रघुवर व हेमंत सरकार में कोई अंतर नहीं, आदिवासी सेंगेल अभियान बता रही है कारण
आदिवासी सेंगेल अभियान का मानना है कि पूर्व की रघुवर सरकार और वर्तमान में चल रही हेमं सरकार में रघुवर दास भाजपा सरकार और हेमंत सोरेन जेएमएम सरकार में ज्यादा कोई फर्क नहीं है। कम से कम आदिवासी हितों की रक्षा के मामले में संस्था की यही राय है।
By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Mon, 30 Aug 2021 06:09 PM (IST)
जमशेदपुर, जासं। आदिवासी सेंगेल अभियान का मानना है कि पूर्व की रघुवर सरकार और वर्तमान में चल रही हेमं सरकार में रघुवर दास भाजपा सरकार और हेमंत सोरेन जेएमएम सरकार में ज्यादा कोई फर्क नहीं है। कम से कम आदिवासी हितों की रक्षा के मामले में संस्था की यही राय है।
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू का कहना है कि पहले रघुवर दास ने दुनियाभर के पूंजीपतियों/ उद्योगपतियों को निवेश के लिए रांची बुलाकर विकास का हाथी उड़ाया था। अब हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंडी जन की नजरों से बच बचाकर रांची की जगह दिल्ली में 27-28 अगस्त 2021 को निवेशकों को आमंत्रित किया। यहां घोषणा की गई कि झारखंड में 10 हजार करोड़ के पूंजी निवेश पर करार हुआ है। पूंजीपति/उद्योगपति झारखंड के जल जंगल जमीन खनिज और जन संपदा का दोहन शोषण करेंगे। अबुआ दिसुम अबुआ राज को उजाड़ेंगे। आदिवासी भाषा संस्कृति और सरना धर्म को बर्बाद करेंगे।
रघुवर ने सीएनटी-एसपीटी में किया था छेड़छाड़
सालखन कहते हैं कि रघुवर सरकार ने तब सीएनटी एसपीटी कानून को तोड़ने की कोशिश की थी, जिसे सेंगेल ने जबरदस्त जन आंदोलन और झारखंड हाईकोर्ट के मुकदमों से उसे रोक दिया। हेमंत सरकार ने अभी 23 मार्च को विधानसभा में सीएनटी एसपीटी कानून को तोड़कर लैंड पूल का बिल पास किया। रघुवर सरकार ने लैंड बैंक बनाया था। विकास के नाम पर झारखंड के भूभाग का तथाकथित विकास हो सकता है। मगर आदिवासी- मूलवासी जन का विनाश तय है। चूंकि झारखंड बनने के बाद 20 वर्षों में न न्यायपूर्ण झारखंडी डोमिसाइल नीति बनी, न न्यायपूर्ण आरक्षण नीति और न न्यायपूर्ण नियोजन नीति बनी है। उसी प्रकार पूर्व में विस्थापितों और भविष्य में विस्थापित होने वालों के लिए भी न्यायसंगत पुनर्वास नीति नहीं बनी है।
हर जगह होगा पुतला दहन
सालखन ने कहा कि रघुवर दास ने जहां झारखंडियों के दिलों में डर और खौफ पैदा कर दिया था, आज हेमंत सोरेन सरकार भी वही कर रही है। भोले-भाले आदिवासियों को हेमंत सरकार बेवकूफ बनाने का काम कर रही है। आदिवासी सेंगेल अभियान 31 अगस्त मंगलवार को झारखंड, बंगाल, बिहार, असम और ओडिशा के आदिवासी बहुल जिलों में राष्ट्रपति के नाम सात सूत्री मांग पत्र के साथ हेमंत सोरेन सरकार का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन करेगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।