Move to Jagran APP

Jamshedpur के सिटी एसपी इस तरह बने आईपीएस... BSF कमांडेंट की नौकरी छोड़ छह साल किया संघर्ष

Jamshedpur News के विजय शंकर के पिता भी आईपीएस है। के विजय शंकर ने कहा- मैं दूसरे प्रयास में छह साल की मेहनत के बाद आइपीएस बन पाया। इसके लिए मेरे पिता वी कामराज मेरे प्रेरणास्रोत रहे।

By Sanam SinghEdited By: Updated: Sun, 19 Jun 2022 04:21 PM (IST)
Hero Image
Jamshedpur News : अपने पिता के साथ जमशेदपुर सिटी एसपी।
जमशेदपुर। जमशेदपुर के सिटी एसपी के विजय शंकर( IPS K Vijay Shankar) अपने आईपीएस बनने का सारा श्रय अपने पिता वी कामराज को देते हैं।  के विजय शंकर मुल रूप से आंध्रप्रदेश ( Andra Pradesh Boy Became IPS )के रहने वाले हैं।

के विजय शंकर ने कहा-  मैं दूसरे प्रयास में छह साल की मेहनत के बाद आइपीएस बन पाया। इसके लिए मेरे पिता वी कामराज मेरे प्रेरणास्रोत रहे। मेरे पिता भी आईपीएस थे। मैं पहले सीमा सुरक्षा बल में असिस्टेंट कमांडेंट था, लेकिन मुझे यह नौकरी रास नहीं आ रही थी। यहां मैं मन लगाकर काम नहीं कर पा रहा था। इस कारण मैंने पिताजी से कहा कि मुझे एक बार और यूपीएससी की परीक्षा देनी है। मुझे आइपीएस ही बनना है। इस पर पिता ने एक ही बार कहा कि मुझे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जो भी करों मन लगाकर करों। उसके बाद दूसरे प्रयास के लिए यूपीएससी की तैयारी प्रारंभ की। अंतत: दूसरे प्रयास में मैं आइपीएस बन गया। इस दौरान छह साल लग गए, लेकिन कभी भी पिताजी ने यह नहीं कहा कि दूसरी नौकरी कर लो। उन्हीं के संयम ओर प्रोत्साहन के कारण आज आइपीएस बन पाया। मेरा भाई भी एनएसजी में पदस्थापित है। के विजय शंकर स्कूल औऱ कॉलेज में एवरेज स्टूडेंट थे।

-----

फटी चप्पल पहन बेटे को पहुंचाते थे स्कूल, बेटा आज बना आइएएस

जमशेदपुर : एक पिता के संघर्ष ने वह कर दिखाया जिसकी हर बेटे को उम्मीद रहती है। आदित्यपुर निवासी विजय ठाकुर पेशे से आटो चालक हैं। उनके पास इतने पैसे भी नहीं होते थे कि एक जोड़ी चप्पल खरीद सकें। टूटी चप्पल पहन साइकिल पर बैठाकर साकची तक स्कूल पहुंचाते थे। लगातार तीन साल उन्होंने स्कूल छोड़ा। दरअसल उस समय उनके पास आटो नहीं था। आज उनका बेटा सुमित आइएएस बनने वाला है। उसने यूपीएससी की परीक्षा में 263वां रैंक प्राप्त की थी। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद आगे पढ़ने की इच्छा का पिता ने समर्थन किया और जी तोड़ मेहनत की। सुमित की हर इच्छा को पूर्ण का निरंतर प्रयास करते रहे। इस कारण सुमित के पिता ने उन्हें आगे बढ़ने से कभी नहीं रोका। वर्तमान में आटो चालक विजय ने बेटे से एक ही चाहत रखी है व एक गरीब बच्चे की पढ़ाई लिखाई में अवश्य मदद करें।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।