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Jamshedpur: एसीबी के हत्थे चढ़े 'दारोगा बाबू', थाना में ही रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार; जानिए क्या है पूरा मामला

झारखंड के जमशेदपुर में एसीबी की टीम ने अपने थाने में ही रिश्वत लेते दारोगा को गिरफ्तार किया है। उसके पास से 15 हजार रुपये भी जब्त कर लिया है। फिलहाल एसीबी रिश्वतखोर दारोगा के खिलाफ केस दर्ज कर ली है। उसे फिर चाईबासा न्यायालय में पेश किया गया जहां से न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। बागबेड़ा थाना में पदस्थापित दारोगा चार माह बाद सेवानिवृत्त होने वाला था।

By Anwesh AmbashthaEdited By: Shashank ShekharUpdated: Mon, 18 Sep 2023 10:44 PM (IST)
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एसीबी के हत्थे चढ़े 'दारोगा बाबू', थाना में ही रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर: जमशेदपुर में बागबेड़ा थाना में पदस्थापित दारोगा को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया है।

एसीबी की टीम ने पदस्थापित शशिभूषण राय को सोमवार सुबह बागबेड़ा थाना से गिरफ्तार किया है। दारोगा से रिश्वत के रुपये भी बरामद किए गए हैं।

चार माह बाद रिटायर्ड होने वाला था दारोगा

जानकारी के मुताबिक, रिश्वतखोर दारोगा शशिभूषण चार माह बाद सेवानिवृत्त होने वाला था। सहायक अवर निरीक्षक से दारोगा में प्रोन्नति मिली थी। मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले का निवासी है।

एसीबी ने दारोगा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर ली है। सोमवार को रिश्वत लेने के आरोप में उसकी गिरफ्तारी की गई है। देर शाम उसे चाईबासा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

इससे पहले मानगो थाना प्रभारी राजीव रंजन को 50 हजार रुपये घूस लेने के आरोप में एसीबी ने गिरफ्तार किया था। मालूम हो कि चाईबासा में ही एसीबी और एमपी एमएलए कोर्ट है।

15 सितंबर को दारोगा के खिलाफ दर्ज हुई थी शिकायत 

बताया जा रहा है कि दारोगा के विरुद्ध एसीबी कोल्हान प्रमंडल के सोनारी कार्यालय में 15 सितंबर को शिकायत दर्ज कराई गई थी। बागबेड़ा निवासी राजू सिंह ने रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज कराई थी।

राजू सिंह ने शिकायत में बताया था कि जमीन विवाद को लेकर उसके विरुद्ध बागबेड़ा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उसके मामले की जांच अधिकारी शशिभूषण राय कर रहा था। बार-बार पूछताछ करने के बहाने उसे परेशान कर रहा था।

राजू सिंह ने कहा कि उसने बताया था कि उस पर झूठी प्राथमिकी दर्ज की गई है। सही तरीके से जांच की जाए। वहीं, केस से हटाने की बात कहते हुए दारोगा 20 हजार रुपये की मांग कर रहे थे, जिसे देने में असमर्थ था। काफी दबाव देने पर 15 हजार रुपये दारोगा ने देने को कहा था।

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