Jamshedpur: टाटा स्टील में होने जा रहा है ये बड़ा बदलाव, इन कंपनियों का होगा विलय; जानें पूरी डिटेल
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी टाटा स्टील अपने स्ट्रेटजिक प्लानिंग में बड़ा बदलाव कर रही है। इसके तहत प्रबंधन ऐसी कंपनियों का आपस में विलय कर रहा है जो एक प्रकार के उत्पादों का निर्माण करती हैं। वर्तमान में टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट के एक शेयर की कीमत 674.10 रुपये व टिनप्लेट के एक शेयर की कीमत 329.75 रुपये है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर: विश्व की दूसरी सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी, टाटा स्टील अपने स्ट्रेटजिक प्लानिंग में बड़ा बदलाव कर रही है। इसके तहत प्रबंधन ऐसी कंपनियों का आपस में विलय कर रहा है, जो एक प्रकार के उत्पादों का निर्माण करती हैं।
इसमें लांग प्रोडक्ट, फ्लैट प्रोडक्ट, डाउन स्ट्रीम, इंजीनियरिंग व सर्विसेज कंपनियों को आपस में मिलाकर एक कर रही है। इसी प्लानिंग के तहत टाटा स्टील में टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट (टीएसएलपी) व टिनप्लेट कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड को आपस में विलय किया जा रहा है।
वर्तमान में टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट के एक शेयर की कीमत 674.10 रुपये व टिनप्लेट के एक शेयर की कीमत 329.75 रुपये है। ऐसे में विलय के बाद इन कंपनियों के कितने शेयर पर किस अनुपात में टाटा स्टील के शेयर दिए जाएंगे, इस पर जल्द निर्णय लिया जाएगा।
दोनों कंपनियां है सूचीबद्ध
आपको बता दें कि टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट और टिनप्लेट कंपनी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में सूचीबद्ध है। ऐसे में कंपनी एक्ट 2013 की धारा 230 व 232 के तहत किसी भी सूचीबद्ध कंपनी के विलय से पहले उसके शेयरधारकों से इस विलय के लिए मंजूरी लेनी होती है।
ऐसे में टाटा स्टील प्रबंधन द्वारा 27 जून को टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट व 28 जून को टिनप्लेट कंपनी के नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई बेंच में सुनवाई हुई।
इसमें दोनों कंपनियों के शेयरधारकों और प्रमोटरों से रिमोट ई-वोटिंग के माध्यम से सुझाव मांगा गया था। सुनवाई के दौरान टाटा स्टील के कंपनी सेकेटरी पार्वतीसं कांचीनाथम ने इसकी पूरी प्रक्रिया की जानकारी बेंच को दी। पूरी कार्यवाही के दौरान टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन सहित बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के सदस्य उपस्थित थे।
इस आधार पर मिली विलय को मंजूरी
दोनों कंपनियों के लिए अलग-अलग हुई सुनवाई में शेयरधारकों व प्रमोटरों ने पूर्ण बहुमत के साथ टाटा स्टील में दोनों कंपनियों के विलय को मंजूरी दी।
साथ ही तय हुआ कि नई व्यवस्था को प्रभावी करने के लिए कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, बही-खातों का समायोजन, नियमावली में बदलाव सहित विलय में जरूरी सभी विषयों पर टाटा स्टील प्रबंधन अपने विवेक से निर्णय लेगी। इसके लिए उन्हें अब किसी प्राधिकार (एनसीएलटी) या शेयरधारकों से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी।