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जमशेदपुर के सभी गुरुद्वारों में मना खालसा पंथ सृजना दिवस, संगत ने टेेका माथा

Khalsa Panth creation day जमशेदपुर शहर के सभी गुरुद्वारों में 323वां खालसा पंथ सृजना दिवस पूरी परंपरा व श्रद्धा से मनाया गया। गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद परिस्थितियों को देखते हुए 13 अप्रैल 1699 में वैशाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना हुइ थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Tue, 13 Apr 2021 06:11 PM (IST)
जमशेदपुर के सभी गुरुद्वारों में मना खालसा पंथ सृजना दिवस, संगत ने टेेका माथा
323 वां खालसा पंथ सृजना दिवस परंपरा एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया।

जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर शहर के सभी गुरुद्वारों में 323वां खालसा पंथ सृजना दिवस पूरी परंपरा व श्रद्धा से मनाया गया। गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद परिस्थितियों को देखते हुए 13 अप्रैल 1699 में वैशाखी के दिन अनंतपुर में सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।

इसी दिन उन्होंने पांच अलग-अलग जाति और देश के विभिन्न कोने से आए उनके अनुयायी भाई दयाराम सिंह, भाई धर्म चंद्र सिंह, भाई मोहकम चंद सिंह, भाई साहेब चंद सिंह और भाई हिम्मत राय सिंह को खंडा बाटे का पाहुल अमृत लेकर पहले पांच खालसाें को छकाया फिर उनके हाथों से गुरु गोविंद सिंह जी ने भी खुद अमृत छका और सिंह सजे थे। इसी उपलक्ष्य पर शहर के गुरुद्वारों में खालसा पंथ की स्थापना पर अरदास का आयोजन किया गया। साथ ही शारीरिक दूरी का पालन करते हुए कई गुरुद्वारों में लंगर के पैकेड वितरित किए गए।

खालसा जाति कुल का शक नहीं करता : इंद्रजीत

बारीडीह गुरुद्वारा में मंगलवार को 323 वां खालसा पंथ सृजना दिवस परंपरा एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस मौके पर तखत श्री हरिमंदिर साहेब प्रबंधन कमेटी पटना के उपाध्यक्ष सरदार इंदरजीत सिंह ने ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खालसा जाति कुल का शक नहीं करता है। उन्होंने खालसा दर्शन का व्याख्या करते हुए कहा कि गुरु जी ने साफ कहा था कि उन्हें रहित और मर्यादा प्यारी है। रहित और मर्यादा बिना व्यक्ति तो बस बहुरूपिया ही होता है। उनके अनुसार गुरु जी ने खालसा सजाकर लिंग, जाति, कुल, भाषा, प्रांत के भेद की दीवार गिरा दी। उनके अनुसार गुरु जी ने अपनी पूरी शक्ति पांच प्यारों को प्रदान कर दी। सत्यवादी खालसे में बड़ी शक्ति होती है। उन्होंने सभी से सिंह सजने की अपील भी की।

सुखविंदर सिंह ने भी संगत को बधाई दी

इस मौके पर महासचिव सुखविंदर सिंह ने भी संगत को बधाई देते हुए वैशाखी का इतिहास रखा तथा कोविड के दूसरे दौर के मद्देनजर सावधानी बरतने की अपील भी की। ग्रंथी बाबा निरंजन सिंह ने पाठ का भोग डालने के बाद पूरी सृष्टि के कल्याण की अरदास की और भाई मनप्रीत सिंह के जत्थे ने कीर्तन दरबार सजाया। उसके उपरांत श्रद्धालुओं के बीच पैकेट लंगर का वितरण किया गया। इस मौके पर चेयरमैन मोहन सिंह, प्रधान जसपाल सिंह, सलाहकार सुरजीत सिंह खुशीपुर, झारखंड सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष गुरचरण सिंह बिल्ला, सुखविंदर सिंह गिल, जत्थेदार कुलदीप सिंह, अवतार सिंह, स्त्री सत्संग सभा प्रधान बीबी मनजीत कौर, जसपाल कौर, सुरजीत कौर, सहित बड़ी संख्या में अन्य लोगों ने गुरु दरबार में हाजिरी भरी।

सोनारी में सजा कीर्तन दरबार

वैशाखी के मौके पर सोनारी स्थित गुरुद्वारा में कीर्तन दरबार सजाया गया। ज्ञानी सुखदेव सिंह कीर्तन जत्था तरण-तारण वाले ने संगत को निहाल किया। अरदास उपरांत गुरु का अटूट लंगर की व्यवस्था की गई थी। इस मौके पर सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गुरमुख सिंह मुखे, दलजीत सिंह दल्ली, दलजीत सिंह बिल्ला, सुरजीत सिंह, सरबजीत सिंह, इंदर पाल सिंह सहित अन्य को गुरु के घर पर सिरोपा देकर सम्मानित किया गया। इसमें सरदार रंजीत सिंह गाबरी का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर सोनारी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान तारा सिंह, हरजीत सिंह, आरएस रवि, बलविंदर सिंह, कमलजीत सिंह, दलजीत सिंह, दीदार सिंह, सुखदेव सिंह सहित पूरी संगत उपस्थित थी।