जमशेदपुर में सफेद दूध का काला कारोबार, लोगों की सेहत से हो रहा खिलवाड़; भारी मात्रा में नकली दूध पी रहे शहरवासी
दूध कारोबारी जमशेदपुर के लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यहां रोजाना 375000 लीटर दूध की जरूरत पड़ती है लेकिन 270000 लीटर दूध की ही आपूर्ति हो पाती है। वहीं बाकि बचे करीब 10000 लीटर दूध पाउडर या दूसरे किसी हानिकारक तत्व से मिलकर तैयार किया जा रहा है। चिकित्सकों ने लोगों को सतर्कता बरतने और असली-नकली दूध की पहचान के बारे में जानकारी दी है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। Jharkhand News: जमशेदपुर में प्रतिदिन 375000 लीटर दूध की जरूरत है। इसके एवज में विभिन्न स्रोतों से 270000 लीटर की आपूर्ति होती है। बाकि बचे 105000 लीटर दूध की आपूर्ति (Milk Supply) पाउडर के बने दूध से की जाती है।
यदि आप भी नकली दूध का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि आपके स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है, मिलावटी दूध का खतरा। इस संबंध में पशु चिकित्सक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि अब तक दूध में केवल पानी की मिलावट के बारे में सुना होगा।
लेकिन हम आपको बता दें कि दूध को सफेद और गाढ़ा बनाने के लिए आजकल साबुन व डिटर्जेंट और बेहद हानिकारक केमिकल्स का धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है।
नकली दूध की पहचान कर पाना है मुश्किल
Jamshedpur News: बताया जा रहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि मिलावटी दूध और असली दूध में फर्क समझ पाना आपके लिए बेहद मुश्किल है। इस तरह से बनाया जाने वाला नकली दूध, आपकी सेहत को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। हम यह सोचते हैं कि पैकेट वाला दूध अच्छा होगा लेकिन उसमें भी सिंथेटिक की मिलावट की जाती है।
कुछ लोग दूध में स्टार्च मिलाते हैं तो कुछ लोग दूध में डिटर्जेंट मिलाते हैं। इससे दूध की क्वांटिटी जरूर बढ़ती है, लेकिन क्वॉलिटी खराब हो जाती है। दूध में पानी मिलाने, यूरिया और फार्मोलिन डालकर बेचने का फार्मूला अब पुराना हो चुका है।
अब दूध कारोबारी नकली दूध बनाकर उसे असली दूध में मिलाकर धड़ल्ले से बेच रहे हैं। यह नकली दूध शैंपू, रिफाइन, ग्लूकोज और फैब्रिक्स कलर के मिश्रण से बनता है, जो बिल्कुल असली दूध की तरह दिखता है।
50 रुपये के खर्च में कारोबारी इसे इस तरह तैयार करते हैं कि दूध की गुणवत्ता जांच करने वाली मशीन लैक्टोमीटर भी नकली दूध को असली बताती है।
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पशु चिकित्सक डॉ. आरके सिंह कहते हैं कि नकदी दूध को पहचान करना बहुत जरूरी है। इसलिए उन्होंने असली व नकली दूध की पहचार कैसे करें। इस पर कुछ जानकारी दिया है। सिंथेटिक दूध स्वाद में कड़वा लगता है।उंगलियों के बीच रगड़ने पर साबुन जैसा चिकनापन लगता है। गर्म करने पर पीला पड़ जाता है। यदि दूध उबालने के बाद उसकी छाली प्लास्टिक जैसी पतली उतरे तब समझिए दूध में मिलावट है। टाइल्स के टुकड़े पर कच्चे दूध की कुछ बूंदें गिराएं। यदि एक लाइन में उसकी धार नहीं गिरती है, तब समझिए दूध में मिलावट है। अरहर की दाल के पाउडर को पांच मिनट तक कच्चा दूध में डालें। यदि रंग लाल होता है, तो समझिए कि दूध में मिलावट है।बर्तन या टेस्ट ट्यूब में थोड़ा दूध लें और पानी मिलाएं, फिर हिलाएं, अगर सर्फ, सैंपू होगा तो हल्का झाग बनेगा। दूध में एक-दो बूंद आयोडिन टिंचर डालें। यदि दूध का रंग हल्का ब्लू दिखता है तो समझें मिलावट है। दो उंगलियों के बीच दूध की बूंदें लें और उसे मसलें, साबून जैसी फील आएगी और अंगुलियों में लगा दूध हल्का पीला दिखेगा। कच्चा दूध यदि चखने पर कड़वा लगे या दूध का रंग पीला दिखे तो वह मिलावटी होगा।कमाई की लालसा ने ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन को दिया बढ़ावा
Jamshedpur News: पशु चिकित्सक डॉ. आरके सिंह कहते हैं कि दुघारू पशुओं से अधिक दूध निकालने में इस्तेमाल किया जाने वाला ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन कभी-कभी या सही मात्रा में दिया जाए तो उससे खतरा नहीं है। लेकिन आज अधिक कमाई की लालसा ने बच्चों की सेहत को खतरे में डाल दिया है। यह खतरा मवेशी पर भी मंडरा रहा है, जिसका कारण ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन है। जिसका उपयोग पशु पालक बेखौफ करते हैं। इसके दुष्प्रभाव से बच्चों में हार्मोनल परिवर्तन व दुधारू पशुओं में बांझपन का खतरा बढ़ रहा है। ऑक्सीटोसिन मिला दूध जहर से कम नहीं है।जमशेदपुर के फूड इंस्पेक्टर मंजर हुसैन समय-समय पर मवेशियों के खटाल से निकलने वाले दूध की जांच कराई जाती है। दो दिनों पूर्व भी खटाल से दूध लेकर जांच के लिए भेजा गया। कई बार जांच रिपोर्ट आया है, जिसमें दूध में पानी मिलावट की रिपोर्ट आया है। सिंथेटिक दूध रिपोर्ट में अब तक नहीं आया है।शहर में कहां-कहां से आता है दूध
जमशेदपुर डेयरी | एक लाख लीटर |
मेधा डेयरी | 20000 लीटर |
अमूल डेयरी | 70000 लीटर |
ओसम डेयरी | 7000 लीटर |
डिलाइट डेयरी | 5000 लीटर |
अन्य डेयरी | 10000 लीटर |
दूध की कुल सप्लाई | 210000 लीटर |
- 6000 हजार गाय व भैंस से 60 हजार लीटर दूध
- शहर में कुल दूध की सप्लाई 270000 लीटर