101 वर्ष का हुआ झारखंड का ये शहर, 1919 में मिला था जमशेदपुर का नाम
Jamshedpur. झारखंड का यह शहर 101 वर्ष का हो गया है। इसे 1919 में जमशेदपुर का नाम मिला था। वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड ने साकची से बदलकर शहर का नाम जमशेदपुर रखा था।
By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Thu, 02 Jan 2020 12:22 PM (IST)
जमशेदपुर, जागरण स्पेशल। Jamshedpur देश भर में जमशेदपुर की पहचान टाटा के शहर क्लीन सिटी-ग्रीन सिटी के रूप में है। दो जनवरी को यह शहर अपनी स्थापना के 101 वर्ष पूरी कर रही है। इस एतिहासिक शहर की कहानी यहां स्थापित निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी इस्पात कंपनी टाटा स्टील से जुड़ी हुई है। आइए जानिए इसका सफरनामा।
1907 में टाटा समूह के संस्थापक जेएन टाटा के सपने को साकार करते हुए उनके बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा ने पहले टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (अब टाटा स्टील) की नींव रखी। इसके बाद शहर बसाने की परिकल्पना की गई। दो जनवरी 1919 को जब भारत के गर्वनर जनरल सह वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड जब यहां पहुंचे तो उन्होंने साकची का नाम बदलकर संस्थापक जमशेद जी नसरवान जी टाटा के नाम पर जमशेदपुर और कालीमाटी स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर रखा।प्रथम विश्वयुद्ध के बाद बधाई देने आए थे लार्ड चेम्सफोर्ड
वर्ष 1920 में कुछ यूं दिखता था बिष्टुपुर बाजार। यहां बैलगाडि़यां चलती थी।
लार्ड चेम्सफोर्ड यहां टाटा कंपनी को प्रथम विश्वयुद्ध में रेल के लिए स्टील देने पर बधाई देने शहर पहुंचे थे और उपहारस्वरूप शहर का नाम यहां के संस्थापक के नाम पर रखा था। जब शहर बसा तो मूलभूत सुविधाओं के साथ चौड़ी सड़कें बनीं। सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगाए गए। कर्मचारियों के रहने के क्वार्टर, इलाज के लिए टीएमएच अस्पताल, बच्चों के लिए स्कूल व कॉलेज, तकनीकी शिक्षा के लिए शावक नानावती टेक्निकल इंस्टीटयूट (एसएनटीआई), सामान खरीदने व बेचने के लिए बिष्टुपुर बाजार सहित पेयजल की आपूर्ति के लिए डिमना में डैम बना। आज 101 वर्ष पूरा करने के बाद अपना जमशेदपुर किसी स्मार्ट सिटी को चुनौती देने की ओर अग्रसर है। यह आज पूरे देश में सफाई, साफ पेयजल और 24 घंटे निर्बाध बिजली के लिए विख्यात है।
101 वर्षो में बदल गया अपना जमशेदपुर छोटा सा कालीमाटी स्टेशन। वर्ष 1910 में। कालीमाटी बना टाटानगर : टाटा कंपनी की नींव साकची नाम गांव में रखी गई थी। इससे लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग गुजरती थी। जिसका पहले नाम कालीमाटी था। जिसे वर्ष 1907 में तैयार किया गया था। उस वक्त का छोटा सा कालीमाटी स्टेशन अब टाटानगर स्टेशन बन चुका है। यह रेलवे के सभी मंडलों में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले स्टेशन में से एक है।
शहर को मिला जुबिली पार्कजुबिली पार्क!101 वर्ष में जमशेदपुर शहर को 1954 में जुबिली पार्क के रूप में एक सुंदर पार्क मिला, जो आज पर्यटन के लिए विख्यात है। इस पार्क में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बरगद का पौधा लगाया था, जो आज विशाल रूप ले चुका है। इसके अलावा शहर के हर इलाके में पार्क बने।
101 वर्षो में मिले कई एतिहासिक धरोहर बिष्टुपुर आज।जमशेदपुर शहर को अपने 101 वर्षो के शानदार सफर में कई एतिहासिक धरोहर मिले। इसमें शहर के आसपास टाटा मोटर्स, टाटा कमिंस, टाटा ब्लूस्कोप, इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट (आइएसडब्ल्यूपी पूर्व में तार कंपनी), जेम्को कंपनी, टाटा स्टील प्रोसेसिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (टीएसपीडीएल), टिमकेन, जुस्को सहित कई कंपनियां यहां लगीं। स्थानीय सहित बाहरी युवाओं को रोजगार मिला और धीरे-धीरे शहर का विस्तार होता गया। आज यहां अपने बेहतर आउटफील्ड के लिए विख्यात कीनन स्टेडियम, जमशेदपुर फुटबॉल क्लब की होम ग्राउंड जेआरडी टाटा स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स, विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच), बिजनेस स्कूल के रूप में एक्सएलआरआई, जूलोजिकल पार्क, मेरीन ड्राइव, सर दोराबजी पार्क, साकची व बिष्टुपुर बाजार, कई मल्टीप्लेक्स, मॉल सौगात के रूप में मिले। आज हमें अपने इस सुंदर शहर पर गर्व है।
शहर का इतिहासटाटा स्टील प्लांट।
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- 1908 में टीएमएच अस्पताल की हुई थी स्थापना
- 1911 में तैयार हुआ था कालीमाटी (टाटानगर) स्टेशन
- 1915 में खोला गया था शहर का पहला हाई स्कूल मिसेज केएमपीएम इंटर कॉलेज
- 1930 में कंपनी परिसर के बगल में बना था शहर का पहला बिष्टुपुर बाजार
- 1934 में टाटा स्टील का बना था जनरल ऑफिस बिल्डिंग
- 1938 में रीगल मैदान के पास बना था रीगल सिनेमा बिल्डिंग
- 1939 में बना था कीनन स्टेडियम