जमशेदपुर में धराशायी होंगी कई इमारतें! अवैध निमार्ण पर हाई कोर्ट ने कहा- अब बिल्डिंग गिरेगी, फिर होगी बात
जमशेपुर में अवैध निर्माण पर हाई कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा है कि अब इमारतें गिरेंगी फिर आगे बात करेंगे। शहर में बढ़ते अवैध निर्माण को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (अक्षेस) के प्रति सख्त रुख अपनाया है। हाई कोर्ट शहर में फैले अवैध निर्माण के जाल और अक्षेस की लापरवाही को लेकर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बातें कही।
जासं, जमशेदपुर। शहर में बढ़ते अवैध निर्माण को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने जमशेदपुर अक्षेस के प्रति सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रौशन की पीठ ने अक्षेस द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले कुछ अवैध निर्माणों को ध्वस्त करके दिखाएं, उसके बाद ही आगे की बातचीत होगी।
कमीशन की रिपोर्ट सौंपी गई
सोमवार को राकेश झा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट द्वारा गठित अधिवक्ता आयोग के अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सहाय ने अपनी दूसरी रिपोर्ट अदालत में पेश की।
इस रिपोर्ट में शहर में फैले अवैध निर्माण के जाल और अक्षेस की लापरवाही का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह से नियमों को ताक पर रखकर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं और अक्षेस के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।
सुनवाई के दौरान अक्षेस के अधिवक्ता ने दावा किया कि 46 अवैध भवनों को सील कर दिया गया है। इस पर अदालत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूछा कि कितने अवैध निर्माणों को वास्तव में ध्वस्त किया गया है।
अदालत ने कहा कि अक्षेस द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट महज दिखावा है और इसमें 2011 में सील किए गए भवनों की सूची को ही दोहराया गया है, जबकि हकीकत में इन भवनों से सीलिंग हटा ली गई है और एक भी अवैध निर्माण को गिराया नहीं गया है।
बेसमेंट में किचन पर हैरानी
कमीशन की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद अदालत ने अक्षेस के अधिवक्ता से कहा कि बेसमेंट में पार्किंग और कमर्शियल काम्प्लेक्स बनाने की बात तो सुनी है, लेकिन बेसमेंट में किचन बनाने की बात कभी नहीं सुनी।
अदालत सेंटर प्वाइंट होटल में हुए अवैध निर्माण का उदाहरण देते हुए यह टिप्पणी कर रही थी। इस पर अक्षेस के अधिवक्ता कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
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