Lumpy Virus : जानिए क्या है लंपी वायरस, जिसे लेकर झारखंड में भी मचा है हड़कंप
Jharkhand News यह वायरस सभी प्रकार की गायों और भैंसों को प्रभावित करता है। इसमें सबसे पहले गाय को बुखार आता है और एक या दो दिन बाद गाय की स्किन पर बहुत सारे गोल दाने उभर जाते हैं...
By Jitendra SinghEdited By: Updated: Tue, 20 Sep 2022 11:35 AM (IST)
जमशेदपुर : लंपी वायरस का प्रकोप देश के राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों में पाई गई है। लंपी स्किन डिजीज जिसे पशु चेचक भी कहते हैं एक वायरल बीमारी है जो कैपरी पाक्स वायरस से फैलती है। कैपरी पाक्स वायरस से बकरियों में गोट पाक्स नाम की बीमारी फैलती है और भेड़ों में सीप पाक्स तथा गायों में लंपी स्किन डिजीज नाम की बीमारी फैलती है। झारखंड के कई जिलों में लंपी वायरस से पीड़ित पशु मिले हैं, इसे लेकर राज्य सरकार अलर्ट मोड पर है।
गोट पाक्स, सीप पाक्स के बाद अब लंपी पाक्सपशु चिकित्सक डा. आरके सिंह कहते हैं कि तीनों बीमारियां एक ही वायरस से फैलती है, बस उनका वैरियेंट अलग होता है। यह वायरस सभी प्रकार की गायों और भैंसों को प्रभावित करता है। इसमें सबसे पहले गाय को बुखार आता है और एक या दो दिन बाद गाय की स्किन पर बहुत सारे गोल दाने उभर जाते हैं।
गाय को अनेक स्थानों पर लटकती हुई सूजन दिखाई देती हैं, मानो पानी के भरे हुए गुब्बारे लटक रहे हो, गाय के सारे शरीर पर सूजन आ जाती है। सूजन को हाथ से अनुभव किया जा सकता है। इस वायरस को लेकर पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर है। जिला प्रशासन ने वायरस से बचाव के लिए 40 हजार टीके मंगवा लिए हैं।
दूध देने वाली गांयों में सबसे पहले फैलती है बीमारी
बीमारी गायों की सभी प्रजातियों में होती है। दूध देने वाली गायों की इम्यूनिटी थोड़ी कम होती है, इसलिए सबसे पहले दूध देने वाली गायों में आती है और इसी प्रकार बछड़ों में अधिक नुकसान करती है। डा. आरके सिंह कहते हैं कि यह बीमारी खास कर जर्सी नस्ल में जानलेवा होती है। लेकिन भारतीय प्रजाति की गायों में जिन्हें जेबू कैटल की प्रजाति माना जाता है, इतनी जानलेवा नहीं होती।
ऐसे नहीं फैलती लंपी वायरसयह बीमारी हवा से नहीं फैलती, छींकने से नहीं फैलती, थूक और लार से नहीं फैलती, साथ में चारा खाने से नहीं फैलती, साथ में पानी पीने से नहीं फैलती, साथ में रहने से नहीं फैलती, छूत की बीमारी नहीं है।मक्खी-मच्छरों से फैलती यह बीमारी
लंपी वायरस गायों का खून चूसने वाले कीड़ों और मक्खी-मच्छरों से फैलती है। एक गाय को इंजेक्शन की हुई सूई को दूसरी गाय के उपयोग में नहीं लेंना है। वर्षा के दिनों में महामारी का रूप लेती है, क्योंकि हवा में नमी और गर्मी बीमारी को फैलाने वाले बीमारी फैलाने वाले मक्खी मच्छर उत्पन्न होते हैं,जो इस बीमारी को फैलाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।लंपी वायरस से बचाव व उपचार
लंपी वायरस होने पर पशु चिकित्सक से संपर्क कर शीप पाक्स वैक्सीन या गोट पोक्स वेकसीन से वैक्सीनेशन करवाएं। यह वैक्सीनेशन गायों में बहुत उपयोगी है। क्योंकि यह एक ही वायरस से होने वाली बीमारियां है, इसलिए इसमें क्रास प्रोटेक्शन मिलता है और गायों को नुकसान से बचाया जा सकता है। यदि महामारी हो गया है तो वैक्सीन से अधिक लाभ नहीं होता, इसलिए केवल वे लोग ही अपने गायों में वैक्सीनेशन लगाएं जिनके यहां अब तक यह बीमारी नहीं हुई है।
पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि अपने पशुशाला का साफ-सफाई ठीक ढंग से करें, बाहरी जानवरों या बाहरी व्यक्तियों को अपने पशुशाला के अंदर आने नहीं दें। शाम के समय पशुशाला में नीम का छाल तथा नीम के पत्ते से धुआं करें ताकि मक्खी के प्रकोप से बचाव हो सके।जिले में मंगाए गए 40 हजार टीकेजिला पशुपालन विभाग एक दर्जन से अधिक जानवरों का सैंपल लेकर रांची एलआरएस लैब भेजा गया है। जिला पशुपालन पदाधिकारी डा. सुरेंद्र कुमार ने बताया कि जिले में अब तक इस रोग की लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं। एहतियात के तौर पर रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर दी गई है। प्रतिदिन खैरियत रिपोर्ट मांगी जा रही है। इस रोग में बकरियों में प्रयोग होने वाले गोट पाक्स का टीका बहुत ही कारगर है। इसलिए पशुपालन निदेशालय रांची से 40 हजार डोज की मांग की गई है। गोट पाक्स का टीका आते ही युद्ध स्तर पर जानवरों में टीकाकरण किया जाएगा।
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