Jamshedpur News: IMA ने झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ खोला मोर्चा, 11 चिकित्सकों पर लगाए गंभीर आरोप
Jamshedpur News जमशेदपुर व इसके आसपास के इलाके बागबेड़ा गोविदपुर भुइयांडीह आजाद बस्ती जाकिर नगर पारडीह सहित अन्य क्षेत्रों में लगभग 300 झोला छाप चिकित्सकों के होने की संभावना है। आइएमए ने जिला प्रशासन से बड़े पैमाने पर जांच अभियान चलाने की मांग की है
By Madhukar KumarEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2022 10:14 AM (IST)
जमशेदपुर, जासं। शहर के बीचों-बीच झोला छाप डाक्टर मरीजों की जान से खेल रहे हैं। यहां तक कि नर्स भी विशेषज्ञ बनकर गर्भवती महिलाओं का प्रसव करा रही है। यह गंभीर आरोप रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) जमशेदपुर शाखा की ओर से एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर लगाए गए हैं। आइएमए ने शहर के 11 चिकित्सकों की सूची जारी कर उन्हें झोला छाप की श्रेणी में रखा है। इन चिकित्सकों की सूची सोमवार को जिले के उपायुक्त विजया जाधव को भीसौंपी जाएगी। आइएमए के सचिव डा. सौरभ चौधरी ने कहा कि एक डाक्टर बनने के लिए बहुत परिश्रम करना पड़ता है। तब जाकर आपको मरीजों का इलाज करने का अधिकार मिलता है, लेकिन यहां बिना डिग्री लिए सैकड़ों लोग विशेषज्ञ डाक्टर बनकर मरीजों की जान से खेल रहे हैं, जो गंभीर विषय है। इसे लेकर आइएमए ने एक बड़े अभियान की शुरुआत की है। इस दौरान शहर के सभी झोला छाप चिकित्सकों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्ती के साथ कार्रवाई की जाएगी। पूर्व में आदित्यपुर में एक झोला छाप चिकित्सक ईएनटी रोग विशेषज्ञ बनकर मरीजों का इलाज कर रहा था। मामला सामने आने के बाद वह क्लीनिक बंद कर भाग गया। संवाददाता सम्मेलन में आइएमए के अध्यक्ष डा. जीसी माझी, सचिव डा. मृत्युंजय सिंह, डा. मिंटू अखौरी सिन्हा, डा. अभिषेक मुंडू, डा. राम नरेश राय, डा. अभय कृष्णा, डा. मनोज कुमार सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे।
शहर में 300 झोला छाप डाक्टर होने की संभावना जमशेदपुर व इसके आसपास के इलाके बागबेड़ा, गोविदपुर, भुइयांडीह, आजाद बस्ती, जाकिर नगर, पारडीह सहित अन्य क्षेत्रों में लगभग 300 झोला छाप चिकित्सकों के होने की संभावना है। आइएमए ने जिला प्रशासन से बड़े पैमाने पर जांच अभियान चलाने की मांग की है, ताकि मरीजों की जान से खिलवाड़ नहीं हो। आइएमए के अनुसार, डा. ममता जेना, मानगो देवकी नर्सिंग होम में वार्ड गर्ल का काम करती थी। अब मानगो शिफा क्लीनिक में महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ बनकर मरीजों को इलाज करने के साथ प्रसव करा रही है। जबकि उसके पास न तो एमबीबीएस की डिग्री है और न ही एमडी की। वहीं, इस संदर्भ में जब दैनिक जागरण ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मैं अभी रांची में हूं। मैंने ओडिशा से एमबीबीएस किया है। इस तरह का आरोप गलत है। आरोप लगाने वाले सभी चिकित्सकों को मैं नोटिस भेजूंगी।
आइएमए ने इस तरह की जांचआइएमए के सचिव डा. सौरभ चौधरी ने कहा कि एसोसिएशन की ओर से शहर में सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में इन चिकित्सकों से संपर्क किया गया तो इन्होंने सदस्य बनने से इंकार कर दिया। इससे एसोसिएशन को शंका हुई। इसके बाद एसोसिएशन ने एक गुप्त टीम बनाकर उन चिकित्सकों की जांच-पड़ताल की तो ये झोला छाप मिले। इनके पास न तो एमबीबीएस की डिग्री है, ना एमडी की। लेकिन ये अपने आप को डाक्टर या विशेषज्ञ बताकर मरीजों की जान के साथ खेल रहे हैं। ये झोला छाप चिकित्सक आइएमए के सदस्य नहीं हैं, लेकिन आइएमए का लोगो इस्तेमाल कर रहे हैं।
आइएमए ने किस पर क्या लगाया आरोपडा. सुबोध कुमार : मानगो डिमना रोड में बैठते हैं। इनके पर्ची पर एमडी मेडिसिन लिखा हुआ है। आइएमए का आरोप है कि इनके पास एमबीबीएस की भी डिग्री नहीं है।डा. एस. मौआर : मानगो के ड्रीमलैंड मेडिकल स्टोर में बैठते हैं। उनके पास भी डिग्री नहीं होने का आरोप है।डा. ममता जेना : मानगो देवकी नर्सिंग होम में पहले वार्ड गर्ल्स का काम करती थीं। अब मानगो शिफा क्लीनिक में महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ बनकर इलाज कर रही है।
डा. संजय नंदी : पहले कंपाउंडर का काम करते थे। अब काशीडीह कल्याणी क्लीनिक में डाक्टर बनकर मरीज को देख रहे हैं।डा. अशोक मोहंती : बिष्टुपुर कांतिलाल अस्पताल के समीप बैठते हैं। ये मरीजों को एक हजार में कोई पाउडर देते हैं। संभवत: ये स्टेरायड होता है, जो जल्दी असर तो करता है लेकिन यह सेहत को काफी नुकसान पहुंचाता है। ये भी डाक्टर नहीं हैं।डा. रवि शंकर : बाराद्वारी में इनका क्लीनिक है। ये फिजियोथेरेपिस्ट हैं, लेकिन मरीजों को दवा भी लिखते हैं, जो इनके अधिकार में नहीं आता है। यह गलत है।
डा. एसएन कुंभकार : ये मानगो में दृष्टि नेत्र क्लीनिक एंड आप्टिकल में मरीजों को दवा लिखते हैं, जबकि इनके पास एमबीबीएस की डिग्री नहीं है।डा. शुभेंदु कुमार : ये ओल्ड पुरुलिया रोड स्थित बदर्स फार्मा में मरीज को देखते हैं। अपने पर्ची पर एमबीबीएस व एमडी लिखते हैं। इनके पास डिग्री नहीं है।डा. जेके गांगुली : कदमा शास्त्री नगर स्थित मेडिसिन कार्नर में मरीज को देखते हैं जबकि इनके पास एमबीबीएस की डिग्री नहीं है।
डा. सीमा परवीन : संभवत: पहले ये नर्स का काम करती थीं, लेकिन अब जाकिरनगर में डाक्टर बनकर मरीजों को देख रही हैं।डा. एमआई अंसारी : इनके पास भी एमबीबीएस की डिग्री नहीं है, जबकि इनकी पर्ची पर एमबीबीएस लिखा हुआ है।झोलाछाप चिकित्सक से कैसे बचेडाक्टरों से उनके नाम व डिग्री लिखी पर्ची लें।- क्लीनिक के बाहर साइन बोर्ड पर डाक्टर का नाम व डिग्रियां अंकित हैं या नहीं, इसका विशेष ध्यान रखें।- इसकी जानकारी जरूर लें कि डिग्री कौन से विवि व काउंसिल से संबद्ध है।
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