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Jamshedpur News: जमशेदपुर की साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा, जानिए रांची की क्या है स्थिति

Jamshedpur News जमशेदपुर को-आपरेटिव कालेज में अर्थशास्त्र की विभागाध्यक्ष डा. अंतरा कुमारी कहती हैं कि निरक्षर आबादी बोझ बन जाती है लेकिन जब यही आबादी साक्षर हो जाए तो विकास में सहायक हो जाती है। जानिए जमशेदपुर में कितनी है साक्षरता दर।

By Madhukar KumarEdited By: Updated: Mon, 11 Jul 2022 09:39 AM (IST)
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Jamshedpur News: जमशेदपुर की साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा, जानिए रांची की क्या है स्थिति
जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर सहित पूर्वी सिंहभूम जिले की जनसंख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, जिससे एक ओर जहां आवासीय भूखंड की कमी हो रही है, वहीं अकुशल श्रमिकों की बढ़ती संख्या बोझ बनती जा रही है। इसमें अच्छी बात यह है कि पूर्वी सिंहभूम जिले में साक्षरता दर झारखंड में रांची के बाद दूसरे नंबर पर है। जमशेदपुर की साक्षरता दर 86 प्रतिशत से ज्यादा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 86 प्रतिशत है। जिले की जनसंख्या के साथ-साथ साक्षरता दर भी बढ़ती जा रही है।

लोग साक्षर होंगे तो विकास भी तेजी से होगा

जमशेदपुर को-आपरेटिव कालेज में अर्थशास्त्र की विभागाध्यक्ष डा. अंतरा कुमारी कहती हैं कि निरक्षर आबादी बोझ बन जाती है, लेकिन जब यही आबादी साक्षर हो जाए तो विकास में सहायक हो जाती है। अर्थशास्त्र की भाषा में जनसंख्या को मानव संसाधन कहा जाता है। जमशेदपुर औद्योगिक शहर है, इसलिए साक्षरता का महत्व यहां और भी बढ़ जाता है। जनसंख्या का जितना अधिक हिस्सा साक्षर और कुशल श्रमिक का होगा, विकास उतना ही अधिक होगा। जनसंख्या के मामले में झारखंड के प्रमुख शहरों रांची, धनबाद और गिरिडीह के बाद पूर्वी सिंहभूम आता है, लेकिन साक्षरता के मामले में पूर्वी सिंहभूम दूसरे और जमशेदपुर पहले नंबर पर है। 2001 में जिले का साक्षरता दर 68.79 प्रतिशत था, जो 2011 में 76.13 हो गया। इस साक्षरता दर में पुरुषों का प्रतिशत 84.51 और महिलाओं का 67.33 प्रतिशत है। चूंकि 2011 के बाद सरकार की ओर से जनगणना नहीं की गई है, लेकिन ठीक-ठीक अनुमान लगाना मुश्किल है। सांख्यिकी विभाग के अनुमान के मुताबिक 2022 में जिले की जनसंख्या 27,88,488 हो गई है, जिसमें 14,30,642 पुरुष व 13,57,846 महिलाएं हैं। साक्षरता में पुरुषों का आंकड़ा 84.51 और महिला 67.33 प्रतिशत है।

बड़ी कंपनियां आतीं तो नहीं होता पलायन

जमशेदपुर में टाटा स्टील व टाटा मोटर्स की तरह अन्य बड़ी कंपनियां आतीं, तो अभी जो जिले से अकुशल-कुशल श्रमिकों का पलायन हो रहा है, वह नहीं होता। कोरोना काल में हमने देखा कि यहां कई मजदूर लौटकर आए, जो राजस्थान में टाइल्स और सूरत में हीरा के कारोबार से जुड़े थे। कोरोना सामान्य होते ही ये चले गए। इनके लायक यहां उद्योग नहीं था। इन सबके बावजूद यहां कुशल श्रमिकों की संख्या बढ़ेगी तो उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों में ही रोजगार उत्पन्न किया जा सकता है। सरकार, निजी कंपनियों व स्वयंसेवी संस्थाओं को कुशल श्रमिक उपलब्ध कराने की दिशा में ज्यादा काम करने की आवश्यकता है।- डा. अंतरा कुमारी, विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र, जमशेदपुर को-आपरेटिव कालेज

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