यह पर्व है अनोखा, नदी तटों पर लगने वाले मेले में दिखती झारखंड की संस्कृति
Tusu. टुसू पर्व पर नदी तटों पर लगनेवाले मेले में चौड़ल लिए नाचते-गाते नदियों की ओर जाती युवतियां, महिलाएं और बच्चों की टोली परंपरा की अनोखी मिसाल पेश करती है।
By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Sun, 13 Jan 2019 04:00 PM (IST)
जमशेदपुर, जेएनएन। टुसू पर्व। झारखंड के प्रसिद्ध पर्वों में एक। इस पर्व के अवसर पर नदी तटों पर लगनेवाले मेले की खूबसूरती अद्भुत होती है। चौड़ल लिए नाचते-गाते नदियों की ओर जाती युवतियां, महिलाएं और बच्चों की टोली परंपरा की अनोखी मिसाल पेश करती है।
मकर संक्रांति पर मनाए जाने वाले टुसू पर्व के दौरान पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर शहर और आसपास के क्षेत्र में मेले का आयोजन किया जाता है। लौहनगरी में टुसू के दौरान सोनारी दोमुहानी, भुइयांडीह, बिरसानगर, डिमना लेक के निकट, भिलाई पहाड़ी, बिष्टुपुर गोपाल मैदान आदि समेत कई स्थानों में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। टुसू पर्व झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बहरहाल, मुर्गा पाड़ा का दौर भी इसी के साथ शुरू हो गया है। अगहन संक्रांति से शुरू होती तैयारी
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में मकर संक्रांति से एक माह पहले अगहन संक्रांति से ही टुसू पर्व की तैयारी शुरू हो जाती है। मकर संक्रांति के दिन पर्व का समापन टुसू विसर्जन के साथ होता है। विसर्जन के लिए नदी पर ले जाने के दौरान लोग टुसू के पारंपरिक गीत गाते और नाचते हुए चलते हैं। पर्व का शुभारंभ इस वर्ष 13 जनवरी को चाउल धुआ के साथ हुआ। 14 जनवरी को बाउंडी पर्व मनाया जाएगा।
बाउंडी पर घरों में होती विशेष पूजा
बाउंडी के मौके पर घरों में विशेष पूजा होती है और इसी दिन घरों में नए धान के चावल का आटा पीसकर पीठा बनाया जाता है। इस दिन सभी घरों में पीठा बनाया जाता है, घर के सभी लोग एक साथ बैठकर पीठा खाते हैं। इसके बाद 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर टुसू का त्योहार मनाया जाएगा। इस अवसर पर लोग विभिन्न नदी और जलाशयों में आस्था की डुबकी लगाएंगे। वहीं मंदिरों में पूजा अर्चना कर दान पुण्य करेंगे। पर्व के मौके पर नए परिधान पहनने की प्रथा वर्षों से चली आ रही है।बनता है खास व्यंजन
टुसू पर्व के मौके पर कई प्रकार के खास व्यंजन बनाए जाते हैं। इसमें सबसे खास गुड़ पीठा है। गुड़ पीठा को अरसा पीठा भी कहा जाता है। इसे गुड़ और पीसे हुए चावल से बनाया जाता है। इसके अलावा चीनी पीठा, सूजी पीठा, खपरा पीठा, हल्दी पीठा के साथ मुढ़ी लड्डू, चुड़ा लड्डू, तिल लड्डू भी बनाया जाता है। व्यंजनों में नारियल का भी प्रयोग होता है। इन जगहों पर लगता मेला
टुसू पर्व के मौके पर सोनारी, दोमुहानी, भुइयांडीह, बिरसानगर, भिलाई पहाड़ी, डिमना लेक, बिष्टुपुर गोपाल मैदान आदि समेत कई स्थानों पर मेला का आयोजन किया जाता है। सोनारी के दोमुहानी में झारखंड सांस्कृतिक कला केंद्र, सोनारी की ओर से टुसू मेला शनिवार से शुरू हो गया है।
...और हो गया पारू : काला..काला... सफेद...सफेद... कुड़ी... कुड़ी की कोलाहाल के बीच सिर्फ चार मिनट की लड़ाई में एक ही वार में प्रतिद्वंदी काला साड़ा (लडऩे वाला मुर्गा) चित होकर पारू (हारने वाला मुर्गा) हो गया। उसके बाद मालिक की गोद में बैठ शान से पाड़ा (मुर्गा लड़ाई की जगह) से बाहर निकला गर्दन पर सफेद पंख वाला साड़ा। यह नजारा है पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर के सोनारी के दोमुहानी में लगे टुसू मेले में हो रही मुर्गा लड़ाई का। यहां मकर संक्रांति के मौके पर दो-तीन पहले से ही मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें मुर्गापाड़ा लगता है। जिसमें मुर्गों पर बड़ी रकम दांव भी लगाती है। रंग के आधार पर मुर्गे पर दांव लगता है। जिसमें पहले रंग और उसके बाद रकम बोला जाता है। मुर्गा पाड़ा होता खास आकर्षण
सोनारी में मुर्गा लड़ाई प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के रूप में पांच, तीन व दो हजार रुपये रखा गया है। मेला के तीसरे दिन टुसू व चौड़ल प्रतियोगिता का आयोजन होगा। इसमें प्रथम पुरस्कार 21 हजार, दूसरा 15 हजार, तीसरा 10 हजार, चौथा सात हजार, पांचवां पांच हजार, छठा साढ़े तीन हजार, सातवां तीन हजार और आठवां पुरस्कार ढाई हजार रुपये रखा गया है।भिलाई पहाड़ी में टुसू मेला 15 को
भिलाई पहाड़ी टुसू मेला समिति द्वारा 15 जनवरी को 12वां झारखंडी सांस्कृतिक टुसू मेला का आयोजन भिलाई पहाड़ी हाट मैदान में किया गया है। मेला में शामिल होने वाले टुसू के लिए कुल 11 पुरस्कार रखा गया है। पुरस्कार डेढ़ हजार से लेकर 16 हजार तक हैं। यहां मुर्गा लड़ाई प्रतियोगिता में दो हजार एक रुपये से लेकर चार हजार एक रुपये तक का पुरस्कार रखा गया है। टुसू मेला में झुमर संगीत के साथ घोड़ा नाच, बाघ नाच, मयूर नाच, पाता नाच, मुंडारी नाच, सरपा नाच, रंपा नाच, नटुवा नाच, काडा लड़ाई आदि समेत कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।भुइयांडीह में भी 15 से 17 तक मेला
भुइयांडीह में झारखंड सांस्कृतिक कला रंगमंच की ओर से 15 से 17 जनवरी तक टुसू मेला का आयोजन किया जाएगा। यहां मुर्गा लड़ाई प्रतियोगिता में सोने की अंगूठी, मोटरसाइकिल, साइकिल, चांदी के पायल समेत नकद राशि पुरस्कार रखा गया है। इसके साथ ही टुसू के लिए भी आकर्षक पुरस्कार रखा गया है। मेला में राज्य की लुप्त होती सांस्कृतिक नृत्यों के आयोजन के साथ ही बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिता का आयोजन होगा। साल का पहला दिन 16 जनवरी16 जनवरी को मनाए जाने वाला आखाइन जातरा नया साल का पहला दिन है। इस दिन क्षेत्र में कृषि कार्य प्रारंभ किया जाता है। लोग अपने अपने खेत में हल जोतते हैं, घर लौटने पर महिलाएं हल बैलों को चुमान और हल जोतने वाले का पैर धोकर स्वागत किया जाता हैं। इसके साथ ही इस समय नजदीकी तलाब से तीन कुदाल मिट्टी निकालने का रिवाज है ताकि जलाशय का आकार एवं गहराई बना रहे। कुदाल को तीन चोट गोबर एकत्रित गड्ढे में भी मारा जाता है यानि इस पावन दिन से कृषि कार्य शुरू माना जाता है। आखाइन यात्रा के दिन से विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए वर-वधु की तलाश करना शुरू हो जाता है। इसके साथ ही नये दुकान, गृह प्रवेश या कोई भी नया काम प्रारंभ करना इस दिन महत्वपूर्ण एवं शुभ माना जाता है।पूर्व मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएंपूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने टुसू पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं। िट्वटर पर पर जारी संदेश में उन्होंने सोहराय और मकर पर्व की भी शुभकामनाएं दी।
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