Jamshedpur Crime File: मुठभेड़ के बाद जिले से बदल दिए जाते थे एसपी Jamshedpur News
Jamshedpur Crime File.जिन आइपीएस के कार्यकाल में अपराधी मुठभेड़ में मारे गए उनका इनाम के बदले जिले से ट्रांसफर कर दिया गया
By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Wed, 13 May 2020 11:18 AM (IST)
जमशेदपुर, अन्वेष अंबष्ठ। Jamshedpur Crime File इसे संयोग कहें या दुर्भाग्य, जिन आइपीएस के कार्यकाल में अपराधी मुठभेड़ में मारे गए, उनका इनाम के बदले जिले से ट्रांसफर कर दिया गया। इसके एक नहीं कई उदाहरण हैं। एसपी डॉ. अजय कुमार के साथ भी ऐसा ही हुआ। अंतत: उन्होंने नौकरी से ही इस्तीफा दे देना उचित समझा।
कारण बना राजनीति से अपराधियों का गठजोड़। जिस वांटेड अपराधी को अजय कुमार खोज रहे थे, वह बिहार में एक मंत्री के घर मिला। चाहकर भी एसपी रहे अजय कुमार उसे गिरफ्तार नहीं कर पाए। अपराध को कंट्रोल करने वाले चर्चित आइपीएस व्यवस्था से हार गए। बहरहाल, डॉ. अजय को न सिर्फ बेहतर पुलिसिंग के लिए शहर याद करता है, बल्कि शहर में सक्रिय पुलिस की टाइगर मोबाइल और सिटी पेट्रोलिंग ड्यूटी उन्हीं के कार्यकाल की देन है। शुरुआत में टाइगर मोबाइल जवानों की गश्ती के लिए सिंहभूम चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से दो दर्जन राजदूत वाहन मुहैया कराए गए थे। चौक-चौराहे पर चेकिंग प्वाइंट स्थापित किए गए थे। इसका लाभ लोगों को मिला।
भाजपा ने खोला था मोर्चा
अजय कुमार के पहले जमशेदपुर के एसपी परवेज हयात हुआ करते थे। उनके कार्यकाल में संजय ओझा, वीर सिं बोदरा, बिहार के रोहतास में गरमनाला गिरोह के साहेब सिंह मुठभेड़ में मारे गए। ठाकुर जी पाठक, टीपी सिंह समेत टाटा स्टील के अधिकारी की हत्या के बाद जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा के तत्तकालीन भाजपा विधायक दीनानाथ पांडेय (अब स्वर्गीय) और भाजपा के पदाधिकारियों ने एसपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। एसपी कार्यालय पर लगातार विरोध-प्रदर्शन करते रहे। टाटा वकर्स यूनियन के अध्यक्ष वीजी गोपाल की हत्या हो गई। इसके के बाद टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक डाक्टर जेजे ईरानी ने अविभाजीत बिहार के मुख्यमंत्री से अपराध को कंट्रोल करने वाले एसपी को भेजने का आग्रह किया। परवेज हयात का तबादला कर दिया गया।
हयात के बाद आए डॉ अजय कुमार
पटना से लाकर डॉ अजय कुमार को जमशेदपुर का एसपी बनाया गया। वांटेड अपराधियों के घर पर जब बुल्डोजर चढऩे लगे। कुर्की जब्ती की कार्रवाई होने लगी। मुठभेड़ में मारे जाने लगे तो अपराधियों और उनके आकाओं में खलबली मचने लगी थी। अजय कुमार के इस्तीफा के बाद बचे-खुचे अपराधी पनपने लगे। एसपी अनिल पालटा, राकेश मिश्रा और अमिताभ चौधरी ने अपराधियों के खिलाफ मुहिम जारी रखी। राकेश मिश्रा ने हरि सावा की हत्या में शामिल कई रसूखदार और अपराधियों को दबोचा। सफेदपोश को भी चिह्रित किया।
अरुण उरांव के कार्यकाल में मारे गए अखिलेश के चार गुर्गेडाक्टर अरुण कुमार के कार्यकाल में अखिलेश सिंह के चार गुर्गे सोनारी दोमुहानी में जुलाई 2004 में मारे गए। कुछ ही दिन बाद एसपी का तबादला कर दिया गया। इनके पास संजय आनंद लाठकर एसपी बने। अप्रैल 2005 में शहर के बड़े कारोबारी अजय सिंह का अपहरण हो गया। बिष्टुपुर में कुलराज सिंह की हत्या हो गई। एसपी आशीष बत्रा ने दुधई यादव, बड़ा निजाम, सुधीर, नसीम को मार गिराया। जनवरी 2007 में कदमा में बड़ा निजाम मारा गया। एक सप्ताह बाद ही आशीष बत्रा का तबादला कर दिया गया। एसएसपी नवीन कुमार सिंह के कार्यकाल में दो अपराधी मारे गए। 2 जुलाई 2011 में अखिलेश कुमार झा के कार्यकाल में मानगो बस स्टैंड में तीन अपराध मारे गए। कुछ दिन बाद उनका भी तबादला कर दिया गया। इसी तहर अमोल वी होमकर ने बिहार के अपराधी लुल्हा को ठिकाने लगाया। तबादला हो गया।
जुगसलाई में अर्जुन ठाकुर, दुखु खटिक, अनिल दुबे समेत कई अपराधी हुएजुगसलाई इलाके में 80 के दशक से 2000 तक काफी आपराधिक हलचल रही। अजुन ठाकुर और रौशन अली शहर के अपराधिक गतिविधि में तो शामिल रहे ही। ओडिशा के राउरकेला में इनकी काफी तूती रही। इनके नाम वहां के आपराधिक रिकार्ड में दर्ज है। रौशन अली सुंदरगढ़ के कारोबारी के अपहरण के मामले में जेल में बंद है। जुगसलाई में अजुन ठाकुर ने अनिल दुबे की नवंबर 1983 में बैंकुठधाम मंदिर के पीछे गोली मार और चाकू घोंप हत्या कर दी थी। अनिल दुबे का नाम गौशाला टाकीज में बम फेंकने के बाद सुर्खियों में आया था। चर्चा होती हैं कि अनिल दुबे दिवंगत राजेश खन्ना का फैन था। गौशला टाकीज में राजेश खन्ना का फिल्म प्रदर्शित होने पर गानों को दोबारा प्रदर्शित करवाता था। दुखु खटिक की हत्या दुखु मार्केट में ही उसके विरोधियों ने 1985 में कर दी थी। हत्या में जिंदे, सफीक समेत अन्य का नाम सामने आया था। जुगसलाई धोबी मुहल्ला के गिड्डू प्रसाद की हत्या अजुन ठाकुर ने बागबेड़ा नया बस्ती में कर दी थी। 28 बार चाकू मारने के बाद वह मारा गया था। जुगसलाई गल्र्स स्कूल रोड निवासी सुकडू सिह की हत्या का आरोप रामाशीष सिंह और विशेष सिंह पर लगा था। सुकडू सिंह की गतिविधि आपराधिक रही थी।
अ नाम के अक्षर वाले एसपी ने अपराधियों को खूब झेलाजमशेदपुर में अ अक्षर से नाम शुरू होने वाले सभी एसपी को अपराधिक गिरोहों को खूब झेलना पड़ा। अमिताभ चौधरी के कार्यकाल में अखिलेश सिंह ने उत्पात मचाया। जेलर उमाशंकर पांडेय और कारोबारी ओम प्रकाश काबरा की हत्या कर दी। ट्रांसपोर्ट हरिश अरोड़ा मारे गए। अखिलेश सिंह फरार रहा। एसपी अरूण उरावं ने भी गिरोह को झेला। परेशान रहे। गिरोह के चार गुर्गो को मारने के बाद गिरोह की गतिविधि शांत हुई। संजय आनंद लाठकर के कार्यकाल में अखिलेश सिंह पकड़ा गया। कुछ दिन जेल में रहने के बाद पे रोल पर निकला। आशीष बत्रा के कार्यकाल में भी गिरोह की गतिविधि शुरू हो गई। अखिलेश कुमार झा के एसपी बनने के बाद अखिलेश सिंह 2011 में पकड़ा गया। अमोल वी होमकर के कार्यकाल में कोर्ट परिसर में उस पर हमला हुआ। वह बच गया। होमकर के बाद अनूप टी मैथ्यू जमशेदपुर के एसपी बने। जिले में उन्होंने दंगा और बच्चा चोर अफवाह में हुई हत्याओं को झेला। उनके कार्यकाल में उपेद्र सिंह कोर्ट परिसर के बार एसोसिएशन भवन में मारा गया। अखिलेश सिंह और गुर्गो का नाम आया। अनूप टी मैथ्यू ने गिरोह के सारे सदस्यों को दबोचा। अखिलेश सिंह गुरुगाम में मुठभेड़ के बाद पकड़ लिया गया। विक्रम शर्मा भी सलाखों के भीतर है।
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