में पहुंच सकते हैं। अगर फ्लश के दौरान टॉयलेट सीट का ढक्कन बंद कर दिया जाए तो इन कणों को शौचालय में फैलने से रोका जा सकता है।
- शौचालय को सैनिटाइज करने के लिए एक फीसद सोडियम हाइपोक्लोराइट सोल्यूशन घर पर ही तैयार कर सकते हैं।ये कहते डाॅक्टरहोम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के लिए नियमत: अलग शौचालय होना चाहिए, लेकिन यह सबके लिए संभव नहीं है। ऐसी परिस्थिति में विशेष सावधानी बरतें, तो वायरस से बचा जा सकता है।- डॉ. एसी अखौरी, सीनियर माइक्रोबायोलॉजिस्ट।
होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है। उसमें लापरवाही बरतने पर संक्रमण फैल सकता है। सावधानी जरूरी है। इसके माध्यम से ही हम बच सकते हैं।- डॉ. साहिर पॉल, जिला सर्विलांस पदाधिकारी।फैक्ट फाइलफैक्ट फाइल
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- 1249 अस्पताल में भर्ती
- 2910 होम आइसोलेशन में