अल-कायदा की शाखा अल-कायदा इन इंडियन सबकान्टिनेंट (एक्यूआइएस) के आतंकी अब्दुल शमी के विरुद्ध बिष्टुपुर थाना में दर्ज मामले में शनिवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार सिन्हा के न्यायालय में दारोगा लक्ष्मी नरायण सिंह की गवाही हुई। दारोगा की सीजर लिस्ट में गवाही थी। इस मामले पहले भी गवाही हो चुकी थी जिसमें शमी का नाम नहीं आया था।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। अल-कायदा की शाखा अल-कायदा इन इंडियन सबकान्टिनेंट (एक्यूआइएस) के आतंकी अब्दुल शमी के विरुद्ध बिष्टुपुर थाना में दर्ज मामले में शनिवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार सिन्हा के न्यायालय में दारोगा लक्ष्मी नरायण सिंह की गवाही हुई।
दारोगा की सीजर लिस्ट में गवाही थी। इस मामले पहले भी गवाही हो चुकी थी, जिसमें शमी का नाम नहीं आया था। इस कारण बचाव पक्ष के अधिवक्ता दिलीप महतो ने क्रास करने से इनकार कर दिया। मामले में अब 16 मार्च को सुनवाई होगी।
25 जनवरी 2016 को दर्ज की गई थी FIR
बिष्टुपुर थाना में अब्दुल सामी, अब्दुल रहमान कटकी, मौलाना कलीमुद्दीन, अब्दुल मसूद और नसीम समेत अन्य के विरुद्ध बिष्टुपुर थाना में आतंकवादी संगठन अलकायदा से जुड़ने, संगठन का विस्तार करने, जिहाद के लिए युवाओं को भड़काने और देशद्रोह की प्राथमिकी 25 जनवरी 2016 को दर्ज की गई थी।
बिष्टुपुर थाना क्षेत्र धतर्कीडीह निवासी अब्दुल सामी को हरियाणा के मेवात से 18 जनवरी 2016 को दिल्ली की स्पेशल सेल गिरफ्तार किया था। उसके सहयोगियों की जमशेदपुर समेत अन्य क्षेत्र से गिरफ्तारी होने के बाद बिष्टुपुर में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
देशभर में आतंकी गतिविधियों की साजिश रचने और आतंकी समूह के लिए सदस्यों की भर्ती करने के लिए दिल्ली पटियाला हाउस की विशेष न्यायालय ने अलकायदा के चार आतंकी जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाना क्षेत्र धतकीडीह निवासी अब्दुल सामी, ओडिशा के कटक जिला के जगतपुर के मौलाना मो. अब्दुल रहमान कासमी समेत मो. आसिफ और जफर मसूद को सात साल पांच माह सश्रम कारावास और 25-25 हजार रुपये जुर्माना की सजा 14 फरवरी 2023 को सुनाई थी। शमी वर्तमान में घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंद है।
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